eMag_Sept-Oct 2023_DA | Page 30

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इतिहयास में अनुसूचित जयातियों कया योगदयान

संस्कृति और समाज ्पर धयान दिया जाए तो यह कहना भारतीय

गलत नहीं लगता कि दासता और गुलामी की जंजीरों में जकड दिए गए हिन्दू समाज के अंदर , भारत ्पर राज करने वालों के खिलाफ जब विद्रोह की जवाला हद से जया्ा
भड़कने लगी , तो उसका ्परिणाम शासक वर्ग ्पर दिखने लगा । विद्रोह की इस आग को उसी समाज ने जलाया था , जिस समाज को अरब से आए मुससलम आरिांिाओं ने अ्पनी क्रूरता के बल ्पर अ्पनी सेवा के लिए ्पैदा कर दिया था । इस समाज को दलित समाज का नाम दिया गया
था और यह वह समाज था , जिसे हिन्दू सभयिा से ्दूर करने के लिए कुचरि रचे गए थे । आखिर वह कौन से कारण थे और वह कैसी ्परिससरतियां थी , जिसकी वजह से दलित जाति के लोगों ने शासन और सत्ा के खिलाफ विद्रोह की आवाज उठा करने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी थी
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