eMag_Sept-Oct 2023_DA | Page 44

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देर्ेन्द्र

वैदिक शिक्षाओ ंपर चलने के लिए जोर दिया था डा . अंबेडकर ने

संविधान अनय देशों के संविधानों से भिन्न है कयोंकि यह भारतीय

सभी नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करता है और उनहें नागरिकों के रू्प में अ्पने कर्तवयों का बोध कराता है । डा . भीमराव अंबेडकर इस संविधान को बनाने के लिए प्रसिद्ध हैं और इसके निर्माण में उनकी भदूतमका अतुलय है । उनके योगदान के बारे में कई लोगों ने तर्क दिया , लेकिन डा . अंबेडकर की भदूतमका को नकारा नहीं जा सकता । उनहोंने जीवन भर भेदभाव का सामना किया । हालांकि , उनहोंने कभी हार नहीं मानी और 32 डितग्यां हासिल की ।
बाबासाहब अंबेडकर के विचारों की विभिन्न समदूहों के लोगों के बीच अलग-अलग तरह से वयाखया की जा रही है । कुछ लोग सोचते हैं कि उनके विचार उनके लिए विशेष रू्प से प्रासंगिक हैं कयोंकि वे भारत में जाति वयवसरा से प्रभावित हुए हैं । ्पहला उनका अ्पना अनुभव , ्दूसरा- महातमा जयोतिबा िरूले का सामाजिक आंदोलन तथा तीसरा-बुद्धिजम । डा . के विचारों के इन सभी स्ोिों के मदूल में यह तथय है कि वे अ्पनी जाति के कारण एक उत्पीतड़ि वयसकि थे , और उनहोंने जाति वयवसरा को समापि करने के लिए संघर्ष किया । अस्पृशयिा को समापि करने के अभियान में मुखय वयसकि महातमा गांधी के साथ उनके इस विचार को लेकर मतभेद थे कि लोगों को दैवीय जाति वयवसरा के बजाय एक मानव देन के रू्प में अस्पृशयिा के खिलाफ लड़ना चाहिए । हालाँकि , अभियान में गांधीजी की
भदूतमका महतव्पदूण्त होने के बावजदू् , गांधीजी की जाति की दैवीय अवधारणा के प्रति अमबेिकर के कड़े विरोध ने दलितों के बीच उनके कई समर्थकों को जीत लिया ।
डा . अंबेडकर का मानना था कि हिं्दू धर्म में जाति वयवसरा भारत में कई समसयाओं की जड़ थी । उनहोंने कहा कि हिं्दू धर्म के लिए एक मिशनरी धर्म बनना असंभव था कयोंकि लोगों से उनकी जाति के आधार ्पर वयवहार किया जाता है । उनहोंने निम्न जातियों के लोगों के लिए बौद्ध धर्म को एक उ्पयुकि धर्म के रू्प में भी सवीकार किया । इससे समय के साथ भारत के लोकतंत् को मजबदूि बनाने में मदद मिली ।
एक प्रश्न यह भी उठता है और हम सभी को जानना भी चाहिए की डॉ आंबेडकर ने इसलाम , ईसाई या सिख धर्म के जगह बौद्ध धर्म ही कयों चुना ? डा . अंबेडकर के मानदंडों के अनुसार बौद्ध धर्म सबसे अचछा धर्म है । उनका मानना है कि यह सं्पदूण्त मानव जाति के लिए सबसे अधिक लाभकारी धर्म है । बौद्ध धर्म बुद्ध की शिक्षाओं ्पर आधारित है , और यह शांति , प्रेम और समझ के महतव ्पर जोर देता है । डा . अंबेडकर का मानना है कि जीवन जीने और खुशी हासिल करने का यह सबसे अचछा तरीका है । डा . अंबेडकर के मानदंडों के अनुसार हिं्दू धर्म एक अचछा धर्म है । उनका मानना है कि यह मानव प्रककृति के साथ सबसे अधिक संगत धर्म है ।
हिं्दू धर्म वैदिक साहितय की शिक्षाओं ्पर आधारित है , जो सैकड़ों साल ्पहले लिखा गया था । ऐसा माना जाता है कि ये शिक्षाएँ ब्ह्मांि
के काम करने के तरीके और उसमें मनुषय की भदूतमका का वर्णन करती हैं । डा . अंबेडकर का मानना है कि यह शिक्षाएं बहुत मदूलयवान हैं और सभी को इनका ्पालन करना चाहिए । दुनिया में चार सबसे लोकप्रिय धर्म बौद्ध धर्म , हिं्दू धर्म , ईसाई धर्म और इसलाम हैं । इनमें से प्रतयेक धर्म की अलग-अलग ताकत और कमजोरियां हैं । मदूलरू्प में यह लेख अंग्ेजी में बुद्धा एंड दि फ्यूचर ऑफ हिज रिलिजन नाम से यह कलकत्ा की महाबोधि सोसाइटी की मासिक पत्रिका में 1950 में प्रकाशित हुआ था । यह लेख डा . अंबेडकर राइटिंगस एंड स्पीचेज के खंड 17 के भाग- 2 में संकलित है ।
बुद्ध का मानवीय रू्प सबसे ्पहले , डा . अंबेडकर चार िमषों के संस्थापकों-ईसा मसीह , मुहमम् , हिं्दू धर्म के ्पुरुष और सवयं की तुलना करते हैं । वह लिखते हैं कि इन चारों नेताओं ने खुद को ईशवर का ्पुत् घोषित किया और इन िमषों के अनुयायियों को उनहें इस रू्प में सवीकार करना चाहिए । इसके बाद डा . अंबेडकर हिं्दू
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