हैं । यह वर्ग जिन बुराइयों को गिनाकर हिंदू समाज के खिलाफ खुलकर बोलता है , लेकिन मुससलम समुदाय की उनहीं या उनसे भी बड़ी बुराइयों का दबी जुबां से बचाव करता है । यह भीम-मीम के गठजोड़ ( Bhim-Meem Coaltion ) का सपना देखता है । भीम मतलब डॉ . भीमराव आंबेडकर को मानने वाले और मीम मतलब मुससलम समुदाय । इसकी चाहत है कि दलितों-पिछड़ों का मुसलमानों से राजनीतिक गठजोड़ हो जाए ताकि दोनों मिलकर देश में नई सियासत ( Dalit-Muslim Politics ) की नींव डाल सकें । भीम-मीम के गठजोड़ का सपना काफी पुराना है , जिसे पूरा करने की जीतोड़ कोशिशें होती रही हैं , लेकिन यह शायद ही सिरे चढ़ पाता है । ऐसा कयों ? इसका जवाब डॉ . आंबेडकर के विचारों में ही ढूंढा जा सकता है ।
पुस्तक में बाबा साहेब ने सबकु छ साफ-साफ लिख दिया बाबा साहब ने पाकिसतान आंदोलन पर एक
किताब लिखी है जिसका नाम है- पाकिसतान
अथवा भारत का विभाजन ( Pakistan or the Partition of India )। इस पुसतक में उनहोंने यह विसतार से बताया है कि आखिर हिंदू-मुसलमान के बीच एक-दूसरे के प्रति अविशवास की भावना ( Hindu-Muslim Mistrust ) घर कर गई तो कयों । उनहोंने इतिहास में मुससलम आंकाताओं के अतयाचार ( Tyranny of Muslim Invaders ) का गहराई से विशलेषण किया और तथयों के साथ उदाहरण पर उदाहरण दिए । ' पाकिसतान अथवा भारत का विभाजन ' पुसतक के चौथे अधयाय ' एकता का विघ्टन ' में डॉ . आंबेडकर ने अतीत में हिंदू जनता पर मुससलम आंकाताओं के किए अतयाचार का गहराई से लेखा-जोखा पेश किया है । बाबा साहब लिखते हैं कि 711 ई . में शुरू हुए मुससलम आकमणकारियों के हमले सदियों तक होते रहे । इस दौरान विदेशी खूंखार आकांताओं ने न केवल मंदिरों और आम जनता की दौलत लू्टी बसलक धार्मिक अतयाचार भी किए ।
भारत-पाक विभाजन के बाद अलग हो गए थे दो परिवार , 75 साल बाद मिले तो छलक गए आंसू , हुई फूलों की वर्षा , पलढ़ए पूरी कहानी
मुस्लिम आक्रमणों से छलनी होता रहा भारत और ...
वो लिखते हैं , ' भारत पर पहला मुससलम आकमण अरबों ने मुहममद बिन कासिम के नेत्रतव में सन् 711 में किया और उसने सिंध पर विजय प्रापत ( Muhammad Bin Qasim attack on India ) की थी ... इसके बाद सन् 1001 ई . में गजनी के मुहममद ( Mahmud Ghazni ) के भीषण आकमणों का तांता लग गया । मुहममद की म्रतयु 1030 ई . में हो गई परंतु तीस वर्ष की अलपावधि में ही उसने भारत पर सत्ह बार आकमण किया । उसके बाद 1173 ई . में मुहममद गोरी ( Muhammad Ghori ) ने भारत पर आकमण किया । वह 1206 ई . में मारा गया । तीस साल तक गजनी के मुहममद ने भारत को रौंदा और तीस साल तक उसी तरह मुहममद
गोरी भी इस देश को रौंदता रहा । उसके बाद आकांता चंगेज खान ( Changez Khan ) के मंगोल झुंडों ने 1221 ई . में धावे बोले ... इन हमलों में से सबसे भीषण हमला 1398 में तैमूर लंग ( Taimur Lang ) के नेत्रतव में हुआ । उसके बाद बाबर ( Babar ) के रूप में उभरे एक नए आकांता ने 1526 ई . में भारत पर हमला किया । दो और आकमण भी हुए । आकांता ( 1738 ई .) नादिर शाह ( Nadir Shah ) के नेत्रतव में पंजाब पर चढ़ाई कर दी । उसके बाद 1761 ई . में भारत पर अहमदशाह अबदाली ( Ahmad Shah Abdali ) ने हमला किया ।' नीचे देखिए डॉ . आंबेडकर ने सिर्फ एक चैप्टर में कया-कया बातें कहीं ...
हिंदू मंदिर में मौलवी की मौजूदगी में हुआ मुससलम जोड़े का निकाह , RSS और VHP के लोगों ने भी दिया आशीर्वाद .
' अत्ाचारों पर मुस्लिमों को नाज , हिंदुओं को शर्म '
बाबा साहेब ने कहा कि मुससलम आकमणकारी हिंदुओं के खिलाफ घ्रणा से भरे हुए थे । उनहोंने लिखा , ' आकांताओं ने जो हथकंडे अपनाए थे , वे अपने पीछे भविषय में आने वाले परिणाम छोड़ते गए । उनमें से ही एक हिंदुओं और मुसलमानों के बीच की क्टुता है , जो उन उपायों की देन है । दोनों के बीच यह क्टुता इतनी गहराई से पैठी हुई है कि एक शताबदी का राजनीतिक जीवन इसे न शांत कर पाने में सफल हुआ है और न ही लोग उस क्टुता को भुला पाए हैं । दरअसल , इन हमलों के साथ ही मंदिरों का विधवंस , जबरन धमािंतरण , संपलत् की तबाही , संहार और गुलामी तथा औरतों-मदषों और लड़लकयों का अपमान हुआ था । ऐसे में कया यह कोई आशचय्वजनक बात है कि ये हमले सदैव याद बने रहे हैं ? ये मुसलमानों के गर्व का स्ोत बने तो हिंदुओं के लिए शर्म का ... मुससलम आकांता निःसंदेह हिंदुओं के विरुद्ध घ्रणा के गीत गाते हुए आए थे ।'
( साभार : नवभारतटाइमस . कॉम ) ekpZ 2023 25