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यूपरी के इस कािरी मंदिर में 200
सालों से दलित हरी हैं पुजाररी ns
श के कु्छ हिस्से में दलितों के उतपीड़न की खबरों के बीच यूपी के इटावा लजिरे की 200 साल पुरानी परंपरा में सामाजिक समरसता और जातीय एकता की दिशा में आशा की किरण नजर आ रही है । इटावा जनपद के लखना कस्बे में यमुना नदी के किनाररे बनरे मां काली के मंदिर में आनरे वािरे श्द्धािु चाहरे वरे रिाह्मण हों या ठाकुर और वैशय , सभी वहां के दलित पुजारी के आगरे श्द्धापूर्वक सिर झुकातरे हैं और उनकी मदद सरे सभी धार्मिक सं्कार संपन् करातरे हैं । पुरोहित अलखिरेि और उनके भाई अशोक कुमार बतातरे हैं कि लप्छिरे 200 सालों सरे सिर्फ दलित ही इस काली मंदिर के पुरोहित हैं । इन दोनों के पूर्वज ्छोटे लाल इस मंदिर के पहिरे पुरोहित थरे । रिाह्ण , ठाकुर और वैशय श्द्धािु पड़ोसी राजय राज्थान और मधय प्दरेि सरे भी यहां आतरे हैं । इलाके के
बिॉक के प्मुख तिरभुवन सिंह के मुताबिक मंदिर के पुजारी सभी उच् जातियों के लोगों के लिए पूजनीय होतरे हैं , जो उनहें माला और फल भेंट करतरे हैं । दलित पुजारी हवन — पूजन और सभी कर्मकाणड संपन् करातरे हैं , प्ाथदाना करतरे हैं और भ्तों को आशीर्वाद दरेतरे हैं ।
इस परंपरा की शुरुआत वर्ष 1820 में हुई थी , जब ्थानीय प्िासक जसवंत राव नरे मंदिर का निर्माण कर ्छोटे लाल को पहला पुजारी घोषित किया था । उनहोंनरे ऐसा दलित जाति को सममान दरेनरे के लिए किया था । लखना में किरानरे की दुकान चलानरे वािरे दशरथ सिंह बतातरे हैं कि राजा जसवंत राव नरे दलित समाज के वयस्त को ही इस मंदिर का पुजारी नियु्त किए जानरे को अनिवार्य बना दिया था । दलित समुदाय सरे तालिुक रखनरे वािरे ्थानीय निवासियों के मुताबिक हमाररे पूर्वज हमें बताया करतरे थरे कि
मंदिर के निर्माण के व्त राजा जसवंत राव उच् जाति के लोगों द्ारा दलित मजदूर ्छोटे लाल की पिटाई सरे नाराज हो गए । उसनरे मंदिर में ्थालपत होनरे वाली प्लतमा को ्छटू लिया था । उनहोंनरे यह आदरेि जारी किया कि ्छोटे लाल और उसके आनरे वाली पीढी ही इस मंदिर की दरेखभाल कररेगी । इस इलाके के सभी ्थानीय निवासी आम तौर पर दलित पुजारी को ही शादी , मुंडन और अनय सं्कार के लिए भी बुलातरे हैं । वाकई , वर्ग संघर्ष और जातिवाद को हिनदू समाज की नियति मान चुके लोगों को 200 साल पुरानरे इस ्थान को दरेखनरे की जरूरत है , जहां दलित समुदाय सरे तालिुक रखनरे वािरे पुजारी को उच् दर्जा प्ापत होता है । यह पूररे हिनदू समाज के लिए प्रेरणा का स्ोत है और सामाजिक समरसता की भावना को सुदृढ़ करनरे की राह दिखानरे वाला है । �
16 दलित आं दोलन पत्रिका vDVwcj 2021