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क्ों है वाल्ीकि समाज हिन्दू समाज का अभिन्न अं ग ?

अरुण लवानिया va

ग्ेजों के समय से ही हिंदुतव की इमारत से एक-एक कर ईंटों को हटाने का र्ड़यंत्र चलिा आ रहा है । इसके पीछिडे ईसाइयों और मुसलिरानों का हाथि तो है ही , ्वरंत्रता पशचार उपजी नयी प्रजातियां जैसे नवबौद्ध , बामसेफ और वामपंथिी भी इस कार्य में जुटी हैं । जातिविहीन समाज की
बात करने वालिे ऐसे ततव जातियों की ही दुहाई देकर हिंदू समाज को तोड़ने में लिगे हैं । डॉ आंबेडकर तो बिना आरक्षण के विपरीत परिस्थितियों में अपने पुरुर्ाथि्म के बलि पर उन्नति किये । लिेकिन आज के नवबौद्धऔर बामसेफियों को तो सरकार से आरक्षण और अनेक प्रकार की आचथि्मक सुविधायें उपलिबर हैं ।
दोहराने की आवशयकता नहीं कि आर्य
समाज अपने उद्व से ही छिूआछिूत , जातिवाद और विधर्मियों के विरुद्ध साथि्मक परिणामों के साथि संपूर्ण देश में संघर््मिर है । डॉ आंबेडकर भी इसीचलिए प्रारमभ से ही इन मुद्ों पर आर्य समाज के साथि मधुर संबंधों सहित आजीवन खड़डे दिखाई देते हैं । बस यही बामसेफियों और नवबौद्धों की छिटपटाहट का कारण है । इसी छिटपटाहट में वो दचलिर आंदोलिन की शुरुआत
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