eMag_May2022_DA | Page 26

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जगहों पर दलितों की अपनी पार्टियां हैं और इन वर्गों सरे स्वायत् नरेतृत्व उभरनरे में कुछ भी गलत नहीं है । जब तक कांग्रेस अपनरे मंचों को अपनरे मंचों के भीतर स्वतंत्र नरेता बनानरे की अनुमति नहीं दरेती , तब तक उसरे समसया होगी । मैंनरे लंबरे समय सरे सुझा्व दिया थिा कि कांग्रेस को बसपा के साथि चैनल खोलनरे की जरूरत है और उसरे उत्र प्दरेश में बडा हिससा िरेनरे की स्वीकार्यता दरेनी चाहिए । कांग्रेस और बसपा के एक साथि आनरे सरे पाटथी को अन्य हिससों में मदद मिलती , जहां बसपा की मौजूदगी नहीं है , िरेलकन अम्बेडकर्वाद मौजूद है और उस सद्भावना के लिए अन्य राजयों में कांग्रेस को बहुत जगह लमिरेगी । दुर्भागय सरे , कांग्रेस की दलित पहुंच प्ककृलत में ब्राह्मर्वादी दिखती है और तरेिंगाना जैसी जगहों पर , बसपा के डॉ आरके प्रवीण कुमार दलितों को बसपा में लानरे के लिए बहुत मरेहनत कर रहरे हैं । उत्र प्दरेश के बाहर , तरेिंगाना ्वह राजय है जहां बसपा निश्चत रूप सरे ठीक होनरे के संकेत दरे रही है कयोंकि डॉ प्रवीण कुमार नरे हाल ही में बड़े पैमानरे पर अभियान और राजय के कोनरे-कोनरे में यात्रा शुरू की है ।
बसपा और मायावत़ी पर घटिया बयान
बसपा प्मुख माया्वती पर राहुल गांधी का बयान स्थिति की खराब समझ को दर्शाता है । यह दा्वा करना कि सुश्ी माया्वती नरे ईडी और सीबीआई के डर सरे चुना्व नहीं लडा , बरेहद खराब फैसला है । इसमें कोई संदरेह नहीं है कि बसपा उत्र प्दरेश में अपनी लडाई बहुत पहिरे हार गई कयोंकि दलितों के बीच धारणा की लडाई में भी ्वह चुना्व नहीं िड रही थिी । हम नहीं जानतरे कयों िरेलकन उनकी धारणा खतरनाक थिी और अंततः पाटथी को भारी कीमत चुकानी पडी । िरेलकन राहुल गांधी के लिए इस तरह की टिपपरी करना अचछा नहीं है कयोंकि बसपा नरे तकनीकी रूप सरे अभी भी कांग्रेस पाटथी की तुलना में बहुत बरेहतर प्दर्शन किया है और कांग्रेस के मुकाबिरे लगभग 12 % ्वोट शरेयर , दयनीय 2 % है । यह कहना कि आप माया्वती को ‘ मुखयमंत्री ’ बनातरे
हासयासपद है कयोंकि राजनीति में सब कुछ लुट कर ऐसी बात कहनरे के कोई मायनरे नहीं है । अगर अलखिरेश याद्व नरे इस तरह का बयान दिया होता , तो कोई भरोसा करता , राहुल गांधी और काँग्रेस पाटथी ईमानदारी सरे यरे बात बताएं कि कया बसपा नरे उत्राखंड , मधय प्दरेश और राजस्थान में समय समय पर काँग्रेस पाटथी की सरकार बनानरे में सहयोग नहीं किया ? इससरे जयादा यरे महत्वपूर्ण है के आखिर काँग्रेस नरे इसका ज्वाब कैसरे दिया ? हकीकत यरे है कि काँग्रेस के स्थानीय नरेताओं नरे बसपा को इन तीनों राजयों में खतम करनरे के प्यास किए और ल्विायकों सरे दल बदल कर्वा लिया । आप अपनरे को समथि्षन दरेनरे ्वाली पाटथी के साथि ऐसा व्यवहार करके कया संदरेश दरे रहरे हैं ? कम सरे कम काँग्रेस इस संदर्भ में भाजपा सरे बहुत कुछ सीख सकती है ।
जब समझ ह़ी नहीं तो साथ का सवाल कहां
बार-बार दलितों सरे यरे स्वाल करना के ्वरे भाजपा में कयों गए या हिन्दुत्व के साथि कयों गए , दलितों की राजनीतिक सोच को कम आँकनरे जैसा है । कांग्रेस जो अभी भी ब्राह्मर्वादी अभिजात ्वग्ष के लिए अपनरे पयार सरे दूर नहीं हुई है और जिसनरे खुद को ब्राह्मणों के अनुकूल दिखनरे के लिए सब कुछ परेश किया है , ्वह दलितों सरे ज्वाब कैसरे मांग सकती है । यह चौंकानरे ्वाला है कि कोई यह नहीं पूछ रहा है कि स्वर्ण , ब्राह्मण , ठाकुर , कायस्थ , बनिया भाजपा को ्वोट कयों दरे रहरे है ? कांग्रेस कयों नहीं समझ पा रही है कि ब्राह्मण और स्वर्ण ्वापस अपनरे पािरे में नहीं आनरे ्वािरे हैं और जब तक ्वह खुिरे दिल सरे अम्बेडकर्वाद की अपनी समझ के साथि दलितों के पास नहीं जाती , तब तक ्वह आगरे नहीं बढ़ सकती । जब मैं अम्बेडकर्वाद का सुझा्व दरे रहा हूं , तो मैं के्वि यह सुझा्व दरे रहा हूं कि अम्बेडकर के ल्व््व दृष्टिकोण को समझरे बिना कांग्रेस ्वास्तव में दलित ्वोटों का दा्वा नहीं कर सकती । आज , कांग्रेस को ्वास्तव में आतमलनरीक्र
करनरे की आवश्यकता है कि ‘ दलित ‘ कांग्रेस सरे कयों चिरे गए हैं । पाटथी भी दलितों को लुभानरे की पूरी कोशिश कर रही थिी , िरेलकन असफल रही और इसका कारण बहुत आसान है । जैसा कि 1989 के बाद भारत के राजनीतिक मानचित्र में चीजें बदल गई हैं । कांग्रेस इसरे पसंद करती है या नहीं िरेलकन हाशिए के लोग सत्ा संरचना में हिससा िरेना चाहतरे हैं और ्वरे के्वि हाशिए के मुद्दे को नहीं बोलना चाहतरे हैं बल्क उन्हें महत्व दिया जाना चाहिए । भाजपा नरे जाति की गतिशीलता को कांग्रेस सरे काफी बरेहतर समझा और समाज के सभी वर्गों को इसमें लाया । कांग्रेस दुर्भागय सरे असपष्ट थिी और ्वैचारिक संकट सरे पीलडत थिी कयोंकि 1980 के दशक के बाद सरे अधिकांश ‘ चमचा ’
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