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जातिगणना को मुद्ा बनाया है ।
आरक्षण के प्ारूप को बदलना चाहती है कांग्ेस
कांग्ेस की योजना देश की हिन्दू वर्ग को जाति और आरक्षण में बांटने की है । सत्ा हासिल करने के लिए कांग्ेस ने स्पषट भी कर दिया है कि सत्ा में आने ्पर वह जातीय जनगणना कराने के साथ ही त्पछड़ा , दलित , वनवासी वर्ग को उनकी जनसंखया के अनुसार भागीदारी देगी । साथ ही आरक्षण की 50 प्रतिशत की वर्तमान अधिकतम सीमा को हटाने के लिए कानदून बनाएगी । कांग्ेसी नेता राहुल गांधी ने यह भी कहा है कि सत्ा में आने ्पर कांग्ेस जातीय जनगणना कराने के बाद देशव्यापी आर्थिक सववे भी कराएगी । कांग्ेस ने आरो्प लगाया है कि 2011 की सामाजिक , आर्थिक और जाति जनगणना के आंकड़ों को जारी न करके मोदी सरकार ने त्पछड़े वर्ग सहित अनय वंचित वगषों के साथ धोखा किया है । मोदी सरकार ्पर लगाए जा रहे कांग्ेस के आरो्प खोखले कहे जा सकते हैं कयोंकि 2011 की जनगणना के आंकड़ों को सवयं कांग्ेस सरकार के प्रधानमंत्ी डॉ मनमोहन सिंह ने सार्वजनिक करने से मना कर दिया था । ऐसे में कांग्ेस का इस मामले में मोदी सरकार ्पर आरो्प लगाना सिर्फ कांग्ेस की झदूठ वाली राजनीति को ही सामने उजागर करता है ।
जाति गणना की मांग कर रही कांग्ेस की वासितवकता यह है कि सविंत्िा के बाद देश में त्पछड़ों , दलितों , वनवासियों एवं गरीबों के भागय लिखने का काम कांग्ेस और उसके सहयोगियों ने अ्पने हाथों में ले लिया था । इस संदर्भ में आरक्षण को एक ऐसे हथियार के रू्प में देखा गया था , जिससे दलित वर्ग तक के लोग अ्पने भागय और सामाजिक ससरति का निर्णय सवयं कर सकेंगे और अ्पने हालात को सुधार कर विकास की मुखय धारा के साथ कदम से कदम मिलकर चल ्पाएंगे । लेकिन ऐसा नहीं हुआI सविंत्िा के बाद आरक्षण तो मिल गया ्पर आरक्षण भी त्पछड़ों , दलितों , वनवासियों एवं गरीबों की ससरति को सुधारने में ्पदूरी तरह
कारगर नहीं सिद्ध हो ्पाया । शिक्षा और अवसरों की कमी ने जाति आधारित समाज को कांग्ेस जैसे राजनीतिक दलों के हाथ की कठ्पुतली बना कर रख दिया ।
कांग्ेस नेता इंदिरा गांधी ने नारा दिया था - " गरीबी हटाओ "। वरषों तक इस नारे का बहुत ही खदूबसदूरती के साथ इसिेमाल तो किया गया ्पर न तो गरीबी हट ्पायी और न ही त्पछड़ों , दलितों , वनवासियों का कोई कलयाण हुआ ।
जाति के नाम ्पर हुई राजनीति के कारण जातिगत समाज को कभी भी समाज की मुखय धारा से जोड़ने के लिए गंभीर कदम नहीं उठाए गए । जो कदम उठाए भी गए , वह राजनीति और सवःतहिों से प्रेरित थे । यदि डॉ अमबेिकर द्ारा संरक्षण के रू्प में संविधान का सहारा नहीं मिला होता तो त्पछड़े , दलित एवं वनवासी समाज की ससरति भयावह एवं दयनीय होती । लेकिन अब एक बार फिर सत्ा के लिए तव्पक्षी दल जाति को
12 flracj & vDVwcj 2023