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नीति की मांग को लदेकर मानव श्रृंखला बनाकर सरकार का विरोध वक्या ग्या । दिसोम मारांग बुरू ्युग जाहदेर अखाडा नदे संताल परगना के भुरकुंडा गांव में 1932 खवत्यान आधारित स्ानी्यता नीति की मांग को लदेकर विरोध जता्या है । आदिवासी एवं मूलवासी का कहना है कि उनकी भावनाओं के विरूद्ध सरकार काम कर रही है । आदिवासी सेंगेंल अवभ्यान की ओर सदे सरकार के विरोध में पुतला दहन वक्या ग्या । आदिवासी संगठन की मांग है कि आठवीं अनुसूची में शामिल संताली भाषा को राज्य सरकार राजभाषा का दर्जा ददे । झारखंड में खवत्यान का मामला गरमा रहा है , खवत्यान
सिर्फ जमीन का कागज नहीं बकलक इतिहास है । स्ानी्यता को लदेकर सरगमटी तदेज हो रही है , 1932 के खवत्यान की विशदेर चर्चा हो रही है । स्ानी्यता की परिभाषा पर बहस हो रही है । झारखंड राज्य गठन के बाद सदे ही स्ानी्यता नीति की मांग की जा रही है ।
संवैधानिक और भूमि संबंधी मामलों के जानकार वरी्य अवधि्ता रकशम कात्या्यन नदे बता्या कि झारखंड में जो भू सिरेक्षण वक्या ग्या उसमें ना सिर्फ जमीन के आकार प्रकार का रिकार्ड दर्ज वक्या ग्या , बकलक उस जमीन पर रहनदेिालदे लोगों के आचार विचार और उनके अधिकारों का उल्लेख भी है । बिरसा मुंडा के
आंदोलन के बाद 1908 में छोटानागपुर काशतकारी अवधवन्यम ्यानी सीएनटी ऐ्ट बना और संताल परगना में वर्ष 1855 के संताल हुल के बाद एसपीटी ऐ्ट बना । इसी प्रावधान के तहत आदिवावस्यों की जमीन की खरीद बिक्री पर रोक लगाई गई । खवत्यान जिसमें भूमि के मालिकाना हक के साथ सामुदाव्यक अधिकारों का रिकार्ड दर्ज होता है , इसदे खवत्यान पार्ट 2 के नाम सदे भी जाना जाता है । झारखंड का पहला लैंड रिकार्ड तीन भागों में प्रकाशित वक्या ग्या जिसदे खदेिट , खवत्यान और विलदेज नोट कहा जाता है । खदेिट के अंतर्गत बिहार भूमि सुधार अवधवन्यम 1950 के प्रावधानों के अंतर्गत आज की कस्वत में पूरदे छोटानागपुर में सिर्फ मुंडारी और भूईहरी खदेिट प्रथा आज भी का्यम है । जमींदारी उनमूलन के बाद आज उनका कोई कानूनी अकसतति नहीं है । विलदेज नोट में हर गांव के सामाजिक आर्थिक संरचनाओं का विश्लेषण वक्या ग्या था । ग्ाम प्रधान के अधिकार का वर्णन वक्या ग्या है । छोटानागपुर और कोलहान की भूमि हो अदिवावस्यों के वल्यदे सुरक्षित कर दी गई थी , कोल विद्रोह के बाद कोलहान में विकलकसन रूल बना्या ग्या था ।
राज्य में जमीन के दस्तावेज खवत्यान पार्ट 2 ज्यादा महतिपूर्ण हैं । पार्ट 2 में ही अलग अलग समूहों ्या समुदा्यों के ग्ामीणों के अधिकार का वर्णन वक्या ग्या है । गांव के परंपरागत काम ग्ाम प्रधान ्यानि विलदेज हदेडमैन के जिम्मे होता था । ग्ाम प्रधान की अनुमति के बिना कोई गांव में प्रिदेश नहीं कर सकता था । खवत्यान में जमीन के मालिकाना हक का विसतार सदे वर्णन वक्या ग्या है । अंग्रेज शासक इस बात का ध्यान रखतदे ्दे कि मूलवासी के सामाजिक , आर्थिक गतिविधि में हस्तक्षेप ना हो । राज्य में गैर मजरूआ जमीन का भी रिकार्ड दर्ज वक्या ग्या था , जिसका प्र्योग गांव के सभी लोग करतदे ्दे । कोलहान इलाके में 1958-65 के दौरान भू-सिवैंक्षण वक्या ग्या , जिसका विरोध आदिवावस्यों नदे वक्या । अपनदे हक की लडाई को िदे अंजाम तक पहुंचा्यदे , लदेवकन बाद में आदिवासी अपनी जमीन सदे बदेदखल हो ग्यदे । जिस जमीन पर पहलदे मानकी-मुंडा का
ekpZ 2022 दलित आं दोलन पत्रिका 37