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मुससलम सिर्फ हलाल प्रदक्या के ्तह्त वध दक्ये गए जानवर के मांस का हरी सेवन करेगा ।
हलाल मांस का विरोध हिनदू , सिकख सदह्त गैर मुससलमों द्ारा दशकों से दक्या जा रहा है । कारण ्यह है कि हलाल परमपरा में पशु को ्तब ्तक जिनदा रखा जा्ता है , जब ्तक उसके शररीर से खून पूररी ्तरह निकल नहीं जा्ता हैI इसके विपररी्त हिनदू , सिकख सदह्त अन्य समाज में पशु वध के लिए जिस प्रदक्या को अपना्या जा्ता है , उसमें पशु करी ्तुरं्त मौ्त हो जा्तरी है । इसे झटका प्रदक्र्या कहा जा्ता है । हिनदू धार्मिक परमपराओं में बलि देने करी जिस पारमपरिक पद्धद्त का वर्णन दक्या जा्ता है , उसे झटका प्रदक्र्या कहा जा्ता है । इस पद्धद्त में पशु को मार्ते सम्य दर्द न्यून्तम हो्ता है । हलाल और हराम को लेकर जाररी विवाद सिर्फ पशु वध के ्तररीके ्तक सरीदम्त नहीं है । हलाल के नाम पर सुदन्योदज्त ्तररीके से मांस उद्योग को सिर्फ मुससलम वर्ग ्तक सरीदम्त कर दद्या ग्या , जहां गैर मुससलम करी कोई भूमिका नहीं है । ऐसे में हिनदू , सिकख सदह्त गैर मुससलम अन्य समाज के मांसाहाररी लोग हलाल मांस का लगा्तार
मुस्लिम धर्म हलाल और हराम के आधार पर हर वस्ु एवं मानव के साथ भेद करता है । मुस्लिम धर्म में हलाल को जहां स्ीकार्यता से जोड़ा गया है , वही हराम के आधार पर गैर मुस्लिमयों के विरुद्ध अत्ाचार एवं नरसंहार को धार्मिक मान्यता दी गई है । हलाल के आधार पर सिर्फ मांस को ही नहीं , बल्कि मानव उपयोग की समस् वस्ु को एक ऐसे दायरे में बांध दिया गया , जहां गैर मुस्लिम को प्रवेश संभव नहीं है ।
विरोध कर्ते आ रहे हैं ।
कयांग्रेस की तुष्टिकरण नीति नरे पैदया की हलयाल व्यवस्था
भार्त में सैकड़ों िषथों से मांस को बलि ्या झटका विधि से हरी प्राप्त दक्या जा्ता था । लेकिन मुससलम आक्रां्ताओं के आगमन , भार्त करी भूमि पर कब्ा करना और फिर हिनदू धर्म-संस्कृति पर प्रहार के साथ हरी भार्तरी्य समाज में भिन्न- भिन्न ्तरह करी मान्य्ताएं , समस्याएं , परंपराएं , प्रथाएं ्या कुप्रथाएं हािरी हो्तरी चलरी गई । मुससलम आक्रां्ताओं के कारण भार्त करी मूल संस्कृति , भाषा , विचार , राजनरीद्त , धर्म , नरीद्त अथामा्त सभरी
प्रभावि्त हुए । सि्तनत््ता के बाद दशकों ्तक सत्ता संभालने वालरी कांग्ेस और उसके सह्योगरी राजनरीद्तक दलों ने धर्मनिरपेक्षता करी आड़ में सिर्फ मुससलम ्तुष्टिकरण कर्ते हुए आक्रां्ता मुससलमों करी मान्य्ताओं को बढ़ावा दे्ते हुए पूरे देश में हलाल अवधारणा को थोप दद्या ग्या । हलाल और हराम के आधार पर खाद्य पदाथथों से लेकर मानिरी्य जरीिन में सार्वजनिक रूप से दक्ये जाने वाले भेद ने देश में जिस न्यरी परंपरा को जनम दद्या , उसके नकारातमक प्रभाव देखे जा सक्ते हैं ।
हलाल के नाम पर सिर्फ मांस के व्यवसा्य में मुससलम वर्ग के आधिपत्य हैI मांस का व्यवसा्य करने वालरी हिनदू जाद्त्यां विशेष रूप से खटिक वर्ग के सामने न केवल रोजगार के संकट पैदा दक्ये हैं , वहरी इससे धमाां्तरण को भरी बढ़ावा मिला है । हलाल व्यवसथा करी आड़ में खटिक वर्ग को मांस के व्यवसा्य से दूर कर दद्या ग्या । इसे ददल्तों के साथ सुदन्योदज्त रूप से करी जाने वालरी आर्थिक असपृश्य्ता के रूप में देखा जा सक्ता है । झटका मांस बेचने वाले ्या ्तो रोजगार विहरीन हो चुके हैं ्या फिर समझौ्ता
10 uoacj 2023