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वैसशवक अर्थवयवसिा में प्रणालीबद्ध महतवपूर्ण औद्ोलगक और विकासशील अर्थवयवसिाओं को एक साथ लाने के लिए में महतवपूर्ण मुद्ों पर चर्चा तो बहुत हुई , लेकिन इसका लाभ गरीबी , जातिवाद और नसलवाद से जूझ रही जनता को कयों नहीं प्रापत हुआ ? कयोंकि अगर वासतव में ऐसा होता तो विशव में यह सभी समसयाओं को अब तक उनमूलन हो चुका होता है । अर्थ यह भी निकलता है कि विशव के वह बीस देश जो 1999 से अब तक हर वर्ष आर्थिक मानकों के आधार पर गरीबी उनमूलन , विकास , आर्थिक नवाचार , पर्यावरण जैसे विषय पर कार्य करने का जो एजेंडा से्ट करते हैं , वह एजेंडा वासतलवकता में न तो पूरा हो पाता है और न ही एजेंडे के तहत उठाये जाने वाले कदम उन मूल
समसयाओं का समाधान करने में सक्म होते हैं ।
जी-20 समूह की अधयक्ता करने का मौका भारत को तब मिला है , जब पिछले नौ वर्ष के दौरान प्रधानमंत्ी नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में बनायी गयी कारगर और स्टीक जन-योजनाओं ने समपूण्व भारत के सवरुप में आमूलचूल परिवर्तन को समपूण्व विशव ने देखा है । विशेष रूप में भारत की 135 करोड़ जनता में मौजूद गरीब , दलित और आदिवासी वर्ग को ऐसी तमाम समसयाओं से मुसकत मिली है , जिन समसयाओं का निदान करने का दावा भारत को सवतंत्ता मिलने के बाद से लेकर 2014 तक किया जाता रहा । तकनीक और नवाचार के जिन प्रयोगों ने भारत की तसवीर में महतवपूर्ण परिवर्तन किये
हैं , उनहें देखकर विशव के विकसित राषट् भी भारत की तरह हैरत से देखने के बाधय हो गए हैं । आर्थिक द्रसष्ट से भारत जहां विशव की पांचवी बड़ी अर्थवयवसिा वाला देश बन गया है , तो सामाजिक और पर्यावरण की द्रसष्ट से भारत में हो रहे परिवर्तनों को देखकर अंतरासट्ीय संघठन भी हतप्रभ वाली ससिलत में हैं ।
सबका साथ-सबका विकास का मनत् लेकर भारत की तसवीर को बदलने के कार्य को कर रहे प्रधानमंत्ी नरेंद्र मोदी की सरकार से पहले सत्ा संभालती रही सरकारों ने गरीबी ने जूझ रही आम जनता , दलित , आदिवासी वर्ग को गरीबी ह्टाओ के नारे के रूप में खूब छला , उसी का परिणाम रहा कि गरीब , दलित और आदिवासी वर्ग को मात् वो्ट बैंक के रूप में ही
10 ekpZ 2023