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प्रखर होते बाबा साहब से जुडे प्रतीक
बढ रह़ी बाबा साहब की प्रासंगिकता
नई राजऩीतिक गोलबंद़ी का कें द्र बने आंबेडकर
बद्ररी नारायण
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स साल हम लोग बाबा साहब भीमरा्व आंबरेडकर की 131्वीं जयंती का ्वर्ष मना रहरे हैं । इस अ्वसर पर सा्व्षजनिक जी्वन सरे जुड़े कई ्वग्ष विभिन्न मंचों के माधयम सरे उन्हें समरण कर रहरे हैं । जैसरे-जैसरे समाज लशलक्त ए्वं जागरूक हुआ है , ्वैसरे-्वैसरे बाबा साहब के वयसकतत्व , ककृलतत्व ए्वं संदरेशों की स्वीकार्यता बढ़ी है । यह सुखद है कि बाबा साहब का नायकत्व अब किसी जाति , धर्म ए्वं प्ांत की सीमाओं में बंधा न रहकर राष्ट्रीय ए्वं अंतरराष्ट्रीय सतर पर उभर रहा है ।
बाबा साहब का व्ापक प्रभाव षिेत्
भारत के अला्वा अमरेरिका , इंगिैंड , कनाडा और नीदरलैंड जैसरे दरेशों में भी उनकी जयंती मनाई जानरे लगी है । इन दरेशों में रह रहरे भारत्वंशी उन्हें समरण करतरे हैं । उनसरे जुड़े तमाम काय्षक्मों की सूचना आपको इंटरनरेट मीडिया के विभिन्न मंचों पर सहजता सरे मिल जाएगी । समय के साथि राजनीतिक परिदृ्य में भी आंबरेडकर की पैठ बढ़ी है । दलक्रपंथिी , ्वामपंथिी और मधयमागथी सभी अपनरे-अपनरे सतर पर उन्हें आतमसात कर
रहरे हैं । सभी उन्हें अपनरे-अपनरे रंग में ढालनरे में लगरे हैं । किसी का रंग नीला है , किसी का लाल और किसी का भग्वा । उत्र प्दरेश में आपको आंबरेडकर की प्लतमाएं काफी संखया में मिलेंगी । यहां गां्व , कसबों और शहरों में उनकी प्लतमाएं लगी हैं । इन मूर्तियों में भी बाबा साहब के कोट का रंग भी कहीं नीला , कहीं काला और कहीं केसरिया दिखता है ।
भगवा खेमे की बाबा साहब की भतति यदि हाल के वर्षो में बाबा साहब की समृलतयों
28 ebZ 2022