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मुससिमों का मत प्लतशत 18 और याद्वों का 8 % है । दोनों जातियां राजनीतिक और सामाजिक दृष्टि ओं सरे आती मुखर और आक्ामक मानी जाती हैं । ल्विानसभा चुना्व में इन्होंनरे अपनी आक्ामकता का खुलकर प्दर्शन भी किया । जिसका परिणाम रहा है कि अधिकांश राजनीतिक समीक्क मीडिया यह माननरे लगा थिा कि कहीं अलखिरेश याद्व सत्ासीन ना हो जायें ।
कागज़ी गणित धराशाय़ी
यद्यपि अलखिरेश याद्व और उनकी समाज्वादी पाटथी को सत्ा तो नहीं मिली , सपा के 111 ल्विायकों में सरे 35 ल्विायक मुससिम समाज के चुन लिए गए । अब यही मुससिम ल्विायकों की भारी संखया सपा के गिरे की फांस बन गई है । कभी बड़े ग्व्ष सरे आजम खान को अपना ' चचाजान ' बतानरे ्वािरे अलखिरेश के लिए मुससिमों की यही आक्मकता और मुखरता नरेता ल्वपक् का पद बचाए रखनरे के मार्ग में सबसरे बडी बाधा बनकर सामनरे आ रही है । मुसलमान अब अलखिरेश और समाज्वादी पाटथी सरे अपना मू्य खुलकर मांग रहरे हैं । ्वह यह कह रहरे हैं कि मुससिमों नरे उत्र प्दरेश में समाज्वादी पाटथी को एक मुक रूप सरे अपना समथि्षन और मत दिया है , अब समय आ गया है कि मुससिमों को सपा में उनका ' ्वाजिब हक ' दिया जाए । ्वरे अपनी मांग को किसी तरह सरे गलत भी नहीं मान रहरे हैं । उनका यह भी कहना है कि मुलायम सिंह याद्व और अलखिरेश याद्व मुससिम मतों के कारण ही मुखयमंत्री बनरे थिरे । ्वास्तव में मुसलमानों की इस भा्वना को समझनरे के लिए बाबा साहरेब डॉ भीमरा्व आंबरेडकर के ल्वचारों को समझना होगा । डॉ आंबरेडकर की पुसतक ' पाकिसतान आर पाटथीशन ऑफ इंडिया ' में उनकी मुसलमानों के बाररे में ल्वसतृत सोच को पूरी तरीके सरे समझा जा सकता है ।
डॉ . आंबेडकर के विचार प्रासंगिक
बाबा साहब डॉ भीमरा्व आंबरेडकर अपनी पुसतक में लिखतरे हैं- " कहा जाता है कि हिंदू ल्वचारधारा लोगों में भरेदभा्व पैदा करती है ,
इसकी तुलना में इसिामी ल्वचारधारा लोगों को जोडती है । इस बात में पूरी सच्चाई नहीं है , कयोंकि इसिाम लोगों को बांटता भी उतनी ही कठोरता सरे है जितना ्वह जोडता है । इसिाम एक बंद ( सीमित ) संगठन है तथिा मुसलमानों और गैर मुसलमानों के बीच जो भरेदभा्व ्वह करता है , ्वह बहुत ही ठोस , ्वास्तविक आचरण में उतारा हुआ और अतयलिक ्वैमनसयकारी है । इसिाम का भाईचारा पूरी मान्वता का भाईचारा नहीं है । मुसलमानों का यह भाईचारा के्वि मुसलमानों के लिए ही है । उसमें आपसी बंधुत्व तो है , पर इसका लाभ के्वि इसी सीमित संगठन के भीतर रहनरे ्वालों के लिए है । जो इस संगठन सरे बाहर हैं , उनके लिए तो के्वि तिरसकार और शत्रुता है । इसिाम में दूसरी कमी यह है कि यह व्यवस्था है कि सामाजिक नियंत्रण की , और इस नातरे यह दरेशपरक स्वशासन की व्यवस्था सरे मरेि नहीं खाती , कयोंकि मुसलमान की निष्ठा उसके लन्वास के दरेश के प्लत नहीं होती , जो उसी का है , बल्क उसकी मजहबी ईमान सरे जुडी होती है । जहां भी इसिाम का शासन है , ्वही उसका दरेश है । दूसररे शबदों में , भारत को अपनी मातृभूमि माननरे और हिंदुओं को अपनरे बंधु-बांि्व माननरे की अनुमति इसिाम पकके मुसलमान को कभी नहीं दरेगा । शायद यही कारण है कि मौलाना मुहममद अली जैसरे महान
हिंदुसतानी , पर पकके मुसलमान नरे अपनरे दफन के लिए भारतभूमि को नहीं , यरूशलम को ही पसंद किया ।" पृष्ठ 325
मुसलमानों के प्रति बाबा साहब की सोच
डॉ आंबरेडकर आगरे लिखतरे हैं ,— " मुसलमानों के प्त्येक राजनीतिक कार्य के पीछ़े आधारभूत प्रेरणा लोगों के सांसारिक जी्वन में प्गति लाना नहीं होती , बल्क मुसलमानों की मुखय चिंताएं होती हैं कि अमुक कार्य इसिाम की शसकत को बढ़ाएगा या नहीं और यह कि हर मुससिम के लिए निर्धारित इसिामी कर्तवय को पूरा करनरे में ्वह सहायक होगा या नहीं ? डॉकटर आंबरेडकर नरे लिखा है कि " मुससिम राजनीतिक नरेता जी्वन की संप्दाय निरपेक्ष भौतिक आवश्यकताओं को अपनी राजनीतिक आधार नहीं बनातरे , कयोंकि उन्हें लगता है कि ऐसा करनरे सरे मुससिम समुदाय हिंदुओं के ल्वरुद्ध अपनरे संघर्ष में दुबला पडनरे लगता है ।" पृष्ठ 226
डॉ आंबरेडकर कहतरे हैं " मुसलमानों की मुखय चिंता लोकतंत्र नहीं , उनकी मुखय चिंता यह है कि बहुमत के शासन ्वाला लोकतंत्र हिंदुओं के ल्वरुद्ध मुसलमानों के संघर्ष में कया प्भा्व डािरेगा ? इससरे उनकी शसकत बढ़़ेगी या दुर्बल होगी ? यदि लोकतंत्र के रहनरे सरे ्वरे हिंदुओं के ल्वरुद्ध अपनी लडाई में दुर्बल पडतरे हो तो ्वो लोकतंत्र को नहीं रखना चाहेंगरे । " पृष्ठ 226 मुसलमानों की सोच को समझना जरूऱी
डॉ आंबरेडकर की इन टिपपलरयों और ्वत्षमान में दरेश के मुससिम नरेताओं और मुससिम समुदाय की राजनीतिक शैली सरे सपष्ट होता है कि इस समुदाय की आधारभूत कामनाओं का स्वरूप संप्दायिक है । यही कारण है कि ्वत्षमान राजनैतिक परिप्रेक्य में मुससिम समुदाय खुलकर ऐसरे कायषों का समथि्षन करता है जिससरे उनका ्वग्ष मजबूत हो भिरे ही उनके ककृतयों सरे दरेश का बहुसंखयक हिंदू प्तालडत हो और दरेश की एकता और अखंडता खतररे में पड जायरे ।
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