eMag_Nov2023_Dalit Andolan Patrika | Page 27

हरी आरषिण कहला्ता है । भार्तरी्य संविधान नागरिकों के बरीच भेदभाव का निषेध कर्ता है ्तो फिर आरषिण करी आवश्यक्ता एवं औचित्य क्या है ? राष्िरी्य स्वतंत्रता आनदोलन के दौरान हरी ्यह अनुभव कर दल्या ग्या था कि राष्ट्र के समग् विकास के लिए आर्थिक ्तथा सामाजिक दृष्टि से पिछड़े ्तथा शोदष्त िगथों का उतथान आवश्यक है । भार्तरी्य संविधान निर्मा्ता इस ्त्थ्य से पररदच्त थे , इसलिए उनहोंने ददल्तों के लिए आरषिण करी वकाल्त करी । वैसे भार्त में ददल्त आरषिण करी शुरुआ्त पूना पैकि 1932 से हो्तरी है , लेकिन ्यह केवल विधाद्यका के षिेत् में था । व्यापक आरषिण करी शुरुआ्त संविधान लागू होने के बाद हो्तरी है ।
विधाद्यका में आरषिण- विधि निर्माण में ददल्तों करी सहभादग्ता सुनिश्चित हो इसके लिए संविधान के अनुचछेद 330 के ्तह्त लोकसभा ्तथा अनुचछेद 332 के ्तह्त राज्य करी विधानसभाओं में अनुसूदच्त जाद्त्यों को उनके जनसंख्या के अनुपा्त में आरषिण प्रदान दक्या ग्या है ।
सरकाररी नौकरर्यों में आरषिण- संविधान के अनुचछेद-161 / 441 / 2 के अनुसार “ राज्य सामाजिक ्तथा शैदषिक दृष्टि से पिछड़े िगथों के लिए दन्युसक्त्यों और पदों के आरषिण के लिए विशेष उपबनध कर सक्ता है ्यदि उसकरी रा्य में उन िगथों का राज्य के अधरीन सेवाओं में प्यामाप्त प्रद्तदनदधति नहीं है । इसरी के आधार पर
अनुसूदच्त जाद्त्यों को सरकाररी नौकरर्यों में आरषिण दद्या ग्या है । इस प्रकार आरषिण करी दो शर्ते निर्धारर्त करी गई है- राज्य के अधरीन सेवाओं में उक्त वर्ग का प्यामाप्त प्रद्तदनदधति न हो ्तथा वह वर्ग सामाजिक ्तथा शैदषिक दृष्टि से पिछड़ा हुआ हो । इसलिए कोर्ट ने आर्थिक आधार पर अगड़े के लिए आरषिण करी मांग को खारिज कर चुका है ।
दशषिण संसथाओं में आरषिण- संविधान के अनुचछेद 15 / 4 में कहा ग्या है कि राज्य सामाजिक ्तथा शैदषिक दृष्टि से पिछड़े नागरिकों ्या अनुसूदच्त जाद्त ्या अनुसूदच्त जनजाद्त करी उन्नद्त ्तथा दशषिा संसथाओं में प्रवेश के लिए विशेष प्रावधान कर सक्ता है ।
uoacj 2023 27