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सामाजिक समरसता को मजबूतरी दे रहे दलित पुजाररी
श्रीराम जन्मभूमि मंदिर को सामाजिक समरसता का प्रमुख के न्द्र बनाने की तैयाररी विहिप ने पांच हजार दलितों को बनवाया मंदिरों का पुजाररी
पवन कुमार ns
श में जातीय भरेदभाव मिटानरे की दिशा में चल रहरे विशव हिंदू परिषद के प्यास अब काफी तरेजी सरे सफल होतरे दिख रहरे हैं । यह विहिप के प्यासों का ही नतीजा है कि सदियों तक दलित समाज के साथ भरेदभाव का केनद्र रहरे मंदिरों के दरवाजों पर पड़ी रूलढयों की बेड़ियां ही नहीं टटूटी हैं बसलक भ्त और भगवान के बीच की कड़ी की भूमिका निभानरेवािरे पुजारियों के तौर पर भी मंदिरों में बड़े पैमानरे पर दलित समाज के लोगों को ्थान मिल रहा है और मंदिरों में पुजारी के रूप में दलितों की नियुक्तयां हो रही हैं ।
श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में होंगे दलित पुजाररी
नवंबर 1989 को जब राम मंदिर का शिलानयास हो रहा था , तब पहली ईंट बिहार के दलित कार्यकर्ता कामरेशवर चौपाल के हाथों रखवाई गई थी । हालांकि उस व्त इसके जरिए यह संदरेि दरेनरे का प्यास किया गया कि राम
मंदिर आंदोलन के पी्छे संपूर्ण हिंदू समाज खड़ा है । राम मंदिर का निर्माण होनरे के बाद वहां पर यदि दलित पुजारी की नियुक्त होती है , तो ्वाभाविक तौर पर विहिप को सबसरे जयादा खुशी होगी । यही वजह है कि विहिप दलित पुजारियों को तैयार करनरे में लंबरे समय सरे जुटा हुआ है । विहिप में इसके लिए धर्माचार्य संपर्क विभाग और अर्चक पुरोहित विभाग बनाया गया है । अनुसूचित वर्ग के लोगों को पूजा-पाठ के लिए प्लिक्षित कर पुजारी बनानरे का अभियान शुरू किया गया है । विहिप की सोच है कि अयोधया के राम मंदिर सरे सामाजिक समरसता का एक नया अधयाय शुरू हो । राम मंदिर में हिंदू समाज के वंचित लोगों , अर्थात दलितों को पुजारी बननरे का हक लमिरे । हालांकि यह सब मंदिर निर्माण ट््ट के अधिकार क्षेत्र में आता है , िरेलकन विहिप का ऐसा विशवास है कि श्ीराम जनमभूमि तीर्थ क्षेत्र में दिवय — भवय मंदिर का निर्माण होनरे के बाद वहां दलित पुजारियों को रखा जा सकता है । इसके लिए विहिप का ' अर्यक पुरोहित विभाग ' दलित समुदाय के लोगों को
खास तरह की ट्ेलनंग दरे रहा है । विहिप के प्व्ता विनोद बंसल बतातरे हैं कि अयोधया में राम मंदिर बनानरे के लिए गठित ट््ट के जरिए पुजारियों का भी चयन होना है । विहिप को उममीद है कि राम मंदिर के लिए जो भी ट््ट बनरेगा , वह सामाजिक समरसता के महतव को धयान में
14 दलित आं दोलन पत्रिका vDVwcj 2021