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दलित उत्ान में आरक्षण की भूमिका
डा . संगीता रानी
आज हम जहां आधुनिक समाज करी बा्त कर रहे हैं ्तथा पूरा विशि एक मुट्ठी में सिमट कर रह ग्या है , वहीं हमारे समाज में आज भरी एक बहु्त बड़री आबादरी उस समुदा्य करी है , जो अपने मूलभू्त आवश्यक्ताओं को पूरा करने में असमर्थ है । ्यह समाज आज भरी निम्न स्तर का जरीिन जरीने के लिए विवश है , इनकरी ्यह स्थिति एक दिन में नहीं हुई है अदप्तु सदद्यों से इनका शोषण हुआ है ्तथा वह समाज करी सुविधाओं ्तथा अधिकारों से वंदच्त रहे हैं । समाज में इन लोगों के साथ पशुि्त व्यवहार दक्या जा्ता रहा है । समाज में ऐसे लोगों को अछू्त , असपृश्य , शूद्र , हरिजन व ददल्त आदि नामों से संबोदध्त दक्या जा्ता है । सर्वप्रथम ज्योद्तबा िकूले ने समाज के दरीन-हरीन लोगों के लिए ‘ ददल्त ’ शबद का प्र्योग दक्या था ।
ददल्त शबद का शासबदक अर्थ है दबा्या हुआ , कुचला हुआ , गररीब एवं शोदष्त । ददल्त चिन्तक कंवल भार्तरी ददल्त शबद को परिभादष्त
कर्ते हुए लिख्ते हैं कि वास्तव में ददल्त व्यक्ति वहरी हो सक्ता है जो सामाजिक एवं आर्थिक दोनों दृसष्ि्यों से दरीन-हरीन है , जिस पर असपृश्य्ता का दन्यम लागू दक्या ग्या , जिसे कठोर एवं गंदे कर्म करने के लिए बाध्य दक्या ग्या , जिसे दशषिा ग्हण करने एवं स्वतंत् व्यवसा्य करने से मना दक्या ग्या , जिस पर सछू्तों ने सामाजिक निर्योग्य्ताओं करी संदह्ता लागू करी हो , वहरी और सिर्फ वहरी ददल्त है । इसके अन्तगमा्त वे जाद्त्यां आ्तरी हैं जिनहें शासकरी्य शबदािलरी में अनुसूदच्त जाद्त कहा जा्ता है । अ्तः ्यहां पर ददल्त और अनुसूदच्त जाद्त को समानाथगी के रुप में प्र्योग दक्या ग्या है । ददल्तों के उतथान से ्तात्पर्य है उनका सामाजिक-आर्थिक , राजनरीद्तक , शैदषिक
एवं सांस्कृतिक विकास से है । 21वीं श्ताब्दी में ददल्तों करी स्थिति को समझने के लिए निम्नदलदख्त पहलुओं पर प्रकाश डालना अद्तआवश्यक है-
डा . आंबेडकर करी मौलिक देन आरषिण व्यवसथा है । उनका मानना था कि ददल्तों करी स्थिति में सुधार केवल आरषिण के द्ारा हरी संभव है । आरषिण व्यवसथा भार्तरी्य संविधान करी अनोखरी विशेष्ता है , जो सदद्यों से शोदष्त और दबे कुचले वर्ग को समाज करी मुख्य धारा में लाने का अवसर प्रदान कर्ता है । समाज में उपलबध अवसरों को किसरी वर्ग विशेष के लिए उपलबध कराना ्या अवसरों के लिए निर्धारर्त मापदणडों में किसरी विशेष वर्ग के लिए छूट देना
26 uoacj 2023