को समूह की बैठक की अधयक्ता जब मिली तो प्रधानमंत्ी नरेंद्र मोदी ने भारत के द्रसष्टकोण को रेखांकित करते हुए एक लेख लिखा , जिसमें उनहोंने कहा कि भारत उपचार , सद्ाव और आशा की अधयक्ता के लिए ततपर है । उसके बाद ' वसुधैव कु्टुमबकम ' अर्थात ' एक प्रथवी . एक कु्टुंब , एक भविषय " के नारे को पूरे विशव के सामने रखा गया । समूह की भारत में 32 विभिन्न कार्यक्ेत्ों में 50 से अधिक शहरों में 200 से अधिक बैठकों का आयोजन प्रारंभ हो चुका है और यह सिलसिला बहुत ही शानदार ढंग से जारी है ।
जी-20 की सिापना 1999 में एशियाई वित्ीय संक्ट के बाद लवत् मंलत्यों और केंद्रीय बैंक के गवर्नरों के लिए वैसशवक आर्थिक और वित्ीय मुद्ों पर चर्चा करने के लिए एक मंच के रूप में की गई थी । समूह में 19 देश
( अजजें्टीना , ऑसट्ेलिया , ब्ाजील , कनाडा , चीन , फांस , जर्मनी , भारत , इंडोनेशिया , इ्टली , जापान , कोरिया गणराजय , मैसकसको , रूस , सऊदी अरब , दलक्ण अफीका , तुर्किये , यूनाइ्टेड किंगडम और संयुकत राजय अमेरिका ) और यूरोपीय संघ शामिल हैं । भारत में हो रही बैठक में नियमित अंतरा्वषट्ीय संगठनों ( संयुकत राषट् , अतरा्वषट्ीय मुद्रा संघ , विशव बैंक , विशव सवसथय संगठन , विशव वयापार संगठन , अंतरा्वषट्ीय शम संगठन , वित्ीय ससिरता बोर्ड और सेवा वयापार प्रतिबंध सूचकांक संगठन ) के साथ ही क्ेत्ीय संगठनों ( अफीकी संघ , एयूडीए-एनईपीएडी और आसियान ) की पीठों के अतिरिकत जी-20 के अधयक् के रूप में भारत ने अंतरा्वषट्ीय सौर गठबंधन , सीडीआरआई और एशियाई विकास बैंक को भी अतिथि अंतरा्वषट्ीय संगठनों के रूप में आमंलत्त किया गया है ।
भारत की अधयक्ता में जारी जी-20 बैठक का विषय - ' वसुधैव कु्टुमबकम ' या ' एक प्रथवी . एक कु्टुंब , एक भविषय ' - महाउपनिषद के प्राचीन संस्कृत पाठ से लिया गया है । अनिवार्य रूप से , यह विषय सभी प्रकार के जीवन मूलयों - मानव , पशु , पौधे और सूक्मजीव - और प्रथवी एवं वयापक ब्हांड में उनके परसपर संबंधों की पुष्टि करता है । यह विषय मानव की वयसकतगत जीवन शैली और राषट्ीय विकास दोनों सतरों पर पर्यावरण की द्रसष्ट से धारणीय और जिममेदार विकलपों से संबद्ध जीवन अर्थात पर्यावरण के अनकूल जीवन शैली को सामने रखता है , जिससे वैसशवक सतर पर परिवर्तनकारी कायषों के परिणामसवरूप एक सवचछ , हरे-भरे और उज्जवल भविषय का निर्माण हो सके । साथ ही यह विषय सामाजिक और वयसकतगत उतपादन और उपभोग विकलपों पर भी प्रकाश डालता है । यह पर्यावरण की द्रसष्ट से वयवहार्य और जिममेदार वयवहार विकलप अपनाने का आह्ान करता है , जिससे समपूण्व विशव में सुधारातमक कार्रवाई इस प्रकार से हो , ताकि मानव समाज को अपेक्ाककृत सवचछ , हरित और उज्जवल भविषय प्रापत हो ।
' एक प्रथवी . एक कु्टुंब , एक भविषय " का सनदेश देकर भारत की अधयक्ता में जारी जी- 20 समूह की बैठक का मूल विषय तो आर्थिक ही है , लेकिन इसके साथ ही गरीबी उनमूलन , विकास , आर्थिक नवाचार , पर्यावरण जैसे विषय भी जुड़े होते है । वासतव में देखा जाये तो वर्तमान समय में विकास के नए मॉडल , भविषय की दुनिया के सवरूप को निर्धारण की प्रलकया जारी है । ऐसे में जब भारत की अधयक्ता में जी -20 समूह की बैठक जारी है , तो प्रश् यह सामने आता है कि भारत में रहने वाले गरीब , दलित और आदिवासी वर्ग की जनता को इससे कया लाभ होगा ? इसी प्रकार वैसशवक सतर में मौजूद गरीबी और नसलवाद जैसी गंभीर मानवीय समसयाओं से जूझ रही जनता को इसका कया लाभ मिलेगा ? यह प्रश् इसलिए भी आवशयक हो जाता है कयोंकि जी-20 समूह के गठन के बाद से अब तक हो चुकी तमाम बैठकों में
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