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आदिवासियों की पहचान बचाने की लड़ाई झारखंड में स्ानीयता नीति पर बवाल 1932 के खतियान को लागू करने की मांग
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शैलेन्द्र सिन्हा
रखंड में स्ानी्यता नीति को लदेकर बवाल मच रहा है । झारखंड के आदिवासी और मूलवासी जमीन के दस्तावेज वर्ष 1932 को लागू करनदे की मांग कर रहदे हैं । वर्ष 1932 के खवत्यान के तहत स्ानी्यता नीति लागू करानदे की मांग सरकार सदे की जा रही है । सत्तारूढ़ झारखंड मुक्त मोर्चा के सुप्रीमो शिबू सोरदेन नदे भी चुनाव में स्ानी्यता नीति 1932 को लागू करनदे की बात कही थी । लदेवकन , मुख्यमंत्ी हदेमंत सोरदेन की सरकार नदे दो िरषों सदे अधिक का का्यनाकाल बीत जानदे के बाद भी स्ानी्यता नीति नहीं बना्या है । अलबत्ता राज्य में बिहार की भोजपुरी , अंगिका और मगही भाषाओं को मान्यता वद्यदे जानदे सदे ्यहां के आदिवासी और मूलवासी में बहुत अधिक रोष ददेखा जा रहा है । राज्य में बाहरी भाषाओं को क्षदेत्रीय भाषा बना्यदे जानदे का पुरजोर विरोध जारी है ।
संताल परगना और कोलहान में स्ानी्यता
36 दलित आं दोलन पत्रिका ekpZ 2022