पर भग्वा रंग चटख हुआ है तो इसके पीछ़े भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसरे्वक संघ के कई संगठनों की अहम भूमिका रही है । भाजपा और संघ के अन्य संगठन बाबा साहब के प्तीकों ए्वं संदरेशों के प्लत अपनी प्लतबद्धता दिखानरे के लिए कई आयोजन करनरे में लगरे हैं । भाजपा नरे बाबा साहब की याद में राष्ट्रीय सतर पर ‘ सामाजिक न्याय सपताह ’ मनाया है । इसके अंतर्गत पाटथी नरे तमाम काय्षक्मों के माधयम सरे जनता को बाबा साहब के मिशन को पूरा करनरे के लिए किए जा रहरे अपनरे प्यासों के बाररे में जमीन पर जाकर ल्वसतार सरे जानकारी दी । जहां
एक ओर प्िानमंत्री नररेन्द्र मोदी नरे 14 अप्ैि को ही नई लद्िी में पीएम मयूलजयम का उदघाटन किया है तो ्वहीं उत्र प्दरेश सरकार नरे 14 अप्ैि सरे राजय में कई जिलों में ‘ दलित मित्र ’ काय्षक्म शुरू किया है । इसके तहत गोष्ठियां , सांस्कृतिक काय्षक्म , चित्र प्दर्शन आदि माधयमों सरे गरीब ए्वं दलित क्यार के प्लत सरकार के प्यासों के प्लत जनता को जागरूक बनाया जाएगा । यह अभियान चार महीनरे चिरेगा । इसमें दलित महापुरुषों को केंद्र में रखकर अनरेक आयोजन किए जाएंगरे ।
योग़ी सरकार साकार कर रह़ी स्वप्न
मुखयमंत्री योगी आदितयनाथि स्वयं इस काय्षक्म को गति दरेनरे में लगरे हैं । भाजपा की छात्र इकाई एबी्वीपी नरे इसी अ्वसर पर सामाजिक समाहन के लिए कायवो ए्वं उन पर चर्चा के साथि अपना इतिहास ‘ ध्येय यात्र ’ शीर्षक सरे प्काशित किया है । भाजपा आंबरेडकर के मिशन सरे संदरेश िरेकर दलितों ए्वं उपेक्षितों के सामाजिक ए्वं राजनीतिक समाहन , गरीब क्यार के कार्य , दलित ए्वं ्वंचितों समुदायों के नायको को सममान ए्वं भागीदारी की दिशा में किए जानरे ्वािरे कायवो को प्सारित करनरे में लगी है । इससरे संगठन का समाज के हाशियरे के समाजों सरे सं्वाद ए्वं उनमें प्सार बढ़़ेगा । अपनी पुसतक ‘ फैसिनरेलटंग हिंदुत्व ’ और ‘ रिपसबिक आफ हिंदुत्व ’ में मैंनरे समाज के हाशियरे के समूहों में संघ परर्वार , जिसमें भाजपा भी शामिल है , के बढ़तरे प्सार की चर्चा की थिी । इस पर कइयों को आ्चय्ष हुआ थिा , िरेलकन उत्र प्दरेश के हालिया चुना्व इस रुझान को भलीभांति समझातरे हैं । इन चुना्वों सरे यही पुष्टि हुई कि समकालीन हिंदुत्व ए्वं आंबरेडकर मिशन में किस प्कार सहकार बढ़ा है । ्वास्तव में हमें भारतीय राजनीतिक गोलबंदी के इन नए परर्वत्षनों को स्वीकारना ही होगा ।
बाबा साहब की सर्व स्व़ीकार्यता
दूसरी ओर आंबरेडकर की समृलत में आज
कांग्रेस की भाषा में एक अंदाज दिखता है , जो प्लतरोध के माधयम सरे हाशियरे के समूहों के सशकतीकरण के तर्क को आगरे बढ़ाता है । उनके नरेताओं के बयानों ए्वं काय्षक्मों में ऐसरे तर्क उभरतरे हुए दिखाई दरेतरे है । ्वहीं आंबरेडकर के ल्वचारों और दलित पहचान सरे जुडी बसपा आज गहररे संकट सरे गुजर रही है । उसका आधार ्वोट बैंक दरकनरे लगा है । ्वह इस ्वर्ष समाज के दलित , शोषित , ्वंचितों के पाटथी के प्लत बढ़ रहरे बिखरा्व को रोकनरे के लिए आंबरेडकर के प्तीक ए्वं समृलत का सहारा िरेनरे की दिशा में कार्य कर रही है । इसके संकेत उत्र प्दरेश चुना्व नतीजों के बाद माया्वती के बयानों सरे ही मिलनरे लगरे थिरे । सपा और ्वामपंथिी दल भी अपनरे-अपनरे ढंग सरे बाबा साहब के प्तीक सरे अपना सबंध जोड रहरे हैं । इन सभी दलों की इस क्वायद सरे जुडी शैली में कुछ समानताएं तो तमाम विभिन्नताएं भी हैं ।
अविस्मरण़ीय हैं बाबा साहब
मुखयिारा के मीडिया सरे िरेकर इंटरनरेट मीडिया पर इससरे जुड़े तमाम संदरेश दिखतरे भी हैं । इस संदर्भ में हमें यह भी समरण रखना होगा कि प्तीकों का महत्व तब और बढ़ता है जब उस प्तीक सरे जुड़े सामाजिक समूह जनतंत्र में मजबूत और प्भा्वी होतरे जातरे हैं । उनमें ल्वकास की आकांक्ा बढ़ती है । उनकी आ्वाज का ्वजन बढ़ता है । ल्वगत सात-आठ दशकों के दौरान भारत में दलित ए्वं हाशियरे के समूहों में राजनीतिक ए्वं जनतांत्रिक चरेतना सशकत हुई है । एक गां्व में फील्डवर्ड के दौरान दलित ्वग्ष सरे जुडी एक महिला का यह कथिन मुझरे उल्लेखनीय लगा कि ‘ बाबा साहब के कारण ही हमाररे समाज के तमाम लोग जरेब पर कलम लगाकर घूम रहरे हैं । हमें बाबा साहब को भूलनरे नहीं दरेना है ।’ भारतीय समाज के दलित ए्वं ्वंचित समाज का यही भा्व बाबा साहब आंबरेडकर की समृलतयों को निरंतर प्ासंगिक बनाता जा रहा है ।
ebZ 2022 29