eMag_Nov2023_Dalit Andolan Patrika | Page 18

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शसक्त्यों को पहचानना आरमभ दक्या और सामान्य वर्ग के बहु्त बड़े भाग ने उनके साहच्यमा और सामरीप्य को स्वीकार दक्या है , सममान दिए , उनके हौसलों को बुलंद दक्या और वह बड़े-बड़े पदों पर पदस्थापित भरी हुए । देश के सरकाररी गैरसरकाररी का्यामाल्यों के विभिन्न पदों पर सुशोदभ्त ्तथाकदथ्त ददल्त जाद्त्यों को ्तो सामान्य से भिन्न सिरूप में देखना अब कठिन हरी है ।
्यह भरी सच है कि मानव मन में पल रहरी विकृ्त भावनाएं इ्तनरी जल्दी समाप्त नहीं हो्तीं
। पिछले िषथों मे घटि्त कई ने देश को झकझोर दद्या था । लगा जैसे अब भरी देश कहरी स्वतंत्रता पूर्व के ्युग करी विचारधारा में ्तो सांसे नहीं रहरी ? पर ्यह ऐसा नहीं था । ्यह भड़का्यरी हुई आग थरी जिसमें सारा देश जलने लगा था । वैसे भरी एक-दो घटनाओं के आधार पर दनणामा्यक धारणा बना लेना उदच्त नहीं हो्ता ।
राजनरीद्त पूररी ्तरह सिचछ और पारदशगी नहीं हो सक्तरी । राज्यलोलुप्ता उसके मूल में रह्तरी हरी है । जो हर गल्त को सहरी और सहरी को गल्त ब्ताने में माहिर हो्तरी है । डा . आंबेडकर करी
विचारधारा स्वतंत्रतापूर्व करी ससथद्त्यों पर आधारर्त विचारधारा थरी । विचारधाराएं पनप्तरी हैं ्तो ऐद्तहासिक सत्य बनकर अवश्य जरीदि्त रह्तरी हैं पर उनहीं विष्यिस्तुओं को लेकर इद्तहास को ि्तमामान पर हािरी करने का प्र्यत्न हास्यासपद हरी हो सक्ता है । स्वतंत्रता के इ्तने दिनों पश्चात विकास करी जिन सरीदढ्यों पर चढ उनने . आज समाज में अपना सथान बना्या है , ्तुलनातमक दृष्टि से वह भरी आज शोध का हरी विष्य है । आर्थिक विपन्न्ता ्तो नहीं पर सामाजिक विपन्न्ता बहु्त हद ्तक दूर हो चुकरी
18 uoacj 2023