eMag_Nov2023_Dalit Andolan Patrika | Page 31

इसलिए दियया मंष्त्रमंडल सरे इस्तीफा
1951 में संसद में जब आंबेडकर का ‘ हिनदू कोड बिल ’ के मसौदे को रोक दद्या ग्या , ्तो उनहोंने अपना इस्तरीिा दे दद्या था । उनके इस मसौदे मे उत्तराधिकार , विवाह और अर्थव्यवसथा के कानूनों में लैंगिक समान्ता करी मांग करी गई थरी । हालांकि , प्रधानमंत्री नेहरू , कैबिनेट और कई अन्य कांग्ेसरी ने्ताओं ने इसका समर्थन दक्या था , पर संसद सदस्यों करी एक बड़ी संख्या इसके विरुद्ध थरी । इसके बाद आंबेडकर ने 1952 में लोक सभा का निर्दलरी्य चुनाव लड़े । इसमें उनहें हार का सामना करना पड़ा था । 1952 मे
उनहें संसद के ऊपररी सदन ्यानि राज्य सभा के लिए दन्युक्त दक्या ग्या और इसके बाद उनकरी मृत्यु ्तक वो इस सदन के सदस्य रहे ।
भटक गयरे ‘ बयाबया सयाहब ’ को मयाननरे वयालरे
डा . आंबेडकर के जरीिनकाल में किसरी ने ्यह नहीं सोचा था कि ‘ आंबेडकर के दसद्धां्त ’ को आधार बना सत्ता भरी हासिल करी जा सक्तरी है , लेकिन कांशरीराम और मा्याि्तरी ने ्यह कर दिखा्या । इनके अलावा कई अन्य ददल्त चेहरों ने भरी बाबा साहब के दसद्धां्तों से राजनरीद्तक पृष्ठभूमि बनाने में काम्याबरी हासिल करी । ्यहां ्तक ्तो िरीक
था , लेकिन इसके बावजूद कोई भरी ने्ता उनके कद का ददल्त आंदोलन को नहीं मिला , जिसे एक बिडमबना हरी कहरी जा्येगरी । आंबेडकर के बाद जिस ्तरह से एक-एक ने्ता पनपना चाहिए था वो नहीं हुआ । अंदरूनरी कलह , जलन और राजनरीद्तक घा्तों के चल्ते वे बिखर्ते चले गए । लोदह्या के साथ उनहोंने भविष््य करी राजनरीद्त को दिशा देने के लिए रिपसबलकन पािगी जैसा विकलप ्तो रखा , पर वो भरी बाद में काम्याब नहीं रहा । बसपा सदह्त लगभग सभरी पार्टि्यां भरी थोड़ी बहु्त सफल्ताओं के बाद हरी अपने रास्ते से पूररी ्तरह भटक्तरी हुईं दिखाई दे रहरी हैं । कुल मिलाकर ि्तमामान में ने्ताओं द्ारा बाबासाहेब का दचत् और प्रद्तमाएं लेकर ददल्त समाज को भावुक कर अपने वोटबैंक करी राजनरीद्त को साधने का प्र्यास जाऱरी है । अगर बाबासाहब अभरी जरीदि्त हो्ते ्तो ्यह सब देखकर निश्चित हरी ि्तमामान परिससथद्त्यों को लेकर शदमांदा हो्ते ।
बयाबया सयाहब की प्रमुख पुस्कें
बाबा साहब ने कई पुस्तकों का लेखन दक्या , जिनमें प्रमुख हैं : हू वेर शुद्रा ?, द बुद्धा एंड हिज धममा , थॉटस ऑन पाकिस्तान , अनहिलेशन ऑफ कासटस , आइदड्या ऑफ ए नेशन , द अनटचेबल , फिलोस्फी ऑफ हिंदुइजम , सोशल जससिस एंड पॉलिटिकल सेफगार्ड ऑफ डिप्रेसड कलासेज , गांधरी एंड गांधरीइजम , ह्ाि कांग्ेस एंड गांधरी हैव डन टू द अनटचेबल , बुद्धिसि रेवोल्यूशन एंड काउंटर-रेवोल्यूशन इन एनशिएंट इंदड्या , द डिकलाइन एंड फॉल ऑफ बुद्धिइजम इन इंदड्या ।
बाबा साहब आज भले हरी हमारे बरीच में उपस्थित नहीं हैं , लेकिन उनहोंने एक सफल जरीिन जरीने का जो मंत् दद्या , उस पर चलकर हम एक नए भार्त करी ओर बढ सक्ते हैं । वह हम सब के दल्ये प्रेरणास्रोत के रूप में ्युगों-्युग ्तक उपस्थित रहेंगे । उनके विचार , उनकरी जरीिनशैलरी और उनका काम करने का ्तररीका हमेशा हमें उत्साहित कर्ता रहेगा । साथ हरी उनकरी विरास्त को आगे बढाने करी जिममेदाररी भरी हमारे हरी कनधों पर रहेगरी , जिससे देश भर में समान्ता , दशषिा का प्रसार और महिलाओं को अधिकार मिलने का उनका लक््य पूरा हो सके । �
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