eMag_Nov2023_Dalit Andolan Patrika | Page 44

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संसदरीय लोकतंत् के विरुद्ध है वामपंथ : डा . आंबेडकर

एस . सविवेदी

आज पूरे देश में बाबा साहब डा . भरीम राव आंबेडकर के विचारों पर चर्चा करी जा रहरी है । इस चर्चा के बरीच उन ्तमाम वैचारिक पहलुओं पर गौर करना जरुररी है जो बाबा साहब आंबेडकर करी विचारधारा के मूल धरोहर हैं । ि्तमामान भार्त में राजनरीद्तक अथवा कद्तप्य कारणों से जिन विचारधाराओं के बरीच परसपर टकराव दिख रहा है , उन विचारधाराओं का ्तुलनातमक विशलेषण बाबा साहब के वैचारिक मूल्यों के आधार पर दक्या जाना बेहद रोचक होगा । आज मूल रूप से संघ के राष्ट्रवाद एवं वामपंथ सदह्त कांग्ेस के सेक्युलरिजम के बरीच एक वैचारिक बहस चल रहरी है । लिहाजा इस बा्त पर विचार जरुररी है कि इन विचारधाराओं पर बाबा साहब किसके सर्वाधिक कररीब नजर आ्ते हैं और किसको सिरे से खारिज कर दे्ते हैं ?

्तमाम ्त्थ्य एवं बाबा साहब के भाषणों के आधार पर इ्तना ्तो कहा हरी जा सक्ता है कि बाबा साहब वामपंथ को संसदरी्य लोक्तंत् के विरुद्ध मान्ते थे । 25 नवमबर 1949 को संविधान सभा में बोल्ते हुआ बाबा साहब ने कहा था कि ' वामपंथरी इसलिए इस संविधान को नहीं मानेंगे क्योंकि ्यह संसदरी्य लोक्तंत् के अनुरूप है और वामपंथरी संसदरी्य लोक्तंत् को मान्ते नहरी हैं I ' बाबा साहब के इस एक वक्तव्य से जाहिर हो्ता है कि बाबा साहब जैसा लोक्तांदत्क समझ का व्यक्तिति वामपंदथ्यों के प्रद्त दक्तना विरोध रख्ता होगा ! ्यह बा्त अलग है कि बाबा साहब के सपनों को सच करने का ढोंग आजकल वामपंथरी भरी रचने लगे हैं । खैर , बाबा साहब और कांग्ेस के बरीच का वैचारिक
साम्य कैसा था ? इसका अंदाजा इसरी बा्त से लगा्या जा सक्ता है कि बाबा साहब जिन मुद्ों पर बाबा साहब अडिग थे , कांग्ेस उन मुद्ों पर आज भरी सहम्त नहीं है । जैसे-समान नागरिक संदह्ता , अनुचछेद 370 करी समाप्ति , संस्कृत को राजभाषा बनाने करी मांग एवं आर्यों के भार्तरी्य मूल का होने का समर्थन ।
बाबा साहब देश में समान नागरिक संदह्ता चाह्ते थे और उनका दृढ म्त था कि अनुचछेद-370 देश करी अखंड्ता के साथ समझौ्ता है । भाजपा-संघ सदह्त एकाध दलों को छोड़कर कांग्ेस सदह्त कोई भरी राष्ट्ररी्य दल अथवा छोटे दल इन मुद्ों पर बाबा साहब के विचारों का समर्थन कर्ते हैं ्या नहीं , इस पर
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