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भाग और पैरों से उपमा दी गयी है । इस उपमा से यह सिद्ध होता हैं की जिस प्रकार शरीर के यह चारों अंग मिलकर एक शरीर बनाते है , उसी प्रकार ब्ाहण आदि चारों वर्ण मिलकर एक समाज बनाते है ।
इस प्रकार वेद की शिक्ा में शूद्रों के प्रति भी सदा ही प्रेम-प्रीति का वयवहार करने और उनहें अपना ही अंग समझने की बात कही गयी है ।
मनुस्ृपत में ब्ाह्मण और शूद्र विषयक विचार
-ब्ाहण शूद्र बन सकता और शूद्र ब्ाहण
हो सकता है । इसी प्रकार क्लत्य और वैशय भी अपने वर्ण बदल सकते है । -मनुस्मृति 10 / 64
-शरीर और मन से शुद्ध- पलवत् रहने वाला , उत्कृष्ट लोगों के सानिधय में रहने वाला , मधुरभाषी , अहंकार से रहित , अपने से उत्कृष्ट वर्ण वालों की सेवा करने वाला शूद्र भी उत्म ब्ाहण जनम और लद्ज वर्ण को प्रापत कर लेता है । -मनुस्मृति 9 / 335
- जो मनुषय नितय प्रात : और सांय ईशवर आराधना नहीं करता उसको शूद्र समझना चाहिए । -मनुस्मृति 2 / 103
-जब तक वयसकत वेदों की शिक्ाओं में दीलक्त
नहीं होता वह शूद्र के ही समान है । -मनुस्मृति 2 / 172
-ब्ाहण- वर्णसि वयसकत शेषठ – अलतशेषठ वयसकतयों का संग करते हुए और नीच- नीचतर वयसकतओं का संग छोड़कर अधिक शेषठ बनता जाता है । इसके विपरीत आचरण से पतित होकर वह शूद्र बन जाता है । -मनुस्मृति 4 / 245
-जो ब्ाहण , क्लत्य या वैशय वेदों का अधययन और पालन छोड़कर अनय विषयों में ही पररशम करता है , वह शूद्र बन जाता है । -मनुस्मृति 2 / 168
-पढने-पढ़ाने से , चिंतन-मनन करने से , ब्हचर्य , अनुशासन , सतयभाषण आदि व्रतों का पालन करने से , परोपकार आदि सतकम्व करने से , वेद , विज्ान आदि पढने से , कर्तवय का पालन करने से , दान करने से और आदशषों के प्रति समर्पित रहने से मनुषय का यह शरीर ब्ाहण किया जाता है । -मनुस्मृति 2 / 28
-जैसे लकड़ी से बना हाथी और चमड़े का बनाया हुआ हरिण लसफकि नाम के लिए ही हाथी और हरिण कहे जाते है वैसे ही बिना पढ़ा ब्ाहण मात् नाम का ही ब्ाहण होता है । -मनुस्मृति 2 / 157
कुछ लोग यह शंका करेंगे कि फिर मनुस्मृति में जातिवाद पोषक शलोक कहाँ से आये ? इसका उत्र है कि मनुस्मृति में मधयकाल में मिलाव्ट हुई थी । इसी कारण से जातिवाद का समर्थन करने वाले जो शलोक मनुस्मृति में मिलते हैं । वो वेद विरुद्ध होने के कारण मिलाव्टी हैं । उन शलोकों को छोड़कर शेष भाग को सवीकार करने में सभी का हित हैं ।
इसलिए किसी के बरगलाने में न आये । हमारा देश तभी तक सुरलक्त है जब तक हम संगठित हैं । जातिवाद विहीन समाज के निर्माण के लिए आईये सभी मिलकर प्रयास करे ।
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