को झारखंड प्रदेश मेंराँची के उलीहातू गाँव में हुआ था । सालगा गाँव में प्रारसमभक पढाई के बाद वे चाईबासा इंसगलश मिडिल सकूल में पढने आये । इनका मन हमेशा अपने समाज की ब्रिटिश शासकों द्ारा की गयी बुरी दशा पर सोचता रहता था । उनहोंने मुंडा लोगों को अंग्ेजों से मुसकत पाने के लिये अपना नेत्रतव प्रदान किया । 1894 में मानसून
के छो्टानागपुर में असफल होने के कारण भयंकर अकाल और महामारी फैली हुई थी । बिरसा ने पूरे मनोयोग से अपने लोगों की सेवा की । 1 अक्टूबर 1894 को नौजवान नेता के रूप में सभी मुंडाओं को एकत् कर इनहोंने अंग्ेजो से लगान माफी के लिये आनदोलन किया । 1895 में उनहें गिरफ़तार कर लिया गया और हजारीबाग केनद्रीय कारागार में दो साल के कारावास की सजा दी
गयी । लेकिन बिरसा और उसके शिषयों ने क्ेत् की अकाल पीलड़त जनता की सहायता करने की ठान रखी थी और अपने जीवन काल में ही एक महापुरुष का दर्जा पाया । उनहें उस इलाके के लोग " धरती बाबा " के नाम से पुकारा और पूजा जाता था । उनके प्रभाव की व्रलद्ध के बाद पूरे इलाके के मुंडाओं में संगठित होने की चेतना जागी । 1897 से 1900 के बीच मुंडाओं और अंग्ेज सिपाहियों के बीच युद्ध होते रहे और बिरसा और उसके चाहने वाले लोगों ने अंग्ेजों की नाक में दम कर रखा था । अगसत 1897 में बिरसा
और उसके चार सौ सिपाहियों ने तीर कमानों से लैस होकर खूँ्टी थाने पर धावा बोला । 1898 में तांगा नदी के किनारे मु ंडाओं की लभड़ंत अंग्ेज सेनाओं से हुई जिसमें पहले तो अंग्ेजी सेना हार गयी लेकिन बाद में इसके बदले उस इलाके के बहुत से आदिवासी नेताओं की गिरफ़तारियाँ हुईं । जनवरी 1900 डोमबाड़ी पहाड़ी पर एक और संघर्ष हुआ था जिसमें बहुत से औरतें और बच्चे मारे गये थे । उस जगह बिरसा अपनी जनसभा को समबोलधत कर रहे थे । बाद में बिरसा के कुछ शिषयों की गिरफ़तारियाँ भी हुईं । अनत में सवयं बिरसा भी 3 फरवरी 1900 को चकधरपुर में गिरफ़तार कर लिये गये । बिरसा ने अपनी असनतम साँसें 9 जून 1900 को राँची कारागार में लीं ।
2 . टंटया भील का बलिदान
्टं्टया भील का जनम 1824-27 के आसपास ततकालीन मधय प्रांत के पूवटी निमाड़ ( खंडवा ) की पढ़ाना तहसील के गांव बडाडा में हुआ था । वह एक जननायक बागी था जिसने संकलप लिया था कि देश से अंग्ेजी हुकूमत को किसी भी तरह उखाड़ फेकना है । ्टं्टया भील केअदमय साहस और विदेशी शासन को उखाड़ फेकने के जुनून ने उसे आम जनता और आदिवासियों का प्रिय बना दिया । ्टं्टया की वीरता और अदमय साहस से तातया ्टोपे इतने प्रभावित हुए कि उनहोंने
ekpZ 2023 41