doj LVksjh
हिजाब विवाद ने याद दिलाई इतिहास की स्ाि हकीकत
दलित महिलाओ ंको स्तन ढकने की नहीं थी इजाजत डेढ़ सौ साल तक चला स्तन ढ़कने का हक पाने का संघर्ष
चंचल ढ़ींगरा lks
शल मीवड्या सदे लदेकर वस्यासी गवल्यारदे तक और सड़क सदे लदेकर ददेशभर के स्कूल और कॉलदेजों तक में हिजाब चर्चा का विर्य बना हुआ है । ्यदे विवाद इतना बढ़ चुका है कि ददेश और दुवन्या की कई नामचीन हस्तियां व विददेशी सरकार पोषित संस्ाएं भी इस पर अपनी रा्य ददे रही हैं । स्कूल में मुकसलम लड़वक्यां हिजाब पहनें ्या न पहनें , इस बात को लदेकर सड़क सदे संसद तक ' जितनदे मुंह उतनी बातें ' हो रही हैं । मामला न्या्याल्य में विचाराधीन है और पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में भाजपा को बढ़त लदेनदे सदे रोकनदे के मकसद सदे विरोवध्यों द्ारा इसका राजनीतिक लाभ लदेनदे का भरपूर प्र्यास भी वक्या जा रहा है । लदेवकन , सिर ढकनदे की इस लड़ाई नदे इतिहास के पन्नों में दफन हो चुके एक ऐसदे घटनाक्रम की ्याद ताजा कर दी है जो बदेहद शर्मनाक और दर्दनाक है ।
नांगेली की संघर्ष गाथा
प्ासंगिक
आज ्यह सोच कर भी किसी को ताज्ुब हो सकता है और इस पर ्यकीन करना भी मुकशकल हो सकता है कि केरल जैसदे शिक्षित राज्य में महिलाओं को बलाउज पहननदे का अधिकार 150 सालों के संघर्ष के बाद मिला । वह भी तब जबकि एक दलित महिला नांगदेली का त्याग वनिाना्यक
साबित हुआ । नांगदेली नदे अपनी मजटी सदे अपना सतन ढ़छंकनदे के लिए सतन ही काट वद्या । ्यदे कहानी महिलाओं के सतन ढकनदे की लड़ाई के बारदे में है । ्यदे कहानी किसी दूसरदे मुलक की नहीं , बकलक भारत की है । कब क्या हुआ ? कैसदे हुआ और कैसदे चीजें सही हुईं ्यदे सब बातें अब भुला दी गई हैं । लदेवकन हिजाब विवाद में चदेहरा ढछंकनदे
18 दलित आं दोलन पत्रिका ekpZ 2022