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दलित मतदाताओ ंपर टिकी उत्र प्देश की राजनीति

अनिल सतर्ारी

बहुजन समाज ्पाटटी के संस्थापक कांशीराम के ्परिनिर्वाण दिवस ( 9 अक्टूबर ) ्पर उत्र प्रदेश में सिर्फ बस्पा ने ही काय्तरिम नहीं किए , बसलक कांग्ेस और स्पा की ओर से भी िदूमधाम से मानयवर कांशीराम का ्परिनिर्वाण दिवस मनाया गया । कांग्ेस की ओर इसी दिन राजयव्यापी दलित गौरव संवाद यात्ा की शुरुआत हुई , जो 26 नवंबर अर्थात संविधान दिवस तक चलेगी । प्रदेश में दो विधायक और एक सांसद तक सिमट चुकी कांग्ेस को उममी् है कि कांशीराम की बस्पा के उभार के साथ जो दलित वोटर उससे छिटक गये थे , अब मानयवर कांशीराम

का नाम लेने से वा्पस आ जाएंगे । असल में त्पछले माह उत्र प्रदेश के घोसी विधानसभा के लिए हुए उ्पचुनाव में बस्पा नेत्ी मायावती ने अ्पने मतदाताओं से अ्पील की थी कि दलित समाज के लोग या तो वोट न करें या फिर नोटा का बटन दबाकर अ्पना वोट डाल दें । बीएस्पी मुखिया की यह अ्पील उनके ही अधिकांश समर्थकों ने ठुकरा दी । बहुजन समाज ्पाटटी के लिए तो यह खतरे की घंटी साबित हुई , लेकिन यहीं से स्पा , कांग्ेस और भाज्पा के लिए उममी्ों का एक नया दरवाजा भी खुल गया है । यह दरवाजा है मायावती के दलित वोट बैंक में ्पैठ बनाने का ।
सब जानते हैं उत्र प्रदेश में जो जीतेगा वही
दिलली ्पर राज करेगा । यही कारण है कि आगामी लोकसभा चुनाव में 80 सीटों के लिए दलित वोटरों को अ्पना बनाने के लिए सबने अ्पनी- अ्पनी न सिर्फ रणनीति तैयार कर ली है , बसलक बाकायदा काम भी शुरू कर दिया है । मजेदार बात यह है कि सभी दलों ने दलित वोट हासिल करने के लिए घुमा फिरा कर उसी तरह की योजना तैयार की है , जिसे दशकों ्पहले कांशीराम ने सबसे ्पहले आजमाया था । समाजवादी ्पाटटी के मुखिया अखिलेश यादव ने भी ्पाटटी के सभी कार्यकर्ताओं से गांव-गांव जाकर दलित समाज को जोड़ने के लिए जमीनी सिर ्पर काम करने की अ्पील की है । लखनऊ में आयोजित ्पाटटी की अंबेडकर वाहिनी की बैठक को संबोधित
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