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को पाटथी संरचना में ्वरीयता मिली । एक ‘ चमचा ’ और पाटथी की ल्वचारधारा के प्लत समर्पित वयसकत में अंतर होता है । काँग्रेस में कनरेकशन मायनरे रखता है और इसके परिणामस्वरूप ऐसरे लोग मंत्री बनरे जिन्हें पाटथी और कार्यकर्ताओं सरे कोई मतलब नहीं थिा । गलतियों का खामियाजा भुगत रह़ी कांग्ेस
कांग्रेस को अपनरे घटतरे ्वोट बैंक के बाररे में गंभीर आतममंथिन की जरूरत है । कांग्रेस का पतन 1980 सरे शुरू हुआ जब जनता पाटथी प्योग के ल्वफल होनरे के बाद इंदिरा गांधी सत्ा में ्वापस लौटीं । तभी सरे हिंदुत्व सरे छेड़खानी शुरू हो गई । अधिकांश कांग्रेस नरेताओं में
राजनीतिक ल्वचारधारा का अभा्व थिा और पाटथी को नुकसान उठाना पडा । 1984 में स्वर्ण मंदिर पर हमिरे और फिर श्ीमती इंदिरा गांधी की हतया के बाद राजी्व गांधी को भारी जनादरेश दिया िरेलकन भारत में धर्मनिरपेक्ष राजनीति को हरा दिया । अ्पसंखयकों को खलनायक बनानरे के कांग्रेस के प्योग का इस्तेमाल भाजपा नरे ्वर्ष 2002 में गुजरात में किया थिा । पाटथी का धयान शासन करनरे पर अधिक थिा और पाटथी के कैडर निर्माण पर कम थिा । राहुल गांधी यूपीए-लद्तीय ल्वशरेर रूप सरे पी चिदंबरम , प्रब मुखजथी , मनीष लत्वारी , कपिल सिबबि , गुलाम नबी आजाद , आनंद शर्मा के काम काज की समीक्ा होनी चाहिए कयोंकि उन्होंनरे जो किया उसके परिणाम काँग्रेस आज तक भुगत रही
है । कांग्रेस नरे 1980 के दशक में भिंडर्वािरे के रूप में एक राक्स बनाया और 2012 में उसनरे अन्ा को बडा किया कयोंकि उसरे लगा कि केजरी्वाल और अन्ा को प्ोतसालहत करनरे सरे भाजपा का ्वोट कट जाएगा िरेलकन काँग्रेस नरे अति चालाकी में सब कुछ खो दिया । 1989 में जब ्वीपी सिंह नरे मंडल आयोग की रिपोर्ट को लागू किया , तो राजी्व गांधी नरे ्वास्तव में संसद में इसका ल्वरोध किया । राहुल गांधी को यह नहीं भूलना चाहिए कि राम जन्मभूमि का मंदिर 1985 में अरुण नरेहरू द्ारा खोला गया थिा ।
विचारों में ईमानदाऱी की आवश्यकता
राहुल गांधी के लिए महत्वपूर्ण है कि ्वरे विभिन्न वर्गों के नरेताओं को बढ़ा्वा दें जो लोगों के मुद्ों को उठा सकें । कांग्रेस को स्वतंत्रता आंदोलन की ल्वरासत और ज्वाहर लाल नरेहरू के नरेतृत्व में स्वतंत्र भारत की पहली सरकार का आह्ान करनरे की जरूरत है , जिसमें विभिन्न ल्वचारधाराओं और दलों के लोग थिरे । जनसंघ के साथि-साथि डॉ बाबा साहरेब अम्बेडकर सहित सभी दलों के महत्वपूर्ण नरेता नरेहरू कैबिनरेट का हिससा थिरे । कांग्रेस ज्वाहरलाल नरेहरू और डॉ अंबरेडकर की ्वैचारिक धारणाओं में मौजूद समानता को सामनरे लायरे । यह महत्वपूर्ण होगा िरेलकन इसके लिए राहुल गांधी को ऐसरे सलाहकारों की जरूरत है जो यह कार्य कर सकें और ्वरे लोग अंबरेडकर फुिरे परेरियार , भागात सिंह , राहुल सांककृतयायन , नरेहरू आदि के धर्मनिरपेक्ष समाज्वादी ल्वचारों को एक मंच पर लाएं ताकि स्वाधीन भारत की ल्वशाल सामाजिक सांस्कृतरिक धरोहर यहां की ब्राह्मर्वादी राजनीति का शिकार न हो सके । इस ‘ पुसतक ल्वमोचन ’ समारोह जैसरे अ्वसर का उपयोग डाकटर अम्बेडकर के ल्वचारों को कांग्रेस पाटथी में लानरे के लिए किया जा सकता थिा न कि अ्वांछित ल्व्वादों को उठानरे के लिए जो न तो राहुल गांधी की मदद करेंगरे और न ही कांग्रेस पाटथी को ।
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