eMag_Sept-Oct 2023_DA | Page 8

doj LVksjh

सभी जाति-वर्ग का भर्पदूर समर्थन प्रापि है । त्पछड़ा , दलित , गरीब सहित सभी वर्ग मोदी सरकार के कार्यकाल में जिस तरह लाभासनवि हुआ है , वैसा लाभ सविंत्िा के 65 वर्ष तक किसी भी जाति या वर्ग को नहीं मिला थाI लाभासनवि जनता प्रधानमंत्ी मोदी के साथ जब तक रहेगी , तब तक चुनाव में प्रधानमंत्ी मोदी को हराना संभव नहीं होगा । इसीलिए जाति गणना के माधयम से तव्पक्षी दल आगामी लोकसभा चुनाव के लिए एक ऐसा मुद्ा खड़ा करने की कोशिश में जुटे हैं , जिसके माधयम से भाज्पा के वोट बैंक में सेंध लगाई जा सके । तव्पक्ष की योजना 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव से ्पहले जाति गणना के नाम ्पर देश को सामाजिक रू्प से उथल-्पुथल करने की दिखाई देती है , जिससे त्पछड़े वर्ग ्पर भाज्पा के वर्चसव को तोड़कर प्रधानमंत्ी मोदी को सत्ा से ्दूर किया जा सके । ्पर ऐसा होगा कया ? इस ्पर सवयं तव्पक्षी दल एकमत नहीं हैं ।
प्राचीन भारत में नहीं थी अनदूसदूतचि जातियां
भारत में जाति का कुचरि उन मुससलम विदेशी आरिांिाओं ने रचा था , जो भारत की भदूतम ्पर लदूट-खसोट के लिए आए थेI भारत के हिन्दू समाज में न तो जाति थी और न ही कभी अस्पृशयिा थी । इतिहास में भारत में चार वणषों एवं एक सौ सत्ह गोत्ों तथा मात् छत्ीस जातियों के विषय में जानकारी मिलती है । लेकिन जाति प्रथा का कोई भी संकेत प्राचीन भारत में नहीं प्रापि हुआ है । भारत ्पर तुकषों , मुसलमानों एवं मुगलों के आरिमण एवं उनके शासन से ्पहले और बाद में अनेक विद्ान विदेशी यातत्यों ने ्पदूरे देश में घदूम-घदूम कर भारत की संस्कृति , सभयिा , धर्म , रहन-सहन , वयवसाय , कला इतयात् का बढ़ा-चढ़ा कर रोचक ढंग से विवरण प्रसिुि किया । किनिु किसी विदेशी यात्ी ने हिन्दू समाज में जाति या वर्ग , अस्पृशयिा , अस्पृशय जातियां या समुदाय अथवा असवचछ वयवसाय जैसे चर्म-कर्म , गोचर्म कर्म , मैला ढोना , सफाई
कर्मादि का कही भी उललेख नहीं किया । समृद्धिशाली , वैभवशाली एवं गौरवशाली महान राषट्र हिन्ुसरान ्पर जब विदेशी आरिांिाओं का आरिमण होता था , तो उसका प्रतयुत्र तो सम्पदूण्त देश ही देता था , किनिु धर्म रक्षा के नाम ्पर ब्ाह्मण एवं देश की भौगोलिक सीमा की रक्षा के नाम ्पर क्षतत्य तचसनहि थे । हिन्दू धर्म और संस्कृति के आलोक में ्पदूरा हिन्दू समाज चार श्ेणी में विभकि था , जिसे वर्ण वयवसरा भी कहा जाता था । ब्ाह्मण , क्षतत्य , वैशय एवं शदूद्र में विभकि सम्पदूण्त हिन्दू समाज सवर्ण था । डॉ आंबेडकर ने ही अ्पनी ्पुसिक ‘ अछटूि कौन और कैसे ?’ के ्पृषठ-100 ्पर लिखा है कि सवर्ण हिन्दू और अवर्ण अस्पृशय यानी जो अछटूि थे , वे अवर्ण थे । शदूद्र कभी भी अस्पृशय नहीं था , इसलिए शदूद्र भी सवर्ण थे । सवर्ण का अर्थ है वर्ण के साथ तो जितने हिन्दू थे , वे किसी न किसी वर्ण में होने के कारण सभी सवर्ण थे । जो हिन्दू नहीं थे , वे ही अवर्ण या अस्पृशय थे ।
8 flracj & vDVwcj 2023