eMag_May2022_DA | Page 10

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समझें तो मधय प्दरेश के ल्विानसभा चुना्व में भी इस बार दलित एजेंडा ही हा्वी रहनरे्वाला है ।
दक्षिण में भ़ी दलित वर्चस्व की हवा
दलक्र भारत की राजनीति पर नजर डालें तो ्वहां भी दलित ्वच्षस्व की बयार बह रही है और दलितों का समथि्षन हासिल करनरे के लिए सभी पार्टियां कोई कोर कसर छोडनरे के लिए तैयार नहीं हैं । दलितों को समानता का अधिकार दिलानरे ्वािरे संत रामानुजाचार्य के प्लत अपनी भसकत का प्दर्शन करके तरेिंगाना में सत्ारूढ़ टीआरएस आंध् प्दरेश और तरेिंगाना के दलित
मतदाताओं को रिझानरे की कोशिश कर रही है जिसके तहत हैदराबाद स्थित मुचिन्तल गां्व में में एक हजार करोड रूपए की परियोजना आ्वंटित कर 45 एकड के परिसर में रामानुजाचार्य की दिवय ्व भवय प्लतमा बनाई गई है । रामानुजाचार्य की एक हजार्वीं जन्म जयंती के मौके पर आयोजित सहसत्रासबद समारोह में शिरकत करतरे हुए ल्व््व की इस 26्वीं सबसरे बडी प्लतमा ' स्टैचयू आफ इक्वैलिटी ' का उदघाटन करनरे के लिए पहुंचकर प्िानमंत्री नरेंद्र मोदी नरे भी दलित समाज को यह संदरेश दरेनरे की भरसक कोशिश की है कि सबका साथि और सबका ल्व््वास के मूल मंत्र के तहत सबको समानता का अधिकार दिलानरे के लिए ्वरे , उनकी
सरकार और उनकी पाटथी पूरी तरह कटिबद्ध हैं । तमिलनाडु की बात करें तो पूररे तमिलनाडु में दलित आबादी करीब 20 फीसदी है । यहां के कुछ दलक्री जिलों में दलित कुल जनसंखया का 30 प्लतशत सरे भी अधिक हैं । उनमें सरे कुछ तो बडी जमीन के मालिक भी हैं और ्वरे अपनी पहचान ग्व्ष के साथि बतातरे हैं । िरेलकन महानगरों सरे अलग गां्वों , छोट़े शहरों ्व कसबों में दलितों के लिए समानता सुनिश्चत करना आज भी चुनौती बनी हुई है । ऐसरे में परेरियार के आंदोलन की याद दिलाकर प्तीकों की राजनीति के सहाररे दलितों को आगरे आनरे का मौका दिलानरे के लिए सभी राजनीतिक दल बढ़ — चढ़कर प्लतबद्धता जता रहरे हैं । दलक्र में दलित राजनीति पर अपनी पकड मजबूत करनरे और दलित समाज के स्वाभिमान को आगरे बढ़ानरे के मकसद सरे तामिलनाडु के मुखयमंत्री एम . के सटालिन की सरकार नरे परेरियार के ल्वचारों को दुनिया भर में पहुंचानरे के लिए एक बडा कदम उठाया है । परेरियार की रचनाओं का हिंदी और मराठी समरेत 21 भारतीय भाषाओं में अनु्वाद होगा । इसरे डिजिटल रूप में भी जन-जन तक पहुंचाया जाएगा । तमिलनाडु सरकार नरे इसके लिए पहिरे साल में 5 करोड रुपयरे का बजट रखा है । तमिलनाडु , कर्नाटक , केरल , आंध् प्दरेश ्व तरेिंगाना जैसरे दलक्री राजयों में तुलनातमक तौर पर दलित समाज की आबादी सबसरे अधिक होनरे के बा्वजूद यहां की राजनीति में पिछड़े वर्गों का ही दबदबा रहा है । िरेलकन अब जिस तरह सरे दलित चरेतना का उभार ्व ल्वसतार हो रहा है और उपजातीय मतभरेदों सरे उबर कर समूचा दलित समाज अपनरे हितों के प्लत सजग ्व संगठित हो रहा है उससरे तमाम राजनीतिक दलों को उन्हें आगरे आनरे का मौका दरेनरे और सत्ा ्व संगठन सरे िरेकर समूची प्शासनिक ्व सामाजिक व्यवस्था में उन्हें उनका हक दरेना पड रहा है । यही ्वजह है कि दलक्र में ल्वजयी समीकरण बनानरे के लिए विभिन्न दलित समूहों को अपनरे गठबंधन में शामिल करनरे और उनके हितों को धयान में रखतरे हुए योजनाएं बनानरे में सभी राजनीतिक दल पूरी सजगता के साथि जुट़े
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