eMag_Oct-Nov 2022_DA | Page 32

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रिाह्णी के गर्भ से उतपन्न होना , सं्काि , वेद श्वण , रिाह्ण पिता कि संतान होना , यह रिाह्णतव के कारण नहीं है , बसलक सदाचार से ही रिाह्ण बनता है । ( महाभारत अनुशासन पर्व 143 / 51 )।
कोई मनुषय कुलि , जाति और चक्या के कारण रिाह्ण नहीं हो सकता । यदि चंडालि भी सदाचारी हो तो वह रिाह्ण हो सकता है । ( महाभारत अनुशासन पर्व 226 / 15 )।
शंका 10- क्ा वेिथों के अनुसार
क्शल्प विद्ा और उसे करने वालथों को नीचा माना गया है ?
समाधान- वैदिक कालि में शिलप विद्ा को सभी वणषों के लिोग अपनी अपनी आवशयकता अनुसार करते थिे । कालिांतर में शिलप विद्ा केवलि शुद्र वर्ण तक सीमित हो गई और अज्ानता के कारण जैसे शूद्रों को नीचा माना जाने लिगा वैसे ही शिलप विद्ा को भी नीचा माना जाने लिगा । जैसे यजुवदेद में चलिखा है -वेदों में विद्ानों
( रिाह्णों ) से लिेकर शूद्रों सभी को शिलप आदि कार्य करने का ्पषट आदेश है एवं शिलपी का सतकाि करने कि प्रेरणा भी दी गई है । जैसे विद्ान लिोग अनेक धातु एवं साधन विशेर्ों से व्त्राचद को बना के अपने कुटुंब का पालिन करते है रथिा पदार्थों के मेलि रूप यज् को कर पथय और्चर रूप पदार्थों को दे के रोगों से छिुड़ाते और शिलप चक्या के प्रयोजनों को सिद्ध करते है , वैसे अनय लिोग भी किया करे । ( यजुवदेद 19 / 80 रिचर््म दयानंद वेद भाषय )।
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