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इसके अलावा संविधान में बहु्त से ऐसे प्रावधान है जो अनुसूदच्त जाद्त्यों के दह्तों को संरदषि्त और संिदधमा्त कर्ते हैं जैसे- अनुसूदच्त जाद्त आ्योग ( अनुचछेद 338 ), असपृश्य्ता का उनमूलन ( अनुचछेद 17 ), प्रोन्नद्त में आरषिण ( अनुचछेद 16-4 क ), राज्य अनुसूदच्त जाद्त्यों , अनुसूदच्त जनजाद्त्यों और अन्य दुर्बल िगथों के लिए दशषिा और अर्थ संबंधरी दह्तों करी अभिवृद्धि करेगा ( अनुचछेद 46 ), सिविल अधिकार संरषिण अदधदन्यम 1955 इत्यादि ।
भार्त में ददल्तों का जो सशक्तरीकरण हुआ है वह आरषिण व्यवसथा करी देन है । आरषिण व्यवसथा से इस वर्ग को निम्नदलदख्त लाभ हुए हैं- आरषिण व्यवसथा से हरी विधाद्यका , प्रशासन , दशषिण संसथाओं , अन्य सरकाररी प्रद्तष्िानों में उनकरी भागरीदाररी सुनिश्चित हुई है । जिस षिेत् में आरषिण नहीं है वहां पर उनकरी भागरीदाररी नगण्य है जैसे- राज्यसभा , विधानपरिषद , सिषोच्च न्या्याल्य , उच्च न्या्याल्य , सेना , व्यापारिक प्रद्तष्िान , उद्योग धनधे एवं प्राइवेट सेकिर इत्यादि । शैषिदणक संसथाओं में आरषिण मिलने से इस वर्ग के बच्चे भरी उच्च एवं व्यावसाद्यक दशषिा प्राप्त कर महतिपूर्ण पदों पर आसरीन हैं । इस प्रकार
राष्ट्र निर्माण करी प्रदक्र्या में वे भरी अपना अमूल्य ्योगदान दे रहे हैं । आरषिण व्यवसथा के कारण सभरी वर्ग के सदस्यों को आगे बढ़ने के समान अवसर मिल्ते है , जिससे समाज में गद्तशरील्ता बनरी रह्तरी है जो राष्ट्र को मजबू्तरी प्रदान कर्तरी है । अधिकांश ददल्त , गररीब एवं शोदष्त है । प्रा्यः उनकरी कोई राजनरीद्तक विरास्त नहीं है । पंचा्य्तें उनके लिए प्रदशषिण का का्यमा कर रहरी हैं जिसके परिणामसिरूप उनके अंदर ने्तृति करी षिम्ता का विकास हो रहा है । जिसके बल पर वह राज्य एवं केनद्र करी राजनरीद्त में महतिपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं । ्यह सब पंचा्य्त में आरषिण मिलने के कारण संभव हुआ है ।
अं्त में अगर ध्यान दद्या जा्ये ्तो जिस उद्ेश्य को ध्यान में रखकर ददल्तों को आरषिण प्रदान दक्या ग्या है , वह अभरी ्तक पूरा नहीं हुआ है , अ्तः जब ्तक उद्ेश्य पूरा न हो इसे समाप्त नहीं दक्या जा सक्ता । ्यह कहना कि आरषिण केवल 10 िषथों के लिए था ्यह गल्त है । आरषिण के लिए संविधान में कोई सम्य सरीमा निर्धारर्त नहीं करी गई है । अनुचछेद 330 व 332 के ्तह्त आने वाला राजनरीद्तक आरषिण संविधान लागू होने से 10 वर्ष के लिए था जो संविधान संशोधन द्ारा सम्य- सम्य पर बढ़ा्या जा्ता रहा है ।
बहु्त से संगठन और समुदा्य ्यह मांग कर्ते रहे हैं कि जाद्त पर आधारर्त आरषिण को समाप्त कर देना चाहिए ्तथा उसके सथान पर आर्थिक आधार पर आरषिण देना चाहिए क्योंकि सामान्य वर्ग में भरी बहु्त से ऐसे लोग हैं जो गररीब हैं । जो लोग ऐसरी मांग कर्ते हैं वे आरषिण के आधार को नहीं जान्ते हैं । भार्त में आरषिण का दो आधार है- राज्य के अधरीन सेवाओं में उक्त वर्ग का प्यामाप्त प्रद्तदनदधति न हो ्तथा वह वर्ग सामाजिक ्तथा शैदषिक दृष्टि से पिछड़ा हुआ हो । सामान्य वर्ग का प्रद्तदनदधति ्तो पहले से हरी ज्यादा है । हॉलाकि हमाररी सहानुभूद्त सामान्य वर्ग के उस गररीब जन्ता के साथ है लेकिन उनहें आरषिण करी नहीं अदप्तु आर्थिक सह्योग करी जरूर्त है , जिसके लिए सरकार बहु्त सरी कल्याणकाररी ्योजनाएं चला रहरी है । आरषिण का लाभ सभरी को नहीं मिला है । इसका लाभ केवल कुछ लोगों को हरी मिला है । अ्तः आरषिण का लाभ सभरी को मिले ्यह सबसे बड़री चुनौ्तरी है । आरषिण व्यवसथा करी समीक्षा होनरी चाहिए और इसे ज्यादा प्रभावशालरी बनाने के लिए कारगर उपा्य अपना्ये जाने चाहिए जिससे सभरी को सामान्य रूप से आरषिण का लाभ मिल सके । �
28 uoacj 2023