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नाश कर दिया जायरे ।"
अं ग्रेजों का शासन बरकरार रखना चाहते थे पेरियार
भारत का एक गौरवशाली इतिहास रहा है । जो भी इस दिवय राषट् और हिंदुतव की रक्षा करता है उसरे हम उच् पायदान पर रख कर उसको एक संत के समान पूजतरे हैं । यदि कोई भगवा व्त् धारण करता है तो हम उसका सममान करतरे हैं । हमाररे हृदय में रिाह्मणों के लियरे सदा सरे सममान इसलियरे रहा है ्योंकि वो भौतिक जीवन का तयाग कर राषट् के लियरे ही जीतरे रहरे
हैं । कुंज वृत्ति ! अर्थात् रिाह्मणों द्ारा खरेतों में गिररे अन् के दानों को चुनकर उनहें पकाकर खाना । यही वो रिाह्मण थरे जिनका तमिलनाडु में सभी समुदाय सदा सरे सममान करतरे थरे । रिाह्मणों की यही प्लतषठा धूमिल और नषट करना परेरियार के जीवन का एक बड़ा लक्य था । इसके लियरे परेरियार नरे समाज की सभी सम्याओं के लियरे रिाह्मणों को दोषी ठहराना प्ारंभ किया । वह और उसके लोग बहुत धूर्तता सरे इस साज़िश को मूर्तरूप दरेनरे लगरे । अंततोगतवा तमिलनाडु के लनदणोष रिाह्मण परेरियार की कुटिल चाल की भेंट चढ ही गयरे । वह अपनी चाल में सफल हो
गया । ततपशचात् परेरियार नरे वर्ष 1944 में एक प््ताव पारित किया कि " अंग्रेजों को भारत ्छोड़कर वापस नहीं जाना चाहियरे । िरेलकन यदि ऐसा करना ही पड़े तो वो भारत के सभी राजयों को आजादी दरे दें । बस तमिलनाडु ही अंग्रेजों के राजय के अधीन रहरे ।" इस प््ताव के सामनरे आतरे ही तमिलनाडु की जनता की आंखें खुलीं और उनहें एहसास हुआ कि परेरियार और उसके संगठन द्रलवड़ कड़गम और जस्टस पाटटी के सम्त कार्यकलापों के पी्छे अंग्रेजी राज का ही हाथ है । यरे दोनों संगठन लरिटिश राज की ही उपज थरे ।''
पेरियार को मानने से पहले जानना जरूररी
वा्तव में दरेखा जाए तो परेरियार नरे राजनीतिक ्वाथदा के लिए जाति व भाषा के नाम पर हिनदुओं को ही नहीं तोड़ा बसलक उनके पूवादाग्ही व निराधार चिंतन को परखरे व जानरे — जांचरे बिना ही उनके माननरे वालों द्ारा भारत की एकता को भी सांस्कृतिक तौर पर खंडित करनरे की कोशिश लगातार की जाती रही है । खास तौर सरे कांग्रेस जैसरे दलों नरे इस मामिरे में हमरेिा सरे गंगा गए तो गंगादास और यमुना गए तो यमुनादास की ्छलव ओढनरे का ही ककृतय किया है । तमिलनाडु के बाहर जहां बड़ा हिनदू सवर्ण वोट बैंक है वहां कांग्रेस जैसरे राजनीतिक दलों के लिए परेरियार खलनायक है और तमिलनाडु में वह कांग्रेस के लिए नायक बन जाता हैं । यह ऐसरे ही है जैसरे एक ओर तो कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी खुद को दतिात्ोय गोत्ीय कशमीरी रिाह्मण बतातरे हैं और वहीं दूसरी ओर राजनीतिक लाभ के लिए केरल में बीच सड़क पर अपनरे अनुयायियों सरे बछड़ा कटवाकर बीफ पाटटी करवातरे हैं । कहीं ना कहीं यह परेरियार की विरासत को दक्षिण में हथियानरे के लिए किए जा रहरे कुसतसत प्यास ही हैं जो परेरियार की हकीकत को ल्छपाए भी रखना चाहता है और उसका भरपूर लाभ भी उठाना चाहता है । ऐसरे में जरूरत है कि समूचा दरेि परेरियार को समग्ता में जानरे , मानरे या खारिज कररे । �
42 दलित आं दोलन पत्रिका vDVwcj 2021