धर्म की बात करते हैं । उनका कहना है कि हिं्दू धर्म के अवतार ्पुरुष ने ईसा मसीह और मुहमम् से आगे बढ़कर खुद को ईशवर का अवतार यानी गॉड फादर घोषित कर दिया है । बुद्ध की तुलना में , डा . अंबेडकर लिखते हैं कि उनका ( बुद्ध का ) एक मनुषय के रू्प में जनम हुआ था , और उनहोंने एक साधारण वयसकि के रू्प में अ्पने धर्म का ्पालन किया । उसने कभी भी किसी अलौकिक शसकि का दावा नहीं किया और उसने अ्पनी किसी भी अलौकिक शसकि को साबित करने के लिए कभी कोई चमतकार नहीं दिखाया । बुद्ध ने सवयं और मुसकि का मार्ग प्रदान करने वाले वयसकि के बीच स्पषट अंतर किया ।
लेखक बद्री नारायण कहते हैं कि इसलाम कबदूल करने से ्पहले भीमराव अंबेडकर ने इसलाम का बहुत गहराई से अधययन किया था । वह कई बुराइयों के खिलाफ थे जिनसे इसलाम को जोड़ा जा सकता है , जैसे कि इसके नाम ्पर की जाने वाली राजनीति , जिस तरह से महिलाओं के साथ वयवहार किया जाता है , और बहुविवाह
की प्रथा । दिलली विशवतवद्ालय के प्रोफेसर शमसुल इसलाम इससे सहमत हैं , और कहते हैं कि डा . अंबेडकर इसलाम में महिलाओं की ससरति के बारे में भी चिंतित थे । बद्री नारायण का कहना है कि डा . अंबेडकर को बहुविवाह ्पसंद नहीं था कयोंकि यह एक ऐसी ्परं्परा है जो महिलाओं को चोट ्पहुंचाती है । उनका यह भी मानना था कि कयोंकि मुससलम देशों में दलितों के साथ बुरा वयवहार किया जाता है , इसलिए इसलाम में ्परिवर्तित होने से उनहें जया्ा मदद नहीं मिलेगी । आजादी के बाद , ्पाकिसिान में कई दलित इसलाम में ्परिवर्तित हो गए कयोंकि उनहें लगा कि इससे उनहें समान अधिकार प्रापि करने में मदद मिलेगी । डा . अंबेडकर को नहीं लगता था कि यह एक अचछा विचार है , और वे नहीं चाहते थे कि दलित सबसे ्पहले इसलाम अ्पनाएं ।
शमसुल इसलाम का कहना है कि मुगल शासकों ने मनुसमृति का ्पालन किया था , जो हिं्दू संत मनु द्ारा बनाए गए कानदूनों का एक समदूह है । ्दूसरी ओर , डा . अंबेडकर मनुसमृति से असहमत थे और उनका मानना था कि लोगों के विभिन्न समदूहों के अ्पने कानदून होने चाहिए । ( इलाहाबाद के गोविंद बललभ ्पंत सामाजिक विज्ान संसरान के प्रोफेसर और आधुनिक इतिहास के जानकार बद्री नारायण , व दिलली विशवतवद्ालय के प्रोफेसर शमसुल इसलाम ने बीबीसी के एक इंटरव्यू में यह बात कही ) बाबा साहब ने हमेशा दलितों , त्पछड़ों , और कमजोर वर्ग की व उनके अधिकारों की बात की , ऐसे में बाबा साहब द्ारा निर्मित संविधान में भी विशेष अधिकार दिया गया है ।
भारतीय संविधान सभी नागरिकों को समान अधिकार की गारंटी देता है । भारतीय संविधान के भाग 3 में अनुचछे्-12 से 35 तक मौलिक अधिकारों की सदूची है । यह अधिकार महतव्पदूण्त हैं , कयोंकि ये भारत में लोगों के अधिकारों की रक्षा करते हैं । भारतीय संविधान के अनुचछे्-14 में कहा गया है कि कानदून के तहत सभी को समान वयवहार का अधिकार है । इसका मतलब यह है कि किसी के साथ भेदभाव नहीं किया
जा सकता है या उनके अधिकारों से इनकार नहीं किया जा सकता है कयोंकि वे अनय लोगों से अलग हैं । विशेष रू्प से , यह उन लोगों के अधिकारों की रक्षा करता है जो गरीब हैं या कम पढ़े-लिखे हैं , या जो महिलाएं या बच्े हैं । इसे “ शैक्षिक और सामाजिक रू्प से कमजोर वगषों का ्पक्ष ” प्रावधान कहा जाता है ।
इसका अर्थ है कि भारतीय कानदून विशेष रू्प से इन समदूहों की सहायता के लिए बनाए जा सकते हैं । ये कानदून ्पदूरी तरह से संवैधानिक और मानय होंगे । संविधान के अनुचछे्-15 और 16 सामाजिक और शैक्षिक समानता के मुद्े से संबंधित हैं । इसका मतलब यह है कि संविधान मानता है कि लोगों के कुछ समदूह ऐसे हैं जो ्दूसरों की तुलना में वंचित हैं । यह इन समदूहों को जीवन में समान अवसर प्रापि करने में मदद करने के लिए किया जाता है । अनुचछे्-15 यह है कि हमारे समाज में धर्म , नसल , जाति , लिंग या जनम सरान के आधार ्पर कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए ।
संविधान के अनुचछे्-16 में , सरकार गारंटी देती है कि सभी लोगों को रोजगार के समान अवसरों का अधिकार है । इसका मतलब यह है कि हर किसी को , उनकी नसल , लिंग या राषट्रीय मदूल की ्परवाह किए बिना , काम ्पर रखने , ्प्ोन्नत करने और उचित भुगतान करने का समान मौका मिलता है । भारत शेष विशव के लिए एक प्रेरक उदाहरण है । इसका इतिहास अनय देशों के लिए एक आदर्श है , और दुनिया भर के लोग अनुसरण करने के लिए भारत को एक उदाहरण के रू्प में देखते हैं । संकट के समय में भारत हमेशा ्दूसरे देशों का समर्थक रहा है और कोरोना महामारी को लेकर अ्पनी चिंता वयकि कर इस ्परं्परा को जारी रखे हुए है । बाबा साहब के समानता एकता के स्पने को ले कर , उनका चिंतन था कि भारत प्रभुता सम्पन्न गौरवशाली राषट्र बने . बिना किसी भेदभाव के वसुधैव कुटुमबकम की भावना ्पर ये नया भारत चल रहा है । । ्पदूरी दुनिया का ्पर-प्रदर्शक करने वाला राषट्र बने । जिस ्पर भारत शनै : -शनै : चल रहा है । �
flracj & vDVwcj 2023 45