संगठन ्व केन्द्र सरकार सरे िरेकर राजयों तक में दलित समाज को मुखय धारा में आगरे आनरे का अधिकतम मौका दरेनरे सरे गुररेज नहीं किया जा रहा है । दूसरी ओर ल्वपक्ी दलों की ओर सरे भी दलित मतदाताओं को लुभानरे में कोई कसर नहीं छोडी जा रही है ।
जागरूकता से बढा मान सम्ान
दलित समाज की भ्वनाओं को िरेकर तमाम राष्ट्रीय ्व क्षेत्रीय पार्टियां किस कदर सा्विान और सं्वरेदनशील हैं इसका सहज अंदाजा इसी बात सरे लगाया जा सकता है कि जब गुजरात के दलित नरेता जिग्नेश मरे्वाणी की गिरफतारी हुई तो इसका ल्वरोध करनरे की सभी राजनीतिक दलों में होड लग गई । स्थिति यह है कि दरेश में कहीं भी दलित समाज पर अतयाचार का कोई मामला सामनरे आए तो उसके खिलाफ खड़े होनरे की राजनीतिक दलों में होड लग जाती है । यह तब है जब आज की तारीख में राष्ट्रीय सतर पर एक भी ऐसा नरेता दूर — दूर तक दिखाई नहीं दरे रहा जिसकी एक आ्वाज पर पूरा दलित समाज लामबंद हो जाए । यहां तक कि प्ादरेलशक सतर पर भी दलित छत्रपों का काफी हद तक अ्वसान हो चुका है और ्वरे अपनरे निजी अससतत्व को
कायम रखनरे के लिए संघषरत दिखाई पड रहरे हैं । इसके बाद भी समाज का दलित ्वग्ष अगर अपनी मजबूत राजनीतिक चमक और धमक के स्वर्णिम दौर का लुतफ िरे रहा है तो निश्चत तौर पर यह किसी मसीहा का एहसान नहीं है । यह कमाया है दलितों नरे अपनरे दम पर । अपनी इचछाशसकत के सहाररे । अपनी जागरूकता के कारण । दलितों के हितों के प्लत बढ़ रही स्व्षदलीय सजगता और सं्वरेदनशीलता की सबसरे बडी ्वजह यह है कि अब दलित समाज किसी वयसकत या दल का पिछलगगू नहीं है जिससरे सौदरेबाजी करके पूररे समाज का ्वोट आसानी सरे बटोरा जा सके । बल्क हर दलित मतदाता अब अपनरे हित और फायदरे को धयान में रखकर मतदान कर रहा है जिसमें जातीय स्वाभिमान की भी अनदरेखी नहीं कर रहा और लॉलीपॉप थिमाकर झांसा दरेनरे या ह्वाई बातें करके दिखा्वरे का तुष्टिकरण करनरे की राजनीतिक दलों की परंपरागत चालाकियों के भ्रम जाल में भी नहीं फंस रहा ।
दलितों से जुड़ी हैं सबकी आशाएं
पंजाब में हार के बाद भी दलित ्वग्ष को साध कर अपनी खोयी जमीन को दोबारा हासिल करनरे की कांग्रेस की नीतिगत कटिबद्धता
जरा भी कमजोर नहीं पडी है । यही ्वजह है कि मुखयमंत्री पद पर रहतरे हुए प्दरेश में पाटथी के चरेहररे के तौर पर दो सीटों सरे चुना्व िडनरे के बा्वजूद अपनी दोनों सीटों के साथि ही पूरी पाटथी की नैया डुबा दरेनरे ्वािरे चरणजीत सिंह चन्ी के बाररे में सांकेतिक लहजरे में कही गई ्वरिष्ठ नरेता सुनील जाखड की एक ह्की बात भी कांग्रेस को हजम नहीं हुई । जाखड हर मंच सरे सफाई दरेतरे रहरे कि उनकी बात का गलत मतलब निकाला गया है िरेलकन पाटथी नरे उनकी एक नहीं सुनी और उनके बयान का अनुशासन समिति में ल्व्िरेरर करनरे के बाद उन्हें पाटथी सरे निलंबित करनरे का फैसला कर लिया । यह राजनीति में दलित समाज की बढ़ती ताकत का ही परिणाम है कि आज हर पाटथी दलित ्वग्ष को लुभानरे में कोई कसर छोडनरे के लिए तैयार नहीं है । बल्क चुना्वी राणनीतियों के केन्द्र में अब हर राजय में दलितों को ही केन्द्र में रखकर आगरे की नीति तय करनरे की परंपरा बनती जा रही है । तभी तो लद्िी सरे निकल कर पंजाब में पैर जमानरे के बाद जब आम आदमी पाटथी नरे छत्ीसगढ़ में अपनरे पंख पसारनरे की योजना पर अमल आरंभ किया तो ्वहां रोड शो करनरे के लिए अपनरे दलित चरेहररे राखी लबडिान को ही आगरे किया ।
ebZ 2022 7