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दें । प्भु राम उनके परिवार को इस दुख की घड़ी में इस दुख को सहन करनरे की शक्त दें ।“
5 जनवरी 1932 को जन्मे कलयाण सिंह जी के पांच दशक सरे अधिक लंबरे सार्वजनिक जीवन के प्त्येक कालखंड का ्मरण एक विशिषट ऊर्जा का संचार करता है । चाहरे मर्यादा पुरुषोतिम भगवान श्ीराम के मंदिर निर्माण महायज् में अपनी आहुति
लगानरे वालों की बात हो या संकलप पूर्ति हरेतु सतिा को तिलांजलि दरेनरे वालों की , अपनी दूरदिटी नीतियों सरे सतिाधारियों के लिए नवीन मानक ्थालपत करनरे वालों की बात हो या जन कलयाण में ्वयं को होम कर दरेनरे की , कलयाण सिंह का नाम सदैव ्मरण किया जाएगा ।
गांव की पगड़ंलडयों सरे होतरे हुए राजनीति का ‘ सिंह ’ बननरे वािरे उतिर प्दरेि के पूर्व मुखयमंत्ी , दो राजयों के राजयपाल तथा श्ी राम मंदिर आंदोलन के प्णरेताओं में सरे एक श्ी कलयाण सिंह भिरे ही 21 अग्त 2021 को सशरीर हमाररे बीच नहीं रहरे , किनतु धर्म , राजनीति सतिा और वयव्था में उनहोंनरे जो लकीरें खींची वरे सदैव अलव्मरणीय रहेंगीं । एक ओर लालू प्साद व मुलायम सिंह जैसरे नरेता राम द्रोही के रूप में जानरे जातरे हैं वहीं कलयाण सिंह को सदैव एक प्खर राम भ्त के रूप में चिरकाल तक जाना जाएगा ।
अपनरे एक िरेख में मुखयमंत्ी योगी आदितयनाथ जी लिखतरे हैं कि “ वह वयव्था के संचालन में हनक और धमक के प्योगधमटी थरे तो लोकजीवन
में लोकराज और ग्ामराज के पक्षधर भी । उनका सूत् था कि ‘ सतिा धमक व इकबाल सरे चलती है । इससरे लस्टम कोलैपस नहीं होता है । राजनरेता का काम लस्टम को बनाए रखना है ।’ वैचारिक दृष्टि सरे वह पंडित दीनदयाल उपाधयाय जी के ‘ एकातम मानववाद ’ सरे प्भावित थरे । इसीलिए उनकी चिंता में समाज के प्त्येक पीड़ित और वंचित वयस्त का दर्द और उसका समाधान ढटू ़ंढनरे की चरेषठा शामिल थी । एकातम-मानववाद की मीमांसा में वह कहतरे थरे कि ‘ परेट को आहार , मन को पयार , मस्तषक को विचार और आतमा को सं्कार , इन चारों का समुच्य ही एकातम- मानववाद है ।’ उनका मानना था कि रोटी , कपड़ा और मकान मानवीय जरूरतों का सिर्फ एक लह्सा हैं । इससरे मानवता परिपूर्ण नहीं होती । परेट के लिए आहार अनिवार्य है , िरेलकन मनुषय के पास एक अंत : करण भी है जिसरे पयार चाहिए । सच्ा अंत : करण वही है जो स्नेह , करुणा और समानुभूति सरे आपिालवत हो । समानुभूति का अर्थ है पीड़ित वयस्त के बराबर पीड़ा की अनुभूति । इसके आगरे सहानुभूति बहुत ही सीमित अर्थ वाला शबद है । इन विचारों सरे सहज अनुमान लगाया जा सकता है कि कलयाण सिंह जी कतार में अंतिम पायदान पर खड़े वयस्त के साथ कितनी गहरी संवरेदना के साथ जुड़े हुए थरे ।
