eMag_Nov2023_Dalit Andolan Patrika | Page 34

भरील जनजाति की लोक- सांस्कृ तिक चेतना

संधया पांडेय

अनेक जाद्त्यों-जनजाद्त्यों , धर्म पंथों ्तथा संस्कृति संप्रदा्यों का भार्त

भंडार है । हमाररी भार्तरी्य सामाजिक व्यवसथा में जनजाद्त्यों का अत्यं्त महतिपूर्ण सथान है । जनजाद्त , जिनहें हम वनवासरी ,
आदिवासरी एवं भूमिजन के नाम से जान्ते हैं , भार्त के विभिन्न प्रां्तों में निवास कर्तरी हैं । नगर से दूर वन्य प्रदेशों और बरीहड़ जंगलों में प्राकृद्तक जरीिन व्य्तरी्त करने वालरी इन आदिम जाद्त्यों करी लोक-संस्कृति में धर्तरी करी सोंधरी खुशबू प्राकृद्तक वा्तावरण में पललदि्त और पुसष्प्त हो्तरी
है । वास्तव में ्ये वनवासरी वन-पुत् हैं । गिलिन और गिलिन ने अपनरी रचना ' कलचरल एंथ्ोपोलॉजरी ' में जनजाद्त को परिभादष्त कर्ते हुए लिखा है कि सथानरी्य जनजा्तरी्य समूहों का ऐसा समवा्य जनजाद्त कहा जा्ता है जो एक सामान्य षिेत् में निवास कर्ता है , एक सामान्य भाषा का
34 uoacj 2023