eMag_Oct 2021-DA | Page 38

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को सहन न कर सका । मुझरे जिसनरे जनम दिया उस लप्य और पलवत् मां पर यह हमला था । परेरियार के संपूर्ण साहितय पर शोध के बाद मुझरे तीव्र सांस्कृतिक चोट पहुंची और उनकी हिंदू दरेवी-दरेवताओं और मरेररे धर्म के प्लत घनघोर घपृणा दरेखकर मैं अतयलधक दुखी हो गया । परेरियार नरे दलितों के लियरे कु्छ भी नहीं किया बसलक उनहें दोयम दजदे का ही बनायरे रखा । अगर परेरियार सौ प्लतित रिाह्मण विरोधी थरे तो अ्सी प्लतित दलित विरोधी भी थरे ।"
पेरियार को आम्ेडकर के साथ जोडना गलत
वेंकटेशन की पु्तक का तमिल सरे अंग्रे़िी और हिंदी में अनुवाद आज तक ना हो पानरे के कारण परेरियार का असली चरेहरा दरेि के सामनरे प्कट नहीं हो पाया है । परिणाम ्वरूप परेरियार को दलित उद्धारक बतानरे और बाबा साहब आम्बेडकर के साथ उनको जोड़नरे का कुचक आज भी जारी है । िरेलकन यूट्ूब पर जारी वीडियो के द्ारा 24 मिनट के संबोधन में वेंकटेशन नरे परेरियार के दलित , राषट् और धर्म विरोधी एजेंडे का बरेरहमी सरे तथयों का संदर्भ दरेकर जो पो्टमार्टम किया है वो आंखें खोलनरे वाला है । वेंकटेशन कहतरे हैं कि अंग्रेजों नरे हम पर शासन करनरे के साथ ही यह समझ लिया था कि शायद वो भारत पर ्थाई रूप सरे शासन करनरे में असमर्थ होंगरे । ्योंकि उनके विरुद्ध निरंतर विद्रोह होनरे लगा था और इन घटनाओं को िरेकर वो बहुत चिंतित थरे । उनहोंनरे मंथन किया कि यदि उनहें भारत पर अपना शासन चलातरे रखना है तो किसी भी तरह विरोध की आग को बुझाना ही होगा । अपनरे उद्देशय की पूर्ति के लियरे उनहोंनरे विदरेि सरे अनरेक विद्ानों को भारत बुलाया । इन विद्ानों को यह पता लगाना था कि किन-किन उपायों और कार्यवाहियों सरे वो अनंत काल तक शासन कर सकतरे हैं । यही बात समझनरे के लियरे साररे आयातित गोररे विद्ान दरेि के लवलभन् राजयों में गयरे । एक ऐसरे ही गोररे विद्ान के अनुसार — " यदि हम भारत पर ्थाई रूप सरे शासन करना चाहतरे हैं तो हमें इस दरेि
को विभाजित करना और तोड़ना पड़ेगा । भारत एक ्वालभमानी राषट् है और हमें सवदाप्थम भारतीयों के ्वालभमान को नषट करना होगा । इस राषट् की नींव हिंदू आधयासतमकता है जिसरे सवदाप्थम जड़ सरे उखाड़ फेंकना है । यदि हम ऐसा करनरे में असफल रहरे तो हम भारत पर लंबरे समय तक शासन नहीं कर पायेंगरे । इसी हिंदू संस्कृति को हमें अपमानित , हीन और पूरी तरह धव्त करना होगा । हिंदू दरेवी-दरेवताओं को लोगों की निगाहों सरे गिराना होगा । इससरे भी महतवपूर्ण बात यह है कि उनकी भाषा को नीचा साबित करना होगा । हमें यह भी प्का करना होगा कि भारतीय हमारी इन बातों पर विशवास भी करनरे लगरे जाएं कि उनकी संस्कृति नीच है । इसमें कु्छ भी अच्छा नहीं है । इस प्कार भारतियों को मानसिक रूप सरे अपना गुलाम बना िरेना ही उनपर शासन करनरे का एकमात् उपाय है ।"
आर्य — द्रतवड विवाद अं ग्रेजों की साजिश का नतरीिा
उपयुदा्त सारी सं्तुलतयां आयातित गोररे विद्ानों के शोध सरे निकल कर सामनरे आयीं और अंग्रेजों नरे ततपरता सरे इसपर कार्य करना प्ारंभ कर दिया । सवदाप्थम कालडवरेि नरे ' ए ग्ामर ऑफ द्रलवलड़यन लैंग्वेजरेस ' लिखी । साथ ही यह भी लिखा कि सारी भारतीय भाषाएं तमिल सरे ही उपजी हैं और संस्कृत का तमिल सरे कोई संबंध नहीं है । इसके तुरंत पशचात् ऐसरे ही िरेखों कि बाढ आनरे लगी । इसी समय अंग्रेजों नरे निर्णय लिया कि भारत को तोड़नरे के लियरे उनहें अपनरे भारतीय समर्थकों के साथ ही उन कतिपय नरेताओं की भी आवशयकता है जो उनकी साजिश को अंजाम दरे सकें । इसलियरे अंग्रेजों के इशाररे पर ततकािीन मद्रास प्ांत में टीएम नायर , सर लपतिी तरेइगरिया आदि नरे जस्टस पाटटी का गठन किया । प्ारंभ में यह गैर — राजनीतिक थी परंतु शनै : शनै : राजनीति में शामिल होनरे लगी । जस्टस पाटटी नरे ही सवदाप्थम रिाह्मण और गैर — रिाह्मण की अवधारणा तमिलनाडु में पैदा की । ऐसी विभाजनकारी अवधारणा तमिलनाडु में इसके पहिरे अनुपस्थत थी । हमाररे अपनरे ही लोगों के
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