eMag_May 2021_Dalit Andolan | Page 24

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बंगाल को फिर चाहिए गोपाल पाठा जैसा खटिक नेता गोपाल खटिक एक बार िफर तुम्ें आना होगा बंगाल

दे के कई महाना्यक ऐसे हैं , क्जनका नाम

इक्तहास में क्लखा नहीं ग्या । क्यों ? कारण
बहुत सपष्ट है । ऐसा ही एक महाना्यक पश्चिम बंगाल का वह व्यशकततव हैं , क्जसने बंगाल के नोआखाली में हुए दंगे में मुशसलम जेहाक्द्यों द्ारा क्हत्दुओं के कतलेआम से रिुद्ध होकर अपने कुछ साक्थ्यों के साथ क्मल कर मुशसलम जेहाक्द्यों को इस तरह खतम क्क्या क्क क्हत्दुओं की मौत पर चिुपपी साध लेने महातमा गांधी मुशसलम जेहाक्द्यों के मारे जाने पर दुखी होकर अनशन पर बैठ गए । इस वीर पुरुष का नाम है गोपाल पाठा ख्टीक । मांस बेचिने का व्यवसा्य करने वाले गोपाल पाठा को जानबूझकर इक्तहास के पृषठों से दूर रखा ग्या ।
16 अगसत 1946 का क्दन कलकत्ा में ' डा्यरेक्ट एकशन ' के रूप में जाना जाता है । ्यह वह क्दन भी था , जब अक्वभाक्जत बंगाल के मुख्यमंरिी सुहरावदजी के इशारे पर मुशसलम जेहाक्द्यों ने कोलकाता की गक्ल्यों में भ्यानक नरसंहार शुरू कर क्द्या । कोलकाता की गक्ल्यां शमशान बन ग्यी , चिारों और केवल क्हंदुओं लाशें और उन पर मंडराते क्गद्ध ही देखे जा रहे थे । कोलकाता व आसपास के क्ेरिों में जघत््यता व बेरहमी से क्हत्दुओं का कतल क्क्या था । अगले क्दन 17 अगसत को क्हत्दुओं की इस जघत््य सामूक्हक हत्या , लू्टपा्ट और बलातकार की खबर कलकत्ा के क्नवासी एक खक््टक ्युवा तक पहुंचिी । गोपाल पाठा नामक इस ्युवा का वास्तविक नाम गोपाल मुखजजी था परन्तु बकरे का मांस क्वरि्य करने के कारण उनका नाम
‘ गोपाल पाठा ’ प्रक्सद्ध हो ग्या था । बंगाली में बकरे को पाठा कहते हैं । उनके घर के सामने एक पान की दुकान थी । डा्यरेक्ट एकशन वाले क्दन जेहादी मुसलमानों ने उनके घर के सामने दंगा क्क्या , घर के दरवाज़े पर आग लगाने के साथ पान की दुकान भी जला दी । घर की मक्हलाएं दरवाजा अन्दर से बन्द करके घर के अन्दर ही बैठी रहीं । परन्तु गोपाल पाठा के मुहलले के पुरुष रकत से साहसी थे , जब वे
प्रक्तकार हेतु केवल इकट्ा भर हुए , तो उस क्जहादी भीड़ ने उल्ट़े पैर रासता पकड़ क्ल्या ।
गोपाल पाठा जानते थे क्क शहर के एक कोने से आरमभ हुई आग अपने घर तक पहुंचिेगी ही । उनके एक मित्र थे जुगल चित्द्र घोष । वह एक अखाड़ा चिलाते थे , जहां सथानी्य लड़के पहलवानी क्क्या करते थे । जुगलजी के प्रक्त उनके लड़के समक्प्यत थे तथा गुरु भाव होने के कारण उनकी आज्ञा अकाट्य रूप से मानते थे ।
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