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माधयम सरे अंग्रेजों नरे हमें कदम दर कदम तोड़ना शुरू कर दिया ।
आरंभ में बेहद आध्ात्मिक थे पेरियार
1916 में जस्टस पाटटी की ्थापना हुई और 1919 में परेरियार राजनीति में आयरे । इससरे पहिरे इनहें राजनीति में कोई नहीं जानता था । राजनीति के प्ारंभिक दिनों में वो राषट्भ्त और आधयासतमक थरे । उनहोंनरे आर्य और द्रलवड़ के विभाजन की अवधारणा को सिररे सरे नकारा भी । 1919 में एक पलत्का ' नरेिनलि्ट ' में िरेख लिखकर आर्य-द्रलवड़ विभाजन के सिद्धांत सिररे सरे नकारतरे हुयरे परेरियार नरे इसरे धोखा बताया । यहां तक कि जब उनहोंनरे अपनी प्थम पलत्का निकाली तो यरे लिखा कि वो यह कार्य ईशवर के दिवय आशीर्वाद सरे कर रहरे हैं । उनहोंनरे एक हिंदू संत सरे अपनी पलत्का के कार्यालय का उदघाटन भी करवाया । परेरियार नरे जस्टस पाटटी का विरोध सैद्धांतिक रूप सरे भी किया और अपनरे कायषों सरे भी । परेरियार और थिरू वीके नरे एक संगठन
बनाकर जस्टस पाटटी का तमिलनाडु में विरोध भी किया । फिर अचानक परेरियार नरे जस्टस पाटटी सरे संबंध बनानरे शुरू कियरे जिसके सभी सद्य अंग्रेजों के पिट्ठू थरे । सच्ाई यह थी कि जस्टस पाटटी बनानरे में अंग्रेजों का ही हाथ था । जस्टस पाटटी के कारण परेरियार की प्लसलद्ध और प्चार बढनरे लगा ।
कांग्रेस से अलगाव के बाद पेरियार में आया वैचारिक
भटकाव परेरियार तमिलनाडु के सर्वाधिक धनी वयस्त
थरे । उन दिनों जितनरे भी राषट्ीय नरेता तमिलनाडु आतरे थरे वो परेरियार के वयस्तगत् अतिथि हुआ करतरे थरे । उनका रहना , खाना-पीना सब परेरियार के घर पर ही होता था । परेरियार का परिवार इरोड का एक सममालनत और संपन् परिवार था । उनकी नरेतपृतव क्षमता का आकलन कर अंग्रेजों नरे उनहें जस्टस पाटटी में शामिल करनरे की योजना पर कार्य करना शुरू कर दिया । अंग्रेजों के इशाररे पर जस्टस पाटटी के कर्णधारों नरे परेरियार सरे
मिलना जुलना और उनसरे संबंध बनाना चालू कर दिया । परेरियार नरे भी उनका गर्मजोशी सरे ्वागत किया और थोड़े ही समय में दोनों के मधय नज़दीकी संबंध भी बन गयरे । तभी कतिपय आर्थिक अनियमितताओं को िरेकर परेरियार और कांग्रेस में गहरी दरार पड़ गयी । अधिकतर लोगों को इस बात की जानकारी आज भी नहीं है । दरअसल आंध्रप्दरेि के सं्थानम नरे चरेरन मां दरेवी गुरुकुलम को पांच हजार का दान दिया था । परेरियार पर आरोप था कि उनहोंनरे कांग्रेस के पैसरे का दुरुपयोग किया । परेरियार नरे अपनरे बचाव में कहा कि यह पैसा उसकी अनुमति लियरे बिना दिया गया । इसी आरोप के साथ परेरियार का कांग्रेस के साथ मतभरेद गहराता चला गया और उनहोंनरे ' सरेलफ रर्परे्ट मूवमेंट ' की शुरुआत कर दी । इस मूवमेंट के पी्छे अंग्रेजों की गहरी साज़िश थी और उनके व जस्टस पाटटी के अतिरर्त और किसी नरे भी इसका समर्थन तमिलनाडु में नहीं किया । शनै : शनै : परेरियार अंग्रेजों के बौद्धिक पयादा हो गयरे । अंग्रेजों के दृष्टिकोण का उनहोंनरे समर्थन करना शुरु कर दिया ।
पेरियार ने बताया शूद्रो को चौथा , दलितों को पांचवा
वर्ण यदि हम 1927 के पशचात् परेरियार के दियरे
हुयरे भाषणों के दरेखें तो सब राषट् और हिंदू विरोधी थरे । यदि इन भाषणों को गहराई सरे दरेखें तो आशचयदाजनक रूप सरे यरे दलित विरोधी थरे । इसका कारण यह है कि गांधी दलितों को मंदिरों में प्वरेि दिलानरे के लियरे उस समय सतयाग्ह आंदोलन कर रहरे थरे । गांधी नरे अपील की चूंकि आगम नियमों के मुताबिक शूद्र मंदिर के मंडप तक जा सकतरे हैं , दलितों को भी मंडप तक जानरे का अधिकार है । उनको भी यह अनुमति मिलनी चाहियरे परेरियार नरे तुरंत इस बात का प्लतवाद किया कि शूद्र और दलित समान हैं । उस काल में शूद्र मंडप तक जा सकतरे थरे । परेरियार नरे कभी यह नहीं कहा कि मंदिर प्वरेि के लियरे सभी वणषों को समान अधिकार है । वो
vDVwcj 2021 दलित आं दोलन पत्रिका 39