doj LVksjh
का अधिकार पानदे के बहानदे जो संघर्ष छ़ेड़ा ग्या है उस प्रकरण में नांगदेली की संघर्ष गाथा को ्याद करना प्रासंगिक हो ग्या है ।
रिािणकोर साम्ाज्य में दलितों पर ' ब्ेस्ट टैक्स '
्यह बात है वर्ष 1729 की जब मद्रास प्रदेसीडेंसी में कस्त आज के केरल में त्ाििकोर साम्राज्य की स्ापना हुई । इसके राजा ्दे मा्थंड वर्मा । जब साम्राज्य बना तो इसके संचालन के लिए वन्यम-कानून भी बनदे और जनता सदे टै्स लदेनदे का सुव्यिकस्त सिसटम भी बना्या ग्या ।
्यह ऐसदे ही था जैसदे आज की सरकार जनता सदे हाउस टै्स , सदेल टै्स और जीएसटी वगैरह लदेती है । लदेवकन त्ाििकोर साम्राज्य में राजा मा्थंड वर्मा के शासनकाल में अलग सदे एक टै्स और बना्या ग्या , जिसका नाम था ब्रेसट टै्स मतलब सतन कर । ्यदे कर दलित और ओबीसी वर्ग की महिलाओं पर लगा्या ग्या ।
त्ाििकोर में निचली जाति की महिलाएं सिर्फ कमर तक कपड़ा पहन सकती थी । अफसरों और ऊंची जाति के लोगों के सामनदे िदे जब भी गुजरती उनहें अपनी छाती खुली रखनी पड़ती थी । अगर महिलाएं छाती ढकना चाहें तो उनहें इसके बदलदे ब्रेसट टै्स ददेना होगा । इसमें भी दो वन्यम ्दे । जिसका ब्रेसट छोटा उसदे कम टै्स और जिसका बड़ा उसदे ज्यादा टै्स । टै्स का नाम रखा था मूलाक्रम । जमींदारों के घर काम करतदे ि्त दलित महिलाएं न सतन ढक सकती थीं और न ही छाता लदेकर बैठ सकती थीं ।
दलित पुरुषों के सिर उठाकर चलने पर भी टैक्स
्यह फकूहड़ रिवाज सिर्फ महिलाओं पर नहीं , बकलक पुरुषों पर भी लागू था । उनहें सिर ढकनदे की परमिशन नहीं थी । अगर िदे कमर के ऊपर कपड़ा पहनना चाहें और सिर उठाकर चलना चाहें तो इसके लिए उसदे अलग सदे टै्स ददेना पड़़ेगा । ्यह व्यवस्ा ऊंची जाति को छोड़कर सभी पर लागू थी , लदेवकन वर्ण व्यवस्ा में सबसदे नीचदे होनदे के कारण निचली जाति की दलित महिलाओं को इसकी सबसदे ज्यादा प्रताड़ना झदेलनी पड़ी । पुरूष तो कमर के ऊपर बिना कपड़़े के भी रह सकतदे ्दे लदेवकन महिलाओं के लिए ऐसा करना कितना मुकशकल रहा होगा इसका आसानी सदे अंदाजा लगा्या जा सकता है ।
चाकू से फाड़ दिया जाता महिलाओ ंकी छाती का
कपड़ा सतन टै्स वसूलनदे के लिए पूरी कड़ाई भी
की गई थी और बिना कर अदा किए कमर के ऊपर कपड़ा डालना संभव ही नहीं था । खास तौर सदे नादर वर्ग की महिलाओं नदे अगर कभी कपड़़े सदे अपनी छाती ढ़छंकनदे की जुर्रत की तो इसकी सूचना ततकाल ही राजपुरोहित तक पहुंचा दी जाती थी । पुरोहित एक लंबी लाठी लदेकर चलता था जिसके सिरदे पर एक चाककू बंधी होती थी । वह उसी सदे बलाउज खींचकर फाड़ ददेता
था । उस कपड़़े को वह पदेड़ों पर टांग ददेता था । ्यह संददेश ददेनदे का एक तरीका था कि आगदे कोई ऐसी हिममत न कर सके ।
डेढ़ सौ साल चला छाती ढंकने का संघर्ष
19वीं शताबदी की शुरुआत में चदेरथला में नांगदेली नाम की एक महिला थी । सिावभमानी और क्रांतिकारी । उसनदे त्य वक्या कि ब्रेसट भी ढककूंगी और टै्स भी नहीं दूंगी । नांगदेली का ्यह कदम सामंतवादी लोगों के मुंह पर तमाचा था । अधिकारी घर पहुंचदे तो नांगदेली के पति चिरकंडुन नदे टै्स ददेनदे सदे मना कर वद्या । बात राजा तक पहुंच गई । राजा नदे एक बड़़े दल को नांगदेली भदेज वद्या । राजा के आददेश पर टै्स लदेनदे अफसर नांगदेली के घर पहुंच गए । पूरा गांव इकट्ा हो ग्या । अफसर बोलदे , " ब्रेसट टै्स दो , किसी तरह की माफी नहीं मिलदेगी ।" नांगदेली बोली , ' रुकिए मैं लाती हूं टै्स ।' नांगदेली अपनी झोपड़ी में गई । बाहर आई तो लोग दंग रह गए । अफसरों की आंखदे फटी की फटी रह गई । नांगदेली केलदे के पत्तदे पर अपना कटा सतन लदेकर खड़ी थी । अफसर भाग गए । लगातार ब्लीडिंग सदे नांगदेली जमीन पर गिर पड़ी और फिर कभी न उठ सकी ।
नांगेली की चिता में कू द गया पति
नांगदेली की मौत के बाद उसके पति चिरकंडुन नदे भी उसकी चिता में ककूदकर अपनी जान ददे दी । भारती्य इतिहास में किसी पुरुष के ' सती ' होनदे की ्यह एकमात् घटना है । इस घटना के बाद विद्रोह हो ग्या । हिंसा शुरू हो गई । महिलाओं नदे प्रतिरोध सिरूप पूरदे कपड़़े पहनना शुरू कर दिए । मद्रास के कमिश्नर त्ाििकोर राजा के महल में पहुंच गए । कहा , " हम हिंसा रोकनदे में असफल साबित हो रहदे हैं कुछ करिए ।" राजा बैकफुट पर चलदे गए । उनहें घोषणा करनी पड़ी कि अब नादर जाति की महिलाएं बिना टै्स चुकाए ही कमर के ऊपर कपड़़े पहन सकती हैं । नादर जाति कि महिलाओं को सतन ढकनदे की इजाजत मिली तो एजवा , शदेनार ्या
ekpZ 2022 दलित आं दोलन पत्रिका 19