17 अगसत की सुबह जुगल घोष के ही साथ एक वाहन में गोपाल पाठा इस क्रूर हत्याकाणड का वीभतस दृश्य देखने क्नकल पड़़े । गोपाल ने जो कुछ भी देखा , सुना , समझा उससे अक्ज्यत अपार दु : ख व रिोध से उन्होंने जुगल घोष से केवल एक बात कही “ तुम देखना , इसका भ्यंकर प्रक्तशोध होगा ”। गोपाल पाठा केवल खक््टक ही नहीं थे , उन्होंने प्राककृक्तक क्वपदा के सम्य लोगों की सहा्यता के क्लए एक राषट्रीय संगठन बना्या था , क्जसमें नव्युवकों को सम्मिलित क्क्या ग्या था । वह सुभाष चित्द्र बोस के घोर समर्थक थे तथा रिाशत्तकारर्यों से भी उनका मेलजोल था । उन्होंने अपने मोहलले के पुरुषों को इकट्ा क्क्या , क्िर अपने संगठन के लड़कों को , क्िर जुगल घोष के अखाड़़े के पहलवानों को , क्जसे जो बेहतर हक्थ्यार क्मला , उसे वही लेकर आने को कहा ग्या । ्ये सभी पुरुष डण्डे , फावड़़े , छो्ट़े-बड़़े हथौड़़े , कुदाल , ्टंक्ग्या , खुरपी , छ़ेनी , चिाकरू , फरसे , हँक्स्या , गंडासे , गैंती , धारदार चिाकरू और तलवारें , ्यहाँ तक क्क चिारपाई खक््ट्या के पाए भी , लेकर एक क्हत्दू लड़ाके बन गए थे , क्जनके रिोध की सीमा नहीं थी । इसके बाद क्जन-क्जन दुकानों को लू्ट क्ल्या ग्या था उन मारवाक्ड़्यों से , क्जन फैक्टरी और क्मल को लू्टा जाना था उनके माक्लकों से उसकी सुरक्ा हेतु , धन इकट्ा क्क्या ग्या ।
उस सम्य द्विती्य क्व्व्युद्ध चिल रहा था क्जसके चिलते बंगाल में नीग्ो सैक्नकों का भी पड़ाव होता था , इन सैक्नकों से पैसे के बदले बन्दूकें , ग्ेनेडस तथा गोक्ल्यां क्मलीं । अन्त में हर उस क्हत्दू को दल में शाक्मल क्क्या ग्या जो बचि ग्या था , क्जसने अपने लोगों को मरते-क्टते बलातकार होते देखा था , क्जसने अपने पड़ोसी मुसलमान को धोखा देते और अपना सब कुछ लू्टते देखा था । ्ये सब उन क्जहाक्द्यों को जानते थे , इनका मुख्य का ्य ही उन विश्वासघाक्त्यों की पहचिान करना था । इसके बाद गोपाल पाठा ने इन धधकते क्हत्दुओं से कहा , “ क्हत्दुओं के शव देखो क्क उन्हें कैसे मारा ग्या है , मैं हर एक क्हत्दू के बदले इन दस क्जहादी मुसलमानों की लाशें चिाहता हूँ । जब बादतक तुम एक के
बदले दस नहीं मार डालोगे तब तक ्ये रुकेगा नहीं । अगर क्हत्दू के शरीर में पांचि घाव क्दखाई दें तो मुसलमान के शरीर में पचिास घाव करो ।” इस प्रकार का एक दल हर क्हत्दू मुहलले में सुक्न्योक्जत तरीके से बना्या ग्या । मुसलमानों ने ्यह सोचिा नहीं था क्क क्हत्दुओं में इस तरीके का प्रक्तरोध तै्यार हो चिुका है ।
18 अगसत की सुबह उन्होंने क्िर हमला क्क्या । हृद्य में रिोध की भट्ी क्लए तथा बुक्द्ध में शरिु के समूल क्वनाश का लक््य क्लए क्हत्दू पूरी तरह तै्यार थे । क्हत्दू लड़ाकों ने इतनी जोर का जवाबी आरिमण क्क्या क्क मुसलमानों की आंखे हैरत से ि्ट ग्यी । जेहाक्द्यों को क्जस तरह से रकतरंक्जत जवाब क्मला , उसकी कलपना उन्होंने की थी । क्हत्दुओं का कतलेआम करने के क्लए जेहाक्द्यों के पे्ट क्हत्दू लड़ाकों ने फरसे से फाड़ डाले , आधे तो वहीं मार डाले गए जो वापस भागने लगे , उन्हें दौड़ाना आरमभ क्क्या और जब तक वह सभी अपने इलाके में पहुंचि पाते , उन्हें मार क्गरा्या । गोपाल पाठा का साफ निर्देश था क्क ्यक्द मुसलमान तुमहें सुबह-सुबह मारते हैं तो तुम सारा क्दन उनकी क्टाई करो । क्जसने भी क्हत्दुओं की हत्या की है , उसे ढूँढ़ो , घात लगाओ व मार डालो । इसके बाद क्हत्दू लड़ाकों ने ऐसा जवाब क्द्या क्क जेहाक्द्यों की रूह कांप उठी ।
