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को महसूस करना कि भारत के मुद्ों को अम्बेडकर्वादी ल्वचारों की अनदरेखी करके हल नहीं किया जा सकता है । कयोंकि पूररे काय्षक्म मरे काँग्रेस की तरफ सरे बाबा साहब का नाम के्वि एक फॉममैलिटी के तौर पर लिया गया , दिल सरे जो बात आनी चाहिए थिी ्वो नरेताओं की जुबान पर नहीं थिी । पूररे काय्षक्म की प्ककृलत और इसकी रूपररेखा को दरेखतरे हुए , यह सपष्ट रूप सरे दिखाई दरेता है कि कांग्रेस पाटथी पूरी तरह सरे अम्बेडकर्वाद या अम्बेडकर्वादी ल्वचारधारा को अपनानरे में सक्म नहीं है । दो महिला पैनलिसटों की ओर सरे ‘ प्लतरोध ’ थिा , जो कांग्रेस पाटथी सरे प्तीत होती हैं , तब भी जब पैनलिसटों में सरे एक नरे सपष्ट रूप सरे डॉ अंबरेडकर की
तस्वीरें कांग्रेस मुखयािय में लगानरे के साथि-साथि उनके योगदान का सममान करनरे की बात कही थिी । जिग्नेश मरे्वानी नरे कहा कि मधयम ्वग्ष के दलितों की आकांक्ाओं का सममान करनरे की जरूरत है , िरेलकन जयादातर कांग्रेस नरेताओं को लगता है कि इसरे ‘ दलितों के लिए िडनरे ’ और उन्हें यह दिखानरे की जरूरत है कि इसनरे उनकी कितनी ‘ दरेखभाल ’ की है । खैर , इस तथय को नजरअंदाज करनरे की जरूरत नहीं है कि दो यूपीए सरकारों नरे न के्वि आरक्र पर हमला किया , बल्क निजीकरण की प्लक्या को बढ़ा्वा दिया ।
दलित विमर्श की जम़ीऩी हकीकत से इनकार
जिस तरह सरे कांग्रेस नरेताओं नरे दलित मुद्ों और उनके प्लतलनलित्व के बाररे में बात की , ्वह जमीनी हकीकत में समझ की कमी या इनकार को दर्शाता है । पहली बात , अगर कांग्रेस या राहुल गांधी दलित और उसकी ल्वरासत के मुद्दे को समझनरे के बाररे में कुछ सीख सकतरे हैं , तो प्लतलनलित्व के मुद्ों का सममान करना और सत्ा संरचना में हिससा िरेना है । आज यरे सभी ओबीसी , आलद्वासी और अ्पसंखयक समरेत इस प्लतलनलित्व की मांग कर रहरे हैं । कांग्रेस के पास एक समय में इन समुदायों के कई नरेता थिरे , िरेलकन कांग्रेस को इस तथय को कम नहीं समझना चाहिए कि मंडल के बाद का भारत अलग है । अब , भारत में दलितों के मुद्दे को डॉ बाबा साहरेब अम्बेडकर के साथि अपनरे संबंधों को समझरे बिना नहीं निपटा जा सकता है । ्वरे दिन गए जब कांग्रेस को बाबू जगजी्वन राम के नाम पर ्वोट मिलतरे थिरे । आज , उस ल्वचार के बहुत सरे लोग नहीं हैं और बाबूजी के नाम सरे दलितों का ्वोट तो कतई नहीं मिल सकता । नरेंद्र मोदी नरे बाबा साहरेब अंबरेडकर का कितना ‘ सममान ’ किया है , यह दर्शानरे के लिए हर मौके का इस्तेमाल किया है , कांग्रेस पाटथी में उस परिष्कार का अभा्व है । आज भी पुसतक ल्वमोचन समारोह के दौरान मंच के किनाररे डॉ . अम्बेडकर की तस्वीर रखी गई थिी और राहुल गांधी द्ारा
दी गई श्द्धांजलि महज एक औपचारिकता थिी ।
डॉ अम्ेडकर को समझने का खोया अवसर
राहुल गांधी अपनरे पूररे भाषण में ्वर्ण समाज के संकट को दर्शानरे के लिए अंबरेडकर को उद्धृत नहीं कर सके । दलितों को ‘ जैसरे के लिए तैसा ’ करनरे के लिए कहनरे का उनका प्यास थिोडा सनकी थिा , जो डॉ बाबा साहरेब अम्बेडकर नरे अपनरे किसी अनुयायी सरे कभी नहीं कहा । अम्बेडकर्वाद के्वि ब्राह्मर्वादी ‘ शोषण ’ या उतपीडन का ज्वाब दरेनरे का दर्शन नहीं है बल्क उससरे भी बडा है । प्बुद्ध भारत का ल्वचार एक समा्वरेशी दर्शन है जो भारत को ्वर्ण व्यवस्था के कारण हुए ल्वखंडन सरे और भी दूर िरे जा सकता है । अगर राहुल गांधी और कांग्रेस पाटथी ्वास्तव में दलितों और उनके मुद्ों के बाररे में बोलना चाहतरे हैं तो कांग्रेस पाटथी के लिए महत्वपूर्ण है कि ्वह संरक्षणवादी दृष्टिकोण सरे दूर हो और यह सपष्ट रूप सरे समझें कि अम्बेडकर और उनके ल्वचारों के बिना आप दलितों तक नहीं पहुंच सकतरे । अंबरेडकर फुिरे परेरियार एक ्वैकल्पक सामाजिक सांस्कृतिक दर्शन दिए और कहीं पर भी उन्होंनरे हिंसा की ्वकालत नहीं की । राहुल गांधी इस अ्वसर का उपयोग अम्बेडकर्वाद के ल्वचारों को नरेहरू की ल्वचारधारा के साथि लानरे के लिए कर सकतरे थिरे जो भारत को एक आधुनिक राष्ट्र बना दरेगा जैसा कि ्वरे दोनों चाहतरे थिरे । अम्बेडकर और नरेहरू दोनों ही आधुनिक भारत के निर्माता और प्तीक बनरे हुए हैं । उनमें समानताएं अधिक हैं और यद्यपि मतभरेद हैं िरेलकन निश्चत रूप सरे उनकी समानताओं की बात अधिक थिी । दुर्भागय सरे , राहुल गांधी और कांग्रेस पाटथी नरे इस संबंध में बहुत कम काम किया है और ऐसा लगता है कि कांग्रेस अभी तक बाबा साहरेब अम्बेडकर को स्वाभाल्वक रूप सरे गिरे नहीं लगा पाई है ।
दलितों को चाहिए राजऩीतिक भाग़ीदाऱी कांग्रेस को यह याद रखना चाहिए कि कई
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