आने वाले लोगों की संख्या 3-4 लाख पार कर चिुकी है । केवल अंकुर नरूला ही नहीं , करंचिन मित्तल , बक्जंद्र क्संह , रमन हंस आक्द क्हंदू-क्सख नामों वाले पास्टर , प्रोफेटस व एपोस्टले बड़ी संख्या में क्हंदुओं-क्सखों को कत्व्ट्ड कर रहे हैं , पर राज्य व देश के मीक्ड्या में इस पर चिचिा्य नहीं होती । वहीं , हक्िरंग्टन पोस्ट सक्हत कई क्वदेशी अखबारों में कन्वर्जन की खबरें प्रकाक्शत हो चिुकी हैं । इनमें क्वसतार से बता्या ग्या है क्क क्कस तरह पंजाब में क्हंदू-क्सख क्वशेषकर वंक्चित समाज अर्थात दक्लत और क्पछड़़े वर्ग के लोग अपना धर्म-पंथ छोड़ रहे हैं ।
चर्च में मतभेद , कन्वर्जन पर एकमत
पंजाब में मौजूद दर्जनों तरह के चिचि्य के बीचि परसपर चिाहे क्जतने मतभेद हों , परंतु कन्वर्जन ्या इससे जुड़ी गक्तक्वक्ध्यों पर वे एकमत नजर
आते हैं । इन सभी चिचि्य के पास हजारों-लाखों की संख्या में अनु्या्यी हैं । इनमें से अक्धकांश ‘ एजें्ट ’ का काम भी करते हैं । इनके अलावा , सवतंरि चिचि्य का भी राज्य में अक्भनव प्र्योग देखने को क्मल रहा है । अमृतसर की कम आबादी वाले गुराला गांव में सड़क से कुछ ह्ट कर करनैल क्संह प्रवचिन देते हैं और क्गरजाघर जाने वाले अपने अनु्याक््य्यों से जोर से कहते हैं , ‘ ्यीशु महान है ।’ करीब 150 औरतों और पुरुषों की भीड़ उसे दोहराती है । पास में शोर मचिाता जेनरे्टर , एक मारुक्त वैन और दीवार पर ईसा मसीह का एक पोस्टर क्दख रहा है । करनैल क्संह के क्गरजाघर का नाम ‘ चिचि्य ऑ़ि जीसस लव ’ है । वे उन हजारों पादरर्यों में से एक हैं , जो पूरे देश में अवतरित हो गए हैं । वे बाइक्बल के उपदेशों को अलग तरह से पेश कर रहे हैं । करनैल का कन्वर्जन कराने का तरीका भी अलग
है । क्सख पंथ छोड़कर ईसाइ्यत अपनाने वाले करनैल क्पछले 10 साल से इस मत का प्रचिार- प्रसार कर रहे हैं । वे कहते हैं , ‘‘ क्पछले एक साल से मेरे चिचि्य में लोगों की संख्या बढ़ने लगी है । मैं अपना चिचि्य चिलाता हूं । क्कसी मुख्यधारा के चिचि्य को रिपो्ट्ड करना नहीं चिाहता । मैं क्सि्फ ई्वर को रिपो्ट्ड करता हूं ।’’ ्यही 58 वर्षीय करनैल पहले खेतों में काम करते थे , लेक्कन अब अपने उपदेशों के साथ संगीत का क्मश्रण करते हैं । उनकी बेक््ट्यों ने हाल ही में बाइक्बल उपदेशक बनने के क्लए क्डपलोमा क्क्या है ।
काम वही , तरीके बदले
इस तरह के चिचि्य को ‘ क्बलीवर्स चिचि्य ’ कहा जाता है , क्जसकी शुरुआत ्ट़ेकसास शसथत गॉसपल फॉर एक्श्या ( जीएफए ) ने की थी । जीएफए के प्र्यासों से राज्य में बड़ी संख्या में चिचि्य बन गए
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