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हैं । जीएफए ‘ पलांक््टंग मूवमें्ट ’ चिलाता है । इसके तहत नई जगह पर चिचि्य बनाकर वहां पादरी की व्यवसथा कर दी जाती है और क्िर गांव-गांव कन्वर्जन का क्सलक्सला शुरू हो जाता है । खास बात ्यह है क्क ऐसे चिचि्य में सारी गक्तक्वक्ध्यां सथानी्य रीक्त-रिवाज के अनुसार होती हैं । इससे आम लोगों को पता नहीं चिलता क्क वे ईसाइ्यत के चिंगुल में िरंसने जा रहे हैं । पादरी ईसाइ्यत के प्रचिार को ‘ सतसंग ’, ्यीशु को ‘ गुरु ’ आक्द नामों से संबोक्धत करते हैं और बाका्यदा लंगर भी लगाते हैं । ्यहां तक क्क वे क्सखों , क्वशेषकर वंक्चित क्सखों को आकक्र्यत करने के क्लए कई- कई बार गुरु पर्व का आ्योजन भी करते हैं । इनके झांसे में आम लोग ही नहीं , गुरुद्ारों के संचिालक तक आ जाते हैं । हाल में गुरदासपुर के एक गुरुद्ारे में क्रिसमस के मौके पर लंगर लगाते हुए वीक्ड्यो वा्यरल हुआ । गुरुद्ारे में ईसा मसीह के भजन भी गाए गए । क्कसी ने इसे फेसबुक पर लाइव कर क्द्या तो इलाके में कोहराम मचि ग्या । फेसबुक लाइव करने वाले ्युवक को गुरुद्ारे से जुड़़े लोगों ने खूब डां्टा- ि्टकारा ।
बलात्ार के आरोपी बिशप का कु छ नहीं बिगड़ा
गत वर्ष जालंधर में रह रहे केरल मूल के क्बशप फ्ेंको मुलककल पर एक नन के साथ दुराचिार करने का आरोप लगा । इसे लेकर केरल में खूब हंगामा हुआ । पुक्लस ने फ्ेंको को क्गरफतार भी कर क्ल्या , लेक्कन अपने प्रभाव का इसतेमाल कर वह जलद ही जेल से बाहर आ ग्या और इस मामले से जुड़़े एक अहम गवाह को जालंधर के एक चिचि्य में मृत पा्या ग्या । इसे चिचि्य का प्रभाव ही कहा जाएगा क्क पुक्लस प्रशासन अभी तक इस पूर्व क्बशप का बाल भी बांका नहीं कर पा्या और बेचिारी नन को केरल में तरह-तरह की परेशाक्न्यों का सामना करना पड़ रहा है ।
दुनिया का चौथा बड़ा चर्च जालंधर में ..! अंकुर नरूला पंजाब ही नहीं , देशभर में
‘ अंकुर नरूला क्मक्नसट्ीज ’ के बैनर तले अपनी ईसाई गक्तक्वक्ध्यां चिला रहा है और बड़ी संख्या में लोगों को कत्व्ट्ड कर चिुका है । वह जालंधर के गांव खामरिा में 2,000 करोड़ रु . की लागत से दुक्न्या का चिौथा सबसे बड़ा चिचि्य बनवा रहा है । इसके क्लए वह दुक्न्याभर से चिंदा उगाही कर रहा है । इसे उत्र भारत का तेजी से बढ़ता चिचि्य माना जाता है । अंकुर ने 2008 में मारि तीन लोगों के साथ चिचि्य शुरू क्क्या था , लेक्कन 2016 आते-आते वह प्रक्त सपताह 25,000 लोगों को ‘ उपदेश ’ देने लगा । माना जाता है क्क अकतूबर 2018 तक इस चिचि्य से वह 1,18,000 लोगों को जोड़ चिुका था । बीमारर्यों को ठीक करने के भ्रामक दावे कर वह खासतौर से गुरदासपुर , मुकेरर्यां , माखू , चिंडीगढ़ , अमृतसर , भोगपुर , ब्टाला आक्द में अपना साम्ाज्य बढ़ा रहा है ।
पं . श्रद्ाराम ने कपूरथला नरेश को ईसाई होने से बचाया
पंजाब में कन्वर्जन का पुराना इक्तहास है । हालांक्क इसके क्वरुद्ध संघर्ष की गौरवशाली गाथाएं भी हैं , क्जसके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं । क्हंदू समाज के हर धाक्म्यक का्य्य एवं ्यज्ञ व पूजा-पाठ के दौरान अक्नवा्य्यत : गाई जाने वाली आरती ‘ ओम ज्य जगदीश हरे ’ के रचिक््यता पं . श्रद्धाराम क्िललौरी ( 1837-1881 )
जालंधर के क्नक्ट क्िललौर के रहने वाले थे । उस सम्य कपूरथला रर्यासत को इंगलैंड से काफी मदद क्मलती थी । इसक्लए ईसाई क्मशनरर्यों ने ्यह कह कर महाराजा रणधीर क्संह पर कन्वर्जन का दबाव बना्या क्क अगर वे ईसाई बन जाते हैं तो सहा्यता और बढ़ सकती है । महाराजा तै्यार हो गए । पोप का भी क्दलली आगमन हुआ । लेक्कन पं . श्रद्धाराम को इसकी भनक लग गई । उन्होंने महाराजा को रोकने की ठानी । जब वे महाराजा से क्मलने गए तो उन्हें रोक क्द्या ग्या । क्लहाजा , वे महल के आगे ही भूख हड़ताल पर बैठ गए । राजकी्य पुजारी ने महाराजा को समझा्या क्क भले ही वे पं . श्रद्धाराम की बात न मानें , पर उनसे एक बार अवश्य क्मल लें । महाराजा तै्यार हो गए । पंक्डत जी एक हफते तक उनके साथ महल में रहे । उन्होंने कपूरथला नरेश को क्हंदू-क्सख धर्म की महानता व ईसाइ्यों के षड्ंरि के बारे में क्वसतार से समझा्या । इसका ्यह असर हुआ क्क महाराजा ने फैसला बदल क्द्या और पं . श्रद्धाराम को हाथी पर बैठा कर ससममान उनके गृह क्िललौर तक छोड़ कर आए ।
लुक्ध्याना में छापाखाना खुलने के बाद तेजी से ईसाइ्यत का प्रचिार-प्रसार हुआ । लेक्कन पं . श्रद्धाराम ने इस चिुनौती का सामना क्क्या । वे क्हंदू-क्सख धर्मग्ंथों की अचछी बातों और क्शक्ाओं के पोस्टर बनवा कर आसपास गांवों
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