1991 व 1999 में वरे चाहरे सीमित काल खंड में ही मुखयमंत्ी रहरे किनतु ्छोटे कालखंड में बड़े कीर्तिमान उनके नाम हैं । शिक्षा के निरंतर गिरतरे ्तर में आमूल-चूल बदलाव हरेतु प्लसद्ध “ नकल विरोधी कानून ” का साहस उनहोंनरे ही दिखाया । अपराधियों पर नकेल कसनरे हरेतु यूपी पुलिस में ‘ स्पेशल टा्क फोर्स ’ का गठन आज भी आतंकियों व गेंग्टरों के लिए प्ाणघातक बना हुआ है । ग्ाम विकास हरेतु ग्ाम पंचायतों को “ ग्ाम सचिवालय ” उनहोंनरे ही दिए । किसानों के लिए “ ग्ाम जोत बही ” की घोषणा सरे राजय के अन्दाताओं को बड़ा संबल मिला । उतिर-प्दरेि के पूर्वाञ्चल व बुंदरेिखंड जैसरे वंचित व लप्छड़े क्षरेत्ों के लिए ही तो उनहोंनरे पूर्वाञ्चल विकास निधि व बुंदरेिखंड विकास निधि बनाई थी ।
मात् 35 वषटीय कलयाण सिंह 1967 में पहली
बार अलीगढ की अतरौली विधानसभा सीट सरे जीत कर यूपी विधान सभा में पहुंचरे । हालांकि , 1962 में अलीगढ की इसी अतरौली विधानसभा सीट पर 30 साल के कलयाण सिंह , जब जनसंघ की ओर सरे िड़े तो उनके हिस्से में हार आई थी किनतु , 1967 तक के पांच वषषों में कलयाण सिंह जी नरे खुद को खूब तपाया , जलाया और गलाया । उसका परिणाम यह रहा कि जब वह 1967 में जीतरे तो ऐसरे जीतरे कि 1980 तक लगातार विधायक रहरे । वरे 9 बार विधायक रहरे । बुलंदशहर की डिबाई विधानसभा सीट सरे भी वरे दो बार विधायक बनरे । किनतु बाद में उनहोंनरे वह सीट ्छोड़ दी । वरे दो बार मुखयमंत्ी बनरे । 2004 व 2009 में दो बार सांसद भी चुनरे गए । 2014 में वरे राज्थान के राजयपाल बनरे ।
कल्याण सिंह जी राषट्ीय ्वयं सरेवक संघ सरे जनसंघ में आए थरे । जब जनसंघ का जनता पाटटी में विलय हुआ और 1977 में उतिर प्दरेि में जनता पाटटी की सरकार बनी तो रामनररेि यादव सरकार में उन्हें ्वा्थय मंत्ी बनाया गया । 6 अप्ैि 1980 को भाजपा के गठन के बाद उनहें पाटटी का प्दरेि महामंत्ी बना कर प्दरेि पाटटी की कमान भी सौंप दी थी । इसी बीच अयोधया आंदोलन की शुरुआत हो गई जिसमें उनकी गिरफतारी नरे कार्यकर्ताओं में उतसाह का संचार किया । उनहोंनरे ततकािीन मुखयमंत्ी मुलायम सिंह यादव के विरुद्ध बिगुल फू ंक दिया । राम मंदिर आंदोलन की वजह सरे उतिर प्दरेि सहित पूररे दरेि में भाजपा का उभार हुआ और जून 1991 में भाजपा नरे उतिर प्दरेि में पूर्ण बहुमत सरे सरकार बनाई ।
जीवन पयांत वरे गरीबों , वंचितों , शोषितों , किसानों , युवाओं व महिलाओं के कलयाण में लगरे रहरे । दरेि , धर्म , संस्कृति व राजनीति में उनके लविरेष योगदान के कारण ही अयोधया में राम मंदिर की ओर जानरे वािरे मार्ग का नाम कलयाण मार्ग रखरे जानरे की घोषणा की गई है । वरे सच्चे अथषों में कलयाण मार्ग के ही पथिक थरे जो सदैव हम सभी को प्रेरणा दरेतरे रहेंगरे ।
( लेखक विशि हिनिू पररर्ि के राष्ट्रीय प्रवकता हैं )
vDVwcj 2021 दलित आं दोलन पत्रिका 25