चुनाव में 22.24 प्रतिशत वोट ्पाने वाली मायावती की ्पाटटी का वोट शेयर विधानसभा चुनाव 2022 में 12.81 प्रतिशत रह गया है । माना जा रहा है कि बीएस्पी के ्पास दलितों में केवल हरिजन / जाटव वोट बचा है , गैर हरिजन / जाटव वोट का बड़ा हिससा बीजे्पी के साथ जुड़ गया है अथवा स्पा के ्पास चला गया है । वर्तमान में कांग्ेस के ्पास विधानसभा की दो सीटें हैं जबकि संसद में केवल एक सीट है ।
अब बात करते हैं उत्र प्रदेश की सबसे ताकतवर ्पाटटी भाज्पा की । भाज्पा के सभी सांसद , विधायक , संगठन के ्प्ाधिकारी और बाकी जिममे्ार नेता दलित जोड़ो अभियान ्पर मंथन कर रहे हैं । ्पाटटी की रणनीति के दो फामदू्तले हैं , लोकसभा की 17 सुरक्षित सीटों के लिए
अलग तैयारी और बाकी 63 सीटों के लिए ्दूसरी तरह की योजना है । ्पाटटी के केंद्रीय नेतृतव के तन्वेश ्पर दलित समाज को जोड़ने की योजना बनाई गई है । दलितों को अ्पना बनाने के लिए अगले लोकसभा चुनाव तक की ्पदूरी योजना बीजे्पी ने तैयार कर ली है । तय हुआ है कि यदू्पी के कुछ शहरों में ऐसी रैली की जाए , जिससे देश भर में संदेश जाए । प्रदेश के सभी छह संगठनातमक क्षेत्ों में दलित महासममेलन किया जाएगा , जिसमें ्पाटटी के बड़े नेता हिससा लेंगे । जिलों में भी ्पाटटी दलित सममेलन और रैली करने की योजना तैयार की है । बसिी सं्पक्फ अभियान के तहत बससियों में लाभार्थियों से सं्पक्फ सहित समाज के प्रबुद्ध वर्ग , सेवानिवृत अधिकारी , खिलाड़ी , लोक कलाकारों व अनय
प्रमुख लोगों से वयसकिगत सं्पक्फ करने की भी ्पाटटी ने योजना तैयार की है ।
राजनीति में दलित दखल की बात करें तो भारतीय राजनीति में एक नारा बाबदू जगजीवन राम को प्रधानमंत्ी बनाने के लिए दिया गया जो काफी चर्चित हुआ था । " जगजीवन राम की आई आंधी , उड़ जाएगी इंदिरा गांधी " नारा लगा भी खदूब और जनता ्पाटटी की सरकार भी बनी । लेकिन जगजीवन राम ्पीएम नहीं बन सके । जनता ्पाटटी में ्पीएम ्प् के तीन दावेदार थे , चौधरी चरण सिंह , मोरारजी देसाई और जगजीवन राम । जब मोरारजी देसाई ्पीएम बन गए तो दलित समुदाय में काफी रोष आ गया , कहा जाता है कि उस समय देश में कई दलित घरों में खाना नहीं बना था । दलितों में ्पन्पे इस रोष को आगे बढ़ाया काशीराम ने । उनहोंने भी शुरूआत दलित चेतना के आंदोलन से की । उनहोंने दलित के साथ त्पछड़ा वर्ग को भी जोड़ा । सरकारी दफिरों में इन वगषों के संगठन बनाए । इसके बाद 1984 में बहुजन समाज ्पाटटी बनाई । अंबेडकर की विचारधारा को जमीन ्पर उतरने का काम कांशीराम ने किया और उसे उत्र प्रदेश में आगे बढ़ने का काम मायावती ने ।
देश में दलितों की संखया 22 प्रतिशत है । इनमें भी सबसे जया्ा 55 प्रतिशत के करीब जाटव / हरिजन हैं और 45 प्रतिशत गैर जाटव हैं । दलितों की कुल 66 उ्पजातियां हैं , इनमें से 55 का संखया बल जया्ा नहीं है । कुछ जिले दलितों के प्रभाव वाले हैं । जाटव का प्रभाव आगरा , आजमगढ़ , जौन्पुर , बिजनौर , सहारन्पुर , गोरख्पुर , गाजी्पुर में देखने को मिलता है , वहीं सीता्पुर , रायबरेली , हरदोई , प्रयागराज और लखनऊ में ्पासी , तथा बरेली , सुलिान्पुर , गाजियाबाद में कोरी धोबी जातियों की संखया जया्ा है । भाज्पा के हिन्ुतववादी विसिार के बाद से ही दलित के नाम ्पर होने वाली राजनीति कमजोर पड़ी है और नेतृतव भी ने्पथय में दिख रहा है । यह अलग बात है कि दलितों की अहमियत राजनीति में कम नहीं हो रही , और सभी दल दलित मतदाताओं को लुभाने की होड़ में लगे हैं ।
( साभार )
flracj & vDVwcj 2023 29