फहीम चिाचिा जैसे उन लोगों की , क्जत्होंने अपने पडोसी क्हत्दू परिवारों के साथ विश्वासघात क्क्या था , क्िर उनकी पहचिान का काम शुरू हुआ । इन धोखेबाज़ों ने ्ये सोचिा नहीं था क्क इनकी वीभतस दुग्यक्त होगी । क्हत्दू पहलवानों ने इन्हें इनके घरों से खींचिकर क्नकाला और उनको धोखेबाज़ी की वो सजा दी , क्जसके वह हकदार थे । पूरे क्ेरि में ऐसा कोई मुसलमान नहीं बचिा क्जसने हत्याकाणड में साथ क्द्या हो तथा जीक्वत बचि ग्या हो । गोपाल पाठा ने औरतों तथा बच्ों को छोड़ने को कहा था , परन्तु जेहाक्द्यों को बचिाने जो भी आ्या , वह मार क्द्या ग । गोपाल पाठा कहते थे क्क *” जो मां काली का अपमान करता है , उसे काली का ग्ास बना देना ही हमारा काम है ।”
इस भ्यानक रकतपात , चिीर-फाड़ मचिा देनेवाले वीभतस दृश्य को देखकर गुलाम रसूल की रूह क्सहर ग्यी । उसे इतना अक्धक भ्य व्यापा क्क उसने गोपाल पाठा के सामने अपनी बात कह भेजी- “ बहुत खून खराबा हो ग्या , आपने भी बहुत खून बहा क्ल्या और हमने भी , अब ्ये खून खराबा हम और नहीं सह सकते , आप रुक जाइए ।" परन्तु गोपाल पाठा इसके क्लए राजी नहीं हुए । वे जानते थे क्क ्यह अल तक्क्या ही है , उन्होने कोई समझौता नहीं क्क्या , परिणामतः गुलाम रसूल लाहौर भाग ग्या । सुहरावदजी की ्योजना थी क्हत्दुओं का कतल- ए-आम करवा के वह उस क्ेरि को मुशसलम बहुल इलाका बना देगा । परन्तु इसके बदले उसे कई मुशसलम बहुल क्ेरि गंवाने । उसकी ्योजना हावड़ा ब्रिज को नष्ट करके कलकत्ा के उस पार वाले क्ेरि को पूवजी पाक्कसतान में शाक्मल करने की थी । लेक्कन गोपाल पाठा की मुंह तोड़ देने वाली का्य्यवाही ने उसकी सारी ्योजना उड़ा दी ।
गोपाल पाठा उन क्दनों की ्याद करते हुए कहते थे क्क मुझे केवल बकरे की जगह क्हत्दुओं को मारनेवाले मुसलमान की गर्दन रखनी होती थी । जब अंग्ेजों ने सुहरावदजी की कुसजी ह्टा दी तथा नए मुसलमानों को वहाँ का शासन दे क्द्या तो महातमा गांधी कलकत्ा आ्या । जब तक क्हत्दुओं की हत्या होती रही , उसने कलकत्ा की ओर नहीं देखा । पर जैसे ही मुसलमानों की जान पर बन आ्यी तो कोलकाता आकर गोपाल पाठा से हक्थ्यार डालने के क्लए कहा । लेक्कन गोपाल पाठा ने कहा क्क क्जन शसरिों ने मेरे सवजनों के प्राण तथा शसरि्यों के सममान की रक्ा की है , उन शसरिों को मैं कभी नहीं समक्प्यत करूूँगा ।” अन्ततः अंग्ेजों को कलकत्ा में सेना उतारनी पड़ी । लक्कन गोपाल पाठा ने जो जवाब क्द्या था , उसके कारण तीन दशकों तक मुसलमानों ने क्हत्दुओं की तरफ एक ढ़ेला तक नहीं फेंका । ऐसे में बंगाल के हालत को देखकर कहना गलत नहीं लगता क्क पीक्ड़त क्हत्दुओं को एक क्िर गोपाल पाठा जैसे खक््टक नेता की जरुरत है । �
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