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शूद्रों को चौथा वर्ण मानतरे थरे और दलित को पांचवां , जो मंदिर प्वरेि के अधिकारी नहीं है । उनहोंनरे मरतरे दम तक यह माना कि शूद्र और दलित अलग-अलग है । इस बात को उनहोंनरे सार्वजनिक मंचों सरे कई बार बिना किसी शर्म के कहा भी । तभी चरेतन मां दरेवी गुरुकुलम में हुयी एक घटना नरे पूररे तमिलनाडु को झकझोर दिया । हुआ यह कि वीवीएस अययर नरे लविरेष रूप सरे पकायरे भोजन को गुरुकुल के दो रिाह्मण विद्ालथदायों को ही दिया । यह घटना तमिलनाडु में बड़ा मुद्ा बन गयी । तुरंत इसका बहाना खड़ा कर सवदाप्थम परेरियार नरे रिाह्मण और गैर — रिाह्मण का हौवा राजय में खड़ा करना शुरू किया । यहीं सरे उनकी रिाह्मण और गैर — रिाह्मण की राजनीति की नींव पड़ी । इस मुद्दे के समाधान और सभी को समान अधिकार दरेनरे के लियरे एक राषट्वादी कांग्रेसी गावियकंद गणपथि सा्त्ुगल अययर सामनरे आयरे । उनहोंनरे कहा कि यद्लप गुरुकुल में एक भी दलित विद्ाथटी नहीं है , फिर भी एक दलित को गुरुकुल का बावचटी नियु्त किया जायरे । जिसके हाथों सरे पकाया भोजन सभी विद्ाथटी खायें । यही सामाजिक नयाय का सर्वश्रेषठ उदाहरण होगा । अययर संस्कृत के उत्कृषट विद्ान भी थरे । िरेलकन सामाजिक नयाय के कथित योद्धा परेरियार नरे कहा कि वो इस सुझाव को कभी भी ्वीकार नहीं करेंगरे । उनहोंनरे प्श्न खड़े कियरे कि कैसरे दलित का पकाया भोजन शूद्र खा सकता है । यह उनकी दलित विरोधी मानसिकता थी जिसका पालन उनहोंनरे आजीवन किया । हा्या्पद रूप सरे आज भी परेरियार को दलितों का मसीहा बताकर लोगों को बरगलाया जाता है । यह झूठ का पुलिंदा मात् है ।
देश तोडने के लिए किया हिन्ुत्व पर हमला
अपनरे दलित विरोधी विचारों के साथ ही उनहें अब यह लगा कि हिंदुतव का विनाश कर ही राषट् को तोड़ा जा सकता है । इसके लियरे जो रणनीति उनहोंनरे बनायी उसमें प्थम था रामायण को गालियां दरेना । रामायण को नीचा साबित करनरे के लियरे अनरेक पु्तकें लिखी गयीं ।
महाभारत को भी नहीं बखिा गया । हम सभी महान संत और कवि कंब सरे परिचित हैं जिनहोंनरे कंब रामायण लिखी थी । परेरियार नरे एक पु्तक ' कंब र्म ' लिखकर रामायण को बरेहद अशिीि तरीके सरे प््तुत किया । नीचता की पराकाषठा कर उनहोंनरे संत कवि कंब , भगवान राम और दरेवी सीता को जी भर गालियां दीं । परेरियार के इस कदम का शैव मतावलंबियों नरे तालियां
बजाकर ्वागत और समर्थन किया ्योंकि परेरियार वैषणव मत वालों पर हमला कर रहरे थरे । शैव मठों के प्मुख महंतों नरे , जिसमरे कुंद्राकुडी अडिगल भी ससममलित थरे , इसी कारण परेरियार का समर्थन किया । यही स्थलत थी उस समय तमिलनाडु में । िरेलकन कु्छ समय पशचात् जब परेरियार नरे तमिल शैव ' परेरिया पुराणम् ' पर भी हमला बोला तब शैवों को परेरियार की असल
साजिश का एहसास हुआ । फि्वरूप सभी सनातन मतावलंबी एकजुट होकर परेरियार के विरोध में आ गयरे । एक-एक कर सभी हिंदू ग्ंथ परेरियार के निशानरे पर आनरे लगरे । यहां तक कि उनहोंनरे तिरु्कुरल को भी हर संभव गालियां दरेनी प्ारंभ कर दी । परेरियार के शबदों में तिरु्कुरल " सोनरे की थाली में परोसी गयी मानव विषठा है ।" प्ाचीन तमिल महाकावय
सिलापथिकरम के रचनाकार इलांगो अडिगल , तोलकालपयर आदि जितनरे महापुरुष , जिनको तमिल हिंदू हृदय सरे पूजतरे थरे , उन सभी को परेरियार अपमानित करनरे लगरे । परेरियार की इस साज़िश के पी्छे एकमात् कारण यह था कि इन महापुरुषों और इनके द्ारा रचित सभी ग्ंथों सरे हिंदू , जिनहें वो पलवत् मानतरे हैं , गुमराह होकर इनसरे घपृणा करनरे लगें और इनसरे विमुख हो जायें ।
40 दलित आं दोलन पत्रिका vDVwcj 2021