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कासट में 62.9 साल थिी , जबकि अनुसूचित जाति ( एससी ) में 58.3 और अनुसूचित जनजाति ( एसटी ) में 54.5 ्वर्ष थिी । ्वहीं , दलितों के मुकाबिरे मुससिमों और ओबीसी की हालत इस रिपोर्ट में कुछ हद तक बरेहतर बताई गई है । हालांकि , सवर्णों के मुकाबिरे मुससिमों और ओबीसी की जी्वन प्तयाशा कम ही है । मुससिम पुरुषों में जी्वन प्तयाशा 62.6 और
ओबीसी में 60.2 ्वर्ष सामनरे आई है । ्वहीं , 2013-16 के सर्वे के अनुसार स्वर्ण पुरुषों की जी्वन प्तयाशा 69.4 ्वर्ष , मुससिमों पुरुषों की 66.8 , ओबीसी की 66 , एससी की 63.3 और एसटी का 62.4 ्वर्ष थिी । ्वहीं , अगर बात महिलाओं की करें तो 1997-2000 के सर्वे के मुताबिक महिलाओं की औसत उम्र 64.3 ्वर्ष , मुससिम महिलाओं की औसत उम्र 62.2 , ओबीसी महिलाओं की औसत उम्र 60.7 ,
अनुसूचित जाति ( एससी ) 58 और अनुसूचित जनजाति ( एसटी ) की महिलाओं की औसत उम्र 57 साल थिी । ्वहीं , 2013-16 के सर्वे के मुताबिक स्वर्ण जाति की महिलाओं की औसत उम्र 72.2 ्वर्ष , मुससिम महिलाओं की औसत उम्र 69.4 , ओबीसी महिलाओं की औसत उम्र 69.4 , अनुसूचित जाति ( एससी ) 67.8 और एसटी 68 साल रही ।
साल दर साल अंतर में हुआ इजाफा
अधययन में इन आंकडों के ल्व्िरेरर सरे निष्कर्ष निकाला गया है कि स्वर्ण जातियों और अनुसूचित जातियों के लोगों में जी्वन प्तयाशा का अंतर 1997-2000 के सर्वे के आंकड़े के हिसाब सरे 4.6 साल थिा । ्वह 2013-16 में बढ़कर 6.1 साल तक पहुंच गया है । ्वहीं , सवर्णों पुरुषों
और मुससिम पुरुषों की बात करें तो अंतर और भी गहरा होता दिखाई दरेता है । स्वर्ण और मुससिमों में अंतर पहिरे यह अंतर 0.3 ्वर्ष का थिा , जो 2013-16 में बढ़कर 2.6 ्वर्ष हो गया । इसके साथि ही स्वर्ण और मुससिम ्वग्ष की महिलाओं के बीच इस दौरान जी्वन प्तयाशा का अंतर 2.1 सरे बढ़कर 2.8 साल हो गई है । हालांकि , निचली जातियों और स्वर्ण जातियों की महिलाओं के बीच जी्वन प्तयाशा में मामूली गिरा्वट सामनरे आई , िरेलकन अनुसूचित जाति , मुससिम और अन्य पिछड़े ्वग्ष ( ओबीसी ) के पुरुषों में सवर्णों की तुलना में आयु बहुत कम हो गई है । गौरतलब है कि सवर्णों के मुकाबिरे अनुसूचित जनजाति ( एससी ) के पुरुषों में तो यरे अंतर 8.4 साल तक पहुंच गई , जबकि इन वर्गों की महिलाओं में 7 साल का अंतर दरेखा गया है । इन आंकडों के आधार पर एक दूसररे अधययन में पाया गया कि औसत उम्र का यरे अंतर चाहरे जन्म के समय सरे मापा जाए या फिर जी्वन के बाकी वर्षों सरे , इसका परिणाम बदलता नहीं है । मतलब निचली जातियों में न्वजातों की जयादा मृतयु दर और आलथि्षक स्थिति में अंतर का भी औसत उम्र के इस फैसिरे पर फर्क नहीं पडता ।
ब़ीमारू राज्ों में ज़ीवन प्रत्ाशा कम
इस सर्वे में जो खास बात निकलकर सामनरे आई है , ्वह यह कि बीमारू राजयों के नाम सरे मशहूर यूपी , बिहार , राजस्थान , उत्राखंड , झारखंड , मधय प्दरेश और छत्ीसगढ़ जैसरे हिंदी भाषी सूबों के लोगों में जी्वन प्तयाशा बाकी जगहों के मुकाबिरे सबसरे कम है । हालांकि दरेश में पूर्वोत्र राजयों नरे एक अलग ही कहानी लिखी है । दरअसल , इस सर्वे के मुताबिक यह इकलौता ऐसा क्षेत्र है , जहां पर अनुसूचित जातियों ( एससी ) की औसत उम्र स्वर्ण जातियों सरे भी जयादा है । निश्चत तौर पर दरेश को दिशा दिखानरे का काम इस बार पूर्वोत्र का इलाका ही कर रहा है जहां सरे सीख िरेकर जी्वन प्तयाशा के अंतर को कम करनरे और इस मामिरे में संतुलन ्व बराबरी लानरे का सटीक फार् मूला निकाला जा सकता है ।
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