eMag_May 2021_Dalit Andolan | Page 16

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राष्टीय स्तर पर भाजपा कर रही है कांग्ेस का सफाया

डॉ . एके वर्मा

सम , पश्चिम बंगाल , तक्मलनाडु , केरल और पुडुचिेरी क्वधानसभा के बहुप्रतीक्षित चिुनाव परिणाम आ गए । असम में भाजपा , बंगाल में तृणमूल कांग्ेस और केरल में वाम मोचिा्य की सत्ा में वापसी हुई , जबक्क तक्मलनाडु और पुडुचिेरी में सत्ा परिवर्तन हुआ । केरल में 40 वरषों से वामपंथी- एलडीएफ और कांग्ेसी-्यूडीएफ के बारी-बारी से जीतने का रिम मुख्यमंरिी पी . क्वज्यन ने तोड़ क्द्या । कोक्वड आपदा के कारण क्नवा्यचिन आ्योग के क्लए चिुनाव कराना चिुनौतीपूर्ण थे , पर अपनी कर्मठता और अनुभव से उसने आपदा पर लोकतंरि की क्वज्य सुक्नश्चित की ।

असम में भाजपा की वापसी काफी अहम है , क्योंक्क नागरिकता कानून पर वह रक्ातमक थी । भाजपा , असम गण परिषद और बोडो समक्थ्यत ्यूनाइ्ट़ेड पीपुलस पार्टी-क्लबरल का गठबंधन बने रहने और कांग्ेस द्ारा सांप्रदाक््यक ्यूडीएफ से हाथ क्मलाने और बदरुद्ीन अजमल को असम का चिेहरा बनाने से सांप्रदाक््यक ध्ुवीकरण त्य हो ग्या । बांगलादेशी और रोक्हंग्या मुशसलमों की संख्या बढ़ने से असम के मतदाता क्चिंक्तत हैं । करीब 82 प्रक्तशत मतदान इस क्चिंता का संकेतक था । असम में क्हमंता क्बसवा सरमा और मुख्यमंरिी सर्बानंद सोनोवाल का क्वकास मॉडल भी प्रभावी रहा । भाजपा को असक्म्या मुसलमानों का भी समर्थन क्मला , जो वहां के बांगलादेशी मुसलमानों से क्चिढ़ते हैं ।
बंगाल में तृणमूल की तीसरी बार सरकार बनना अभूतपूर्व है । पार्टी ने वहां अपना जनाधार भी बढ़ा्या । भाजपा भले ही वहां अपेक्षित क्वज्य न हाक्सल कर सकी हो , पर 2016 में तीन सी्टों
और 10 फीसद वो्ट से लगभग 75 सी्टें और करीब 40 प्रक्तशत वो्ट प्रापत करना भी सराहनी्य है । इसकी शुरुआत 2019 के लोकसभा चिुनावों से हो गई थी , क्जसमें उसे 40 फीसद से अक्धक वो्ट और 18 सी्टें क्मली थीं । इसका कारण था बड़ी संख्या में दक्लतों , आक्दवाक्स्यों , क्पछड़ों का तृणमूल से क्छ्टककर भाजपा में आना । भाजपा ने बंगाल में अपने संगठन , कैडर और क्वचिारधारा को क्वसतार तो क्द्या , पर इतना नहीं क्क सत्ा प्रापत कर सके । क्िर भी बंगाल को उसके रूप में एक सशकत क्वपक् क्मला है , जो लोकतंरि के क्लए जरूरी है । बंगाल में कांग्ेस और वामपंथ का पूर्ण सफा्या हो ग्या । लगता है भाजपा ने उनसे उनका जनाधार छीन क्ल्या ।
केरल वामपंथ का गढ़ रहा है । सवतंरि भारत में प्रथम वामपंथी सरकार नंबूदरीपाद के नेतृतव में वहीं बनी थी । पहली बार 2016 में भाजपा को एक सी्ट और करीब 10 प्रक्तशत वो्ट क्मले । बाद में पंचिा्यत और नगरी्य चिुनावों में भी उसे सफलता क्मली । भाजपा ने श्रीधरन को चिेहरा बनाकर मक्हला सुरक्ा और क्वकास के मुद्े पर क्वधानसभा चिुनाव लड़ा । केरल में एलडीएफ की वापसी वासतव में मुख्यमंरिी क्वज्यन की जीत है , क्जत्होंने कोक्वड आपदा का अचछा प्रबंधन क्क्या । कांग्ेस ने राहुल और क्प्र्यंका के अलावा शक्श थरूर को एक बड़़े नेता के रूप में प्र्योग क्क्या , पर उसका दुर्भाग्य क्क इस बार उसका ्टन्य होने के बावजूद उसे सत्ा न क्मल सकी । भाजपा को दक्षिणी राज्यों और खासकर केरल में सफलता हेतु और मेहनत करनी पड़़ेगी ।
तक्मलनाडु में 1989 से द्रमुक और अन्नाद्रमुक के बीचि रिम से सत्ा परिवर्तन होता
रहा है । ज्यलक्लता ने ्यह रिम तब तोड़ा , जब उन्होंने 2011 और 2016 के चिुनावों में लगातार जीत हाक्सल की । ्यहां भाजपा का अन्नाद्रमुक से गठजोड़ है । इस बार तक्मलनाडु में द्रमुक के स्टाक्लन ने भी क्हंदू कार्ड खेला और जीत हाक्सल की । द्रमुक और अन्नाद्रमुक के लगभग
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