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अल्पसंख्यक आबादी के डरे होने की मिथ्ा धारणा
राजीव सचान
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बसे राषट्ीय ्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत और मुस्लिम समाज की पांच हस्रयों के बीच भेंट की खबर सार्वजनिक हुई है , तबसे इन हस्रयों की पूछि-परख बढ़ गई है । ये हस्रयां चर्चा के केंद्र में इसचलिए भी हैं , कयोंकि उनसे मुलिाकात के बाद चपछिलिे दिनों मोहन भागवत ने दिल्ली में मस्जद और मदरसे का भ्रण किया । इस दौरान वह अचखलि भारतीय इमाम संगठन के प्रमुख उमर अहमद इचलियासी से भी चरलिे । इस मेलि-मुलिाकात को मुस्लिम समाज से संवाद बढ़ाने की आरएसएस की पिलि का हि्सा माना जा रहा है । यह ्वागतयोगय है , कयोंकि अपने देश में इस तरह के संवाद की एक समृद्ध परंपरा रही है । विभिन्न पक्षों में ्व्थि संवाद से सर्याओं का समाधान निकालिने में सहायता चरलिरी है और एक-दूसरे के प्रति भ्ांचरयां भी दूर होती हैं । अभी यह जानना कठिन है कि आरएसएस प्रमुख और मुस्लिम समाज के प्रचरसषठर लिोगों के बीच बातचीत के कया नतीजे सामने आएंगे , लिेकिन यदि कोई यह स्थापित करने की कोशिश करेगा कि मुसलिरान डरे हुए हैं तो फिर दोनों पक्षों के बीच आगे होने वालिी वार्ता का कोई भविषय नहीं ।
संघ प्रमुख से भेंट करने वालिी मुस्लिम समाज की पांच हस्रयों में से एक पूर्व मुखय चुनाव आयुकर एसवाई कुरैशी ने विभिन्न साक्षातकािों और अपने एक लिेख में यह रेखांकित किया है कि इस मुलिाकात का एक उद्ेशय मोहन भागवत को ‘ वैमन्य के वर्तमान वातावरण ’ और मुसलिरानों की इस भावना से अवगत कराना थिा कि वे ्वयं को ‘ असुरक्षित ’ महसूस कर रहे
हैं । कया वा्रव में ऐसा है ? इसकी पड़रालि- गहन पड़रालि होनी चाहिए और हालि की घटनाओं के परिप्रेक्य में होनी चाहिए ।
कया उदयपुर में कनिैयालिालि और अमरावती में उमेश कोलिे की हतया खुद को असुरक्षित महसूस करने वालिों ने की थिी ? कया इसी दौरान देश के विभिन्न शहरों में निकलिी उग् भीड़ किसी डर की वजह से ‘ गु्राख-ए-नबी की एक ही सजा-सिर तन से जुदा ’ के खौफ पैदा करने वालिे नारे लिगा रही थिी ? कया इसके पिलिे चैत्र नवरात्र , रामनवमी और फिर हनुमान जनरोतसव पर कई शहरों में शोभायात्राओं पर िरलिे डरे हुए लिोगों ने किए ? इसी तरह कया हिजाब विवाद के दौरान कर्नाटक के शिमोगा में िर्ा्म नामक युवक की हतया करने वालिे खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे थिे ? कया ज्ानवापी प्रकरण के समय शिवचलिंग का उपहास उड़ाने वालिे डरे हुए लिोग थिे ?
थिोड़ा और पीछिडे चलिें और याद करें कि 2019 में नागरिकता संशोधन कानून के चखलिाफ कैसा उग् और हिंसक विरोध हुआ थिा ? कया इन विरोध
संघ प्रुख से भेंट करने वाली मुस्लिम समाज की पांच हस्स्तयों में से एक पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कु रैशी ने विभिन्न साक्षात्ािों और अपने एक लेख में यह रेखांकित किया है कि इस मुलाकात का एक उद्ेश्य मोहन भागवत को ‘ वैमनस्य के वर्तमान वातावरण ’ और मुसलमानों की इस भावना से अवगत कराना था कि वे स्वयं को ‘ असुरक्षित ’ महसूस कर रहे हैं ।
प्रदर्शनों के दौरान बंगालि से लिेकर उत्तर प्रदेश , दिल्ली आदि में कई जगह जो हिंसा , आगजनी , तोड़फोड़ और यहां तक कि पुचलिस पर िरलिे
हुए , वे उन लिोगों ने किए , जो भयभीत थिे ? कया देश की राजधानी के शाहीन बाग इलिाके में जो लिोग करीब सौ दिन तक एक प्रमुख मार्ग पर
46 vDVwcj & uoacj 2022