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संखया भारी , उसकी उतनी हिससे्ारी " नारे को हवा दी जा रही है ।
मोदी सरकार को सत्ा से हटाने का भोथर हथियार
कांग्ेस नेता राहुल गांधी ने घोषणा की है कि केंद्र की सत्ा में आने के बाद कांग्ेस की सरकार ्पदूरे देश में जातिगत गणना कराएगी । कांग्ेस की घोषणा के बाद तव्पक्षी गठबंधन के सहयोगियों के साथ ही क्षेत्ीय दल भी जाति गणना के लिए एकजुट होने लगे हैं । इन क्षेत्ीय दलों में कुछ वह दल भी शामिल हैं , जो भाज्पा गठबंधन
एनडीए के सहयोगी हैं । बिहार में एनडीए के साथी तीनों दलों ( लोज्पा के दोनों गुट और जीतनराम मांझी की ्पाटटी हिंदुसिानी आवाम मोर्चा ) ने भी देशभर में जातिगत गणना की मांग कर दी है । रामदास आठवले की ्पाटटी रर्पस्लकन ्पाटटी आफ इंडिया भी इसके ्पक्ष में है । महाराषट्र में सतरिय अजीत ्पवार एवं एकनाथ शिंदे की ्पाटटी भी जाति गणना की मांग के साथ है तो दक्षिण भारत में डीएमके इस अवधारणा की जनम्ाता है । प्रश्न यह है कि कया जाति गणना के माधयम से तव्पक्षी दल त्पछड़ी जातियों के सर्वकलयाण की भावना से ओतप्रोत हैं ? कया
जाति गणना के ्परिणाम आने के बाद त्पछड़ी जातियों की तसवीर बदल जाएगी ? कया उनकी समसयाओं का समाधान हो सकेगा ? ऐसे तमाम प्रश्नों का उत्र किसी के ्पास नहीं हैI जाति गणना के ्पीछे त्पछड़े और दलितों के कलयाण की न तो कोई भावना है और न ही कोई कार्ययोजना । बसलक इसके ्पीछे सिर्फ एक ही उद्ेशय है और वह है-प्रधानमंत्ी नरेंद्र मोदी को सत्ा से ्दूर करना ।
तव्पक्ष यह भलीभांति समझ रहा है कि अ्पनी विकासवादी राजनीति और वासितवक विकास कायषों के कारण प्रधानमंत्ी मोदी को देश के
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