30-30 फीसद वो्ट प्रक्तबद्ध हैं , 8-9 प्रक्तशत फलोक््टंग वो्टस्य परिणाम बदल देते हैं ।
पांचि राज्यों के चिुनाव परिणामों से कुछ प्रवृक्त््यां रेखांक्कत की जा सकती हैं । एक , भाजपा की राषट्रीय सतर पर उपस्थिति बढ़ी है , खासतौर पर बंगाल , केरल और केंद्रशाक्सत
प्रदेश पुडुचिेरी में , जहां कांग्ेस को क्वस्थापित कर राजग सत्ा में आता क्दख रहा है । दूसरे , क्ेरिी्य पाक््ट्ड्यां अपने-अपने राज्यों में काफी मजबूत हैं और क्वधानसभा चिुनावों में राज्य का मतदाता उन्हें राषट्रीय पाक््ट्ड्यों से ज्यादा पसंद करता है । तृणमूल बंगाल में , द्रमुक और
अन्नाद्रमुक तक्मलनाडु में सशकत हैं और राषट्रीय पाक््ट्ड्यों को वहां प्रवेश करने में कड़ी सपधा्य करनी पड़ती है । शा्यद इसीक्लए भाजपा छो्ट़े- छो्ट़े क्ेरिी्य दलों से गठबंधन करने से परहेज नहीं करती । असम और पुडुचिेरी में भाजपा ने ्यही क्क्या है ।
एक क्वशेष क्बंदु ्यह भी है क्क मक्हलाओं का रुझान भाजपा की ओर बढ़ा है और वे जाक्त-धर्म से ऊपर उठ एक वर्ग के रूप में वो्ट देने लगीं हैं । संभवत : मोदी के क्वकास मॉडल में जाक्त्यों के प्रभाव को कम करने का बीज है । मक्हला राजनीक्तक सशकतीकरण में
मोदी ने आक्थ्यक सशकतीकरण का तड़का लगा क्द्या है । अक्धकतर ्योजनाओं को मक्हलाओं से जोड़कर उनके खातों में सीधे पैसे भेजकर मोदी ने मक्हलाओं को क्वत्तीय सवा्यत्ता देकर उनकी आकांक्ाओं को जैसे पंख दे क्दए हैं । मक्हला चिेतना राजनीक्तक अशसमता के रूप में उभरी है , क्जससे जाक्त-धर्म के बंधन को तोड़ मक्हला मतदाता सामाक्जक वर्ग के रूप में सवत : संगक्ठत हो गई हैं । सुरक्ा और क्वकास राजनीक्त के दो पहलू होते हैं । मोदी ने इन दोनों पर पकड़ बना समावेशी राजनीक्त की है , क्जससे आज 18 राज्यों में भाजपा / राजग की सरकारें हैं ।
इन चिुनावों में कांग्ेस का जैसे और ह्ास हो ग्या है । पुडुचिेरी और केरल में जहां इस बार उसकी सरकार बननी चिाक्हए थी , वहां भी उसे क्शकसत क्मली । बंगाल से तो जैसे नामोक्नशान ही क्म्ट ग्या और असम में भी उसे घोर क्नराशा क्मली । इसके बावजूद कांग्ेस नेतृतव और संगठन को लेकर हठधक्म्यता अपनाए हुए है । अंक्तम प्रवृत्ति चिुनाव आ्योग पर आरोप लगाने को लेकर है । नेताओं और दलों द्ारा उस पर लांछन लगाना दुर्भाग्यपूर्ण है । एक हाईको्ट्ड द्ारा भी आ्योग पर कठोर क््टपपक्ण्यां की गईं । आ्योग के पास नेताओं और पार्टी-का्य्यकर्ताओं की अनुक्चित हरकतों पर दंडातमक कारवाई का अक्धकार नहीं है । आदर्श आचिार संक्हता दलों की आम सहमक्त पर आधारित है । उसका कानूनी आधार नहीं ।
अमेरिका जैसे क्वकक्सत देश में अभी तक भारत से तीन गुना ज्यादा लोग कोक्वड महामारी से मर चिुके हैं , लेक्कन वहां क्वपक्ी दल , मीक्ड्या ्या त््या्यपाक्लका ने उसका ठीकरा सरकार पर नहीं फोड़ा । ्यहां आपदा से लड़ने के बजा्य सभी मोदी सरकार से लड़ने में लगे हैं । क्कतना दुर्भाग्यपूर्ण है क्क केंद्र में गृह और वित्तमंरिी रहे पी . क्चिदंबरम ने कोक्वड आपदा प्रबंधन पर मोदी सरकार के क्वरुद्ध जनता से क्वद्रोह की अपील की ? क्या ्यह लोकतंरि में आसथा का प्रतीक है ?
( साभार ) ebZ 2021 Qd » f ° f AfaQû » f ³ f ´ fdÂfIYf 17